हमारी सरकार का दावा था चीन के कब्जे में नहीं कोई सैनिक, फिर रिहा हुए इन 10 जवानों पर कौन देगा जवाब
चीन ने 10 भारतीय सैनिकों को भारत को सौंप दिया गया है। इसके लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास टकराव होने के बाद तीन दिन में तीन बार दोनों पक्षों में वार्ता हुई...
जनज्वार ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन ने तीन राउंड की बातचीत के बाद आखिरकार 10 भारतीय सैनिकों को मुक्त कर दिया है। चीन ने इस सैनिकों को 15-16 जून की रात लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों पक्षों की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद अपने कब्जे में ले लिया था। इन सैनिकों को चीन के कब्जे से मुक्त कराने के लिए कूटनीतिक व सैन्य दोनों स्तरों पर तीन चरण की वार्ता हुई।
गौरतलब है कि 20 जवानों को चीन आर्मी द्वारा मौत के घाट उतार दिये जाने के बाद भारतीय सेना ने कहा कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में शामिल कोई भी भारतीय सैनिक लापता नहीं है। फिर सवाल उठता है कि आखिर ये 10 सैनिक कौन हैं।
हालांकि मीडिया में ऐसी खबरें भी आई थीं कि झड़प के बाद 10 भारतीय सैनिक लापता होने की खबर आयी थी। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि उस समय जवानों के पास हथियार थे, मगर उन्होंने चीनी सैनिकों पर गोली नहीं चलाई।
हिंदुस्तान टाइम्स डाॅट काॅम की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार की शाम चीन की ओर से दो अधिकारी सहित 10 भारतीय सैनिक कब्जे से मुक्त किए गए और उन्हें भारत की ओर भेजा गया। भारत और चीन की सेनाओं में हुई झड़प में एक कर्नल रैंक के अधिकारी सहित 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के तीन दिन बाद ऐसा किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सैनिकों की सुरक्षा के लिए दोनों पक्ष की वार्ता की गोपनीयता बनाए रखी गई।
एचटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले में कोई आधिकारिक वक्तव्य नहीं दिया गया है। हालांकि विदेश मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि इस टकराव में कोई भारतीय सैनिक कार्रवाई में लापता नहीं हुआ है।
मंगलवार से लेकर गुरुवार तक गलवान घाटी में स्थित पेट्रोल प्वाइंट 14 के निकट मेजर जनरल स्तर के अधिकारियों के नेतृत्व में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई। मेजर जनरल अभिजीत बापट (कारू बेस्ड हेडक्वार्टर के कमांडर 3 इनफेंट्री डिवीजन) और उनके चीनी समकक्ष गुरुवार को तीसरी बार मिले। ये मुलाकातें जारी मिलिट्री इंगेजमेंट का हिस्सा थीं, ताकि सीमा पर हालात को सामान्य किया जा सके। मई के शुरू से 15 जून के टकराव तक दोनों पक्षों के वरिष्ठ सेना अधिकारी सात बार वार्ता कर चुके हैं।