पैंगोंग सो लेक पर पूर्व स्थिति बहाल हुए बिना भारत-चीन में तनाव कम होने पर संशय

भारत एवं चीन के बीच शीर्ष कमांडर स्तर की वार्ता में टकराव कम करने पर सहमति बनी है, लेकिन फिंगर चार से फिंगर आठ के बीच पीएलए की मौजूदगी के कारण इसके हो पाने पर संशय है...

Update: 2020-06-24 05:00 GMT

जनज्वार। एलएसी पर टकराव वाले स्थलों से चीन पीछे हटने को राजी हो गया है। भारत एवं चीन के बीच सोमवार को हुई टाॅप कमांडर स्तर की वार्ता में इस बात पर सहमति बनी है। हालांकि जानकारों के अनुसार दोनों देशों के बीच तनाव तभी कम होगा, जब लद्दाख की पैंगोंग सो लेक (Pangong Tso lake) पर पहले वाली स्थिति लागू बनेगी।

हिंदुस्तान टाइम्स ने इस मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स के हवाले से खबर दी है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने फिंगर चार से लेकर फिंगर आठ तक बंकर, पिलबाॅक्सेस और ऑब्जर्वेशन पोस्ट बना लिए हैं। उन्हें वापस हटाना और पीछे करना मुश्किल भरा काम होने जा रहा है।

मई की शुरुआत में जब चीनी सेना ने फिंगर चार वाली जगह पर कब्जा नहीं किया था, तब भारतीय सैनिक फिंगर चार से लेकर फिंगर आठ तक पेट्रोलिंग करते थे। अखबार ने इस मामले के एक जानकार के हवाले से लिखा है कि सरकार भी इस पूरे इलाके को भारतीय सीमा के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र मानती आई है। अब वहां चीनी सैनिकों की मौजूदगी से भारतीय सैनिकों की पेट्रोलिंग पर असर पड़ सकता है।

फिंगर चार से फिंगर आठ के बीच में आठ किलोमीटर की दूरी है। भारत का दावा है कि उसका इलाका फिंगर आठ तक है, वहीं चीन फिंगर चार तक दावा करता है। पीएलए ने वहां तक आवागमन के लिए सड़क का निर्माण किया है। अखबार ने उत्तरी सेना के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा को कोट करते हुए लिखा है कि चीनी सेना को फिंगर चार से फिंगर आठ तक वापस ले जाना एक बड़ी चुनौती होगी। उन्होंने वहां जो निर्माण कार्य किए हैं, उससे उनके पीछे हटने का इरादा नहीं लगता है।

फिंगर इलाका एकमात्र ऐसा इलाका है, जहां दोनों पक्षों के शीर्ष कमांडर स्तर की वार्ता के बाद भी पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। यही पिछले कई सप्ताह से दोनों पक्षों के बीच जारी गतिरोध का कारण है और इसका असर द्विपक्षीय रिश्तों पर पड़ा है।

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