PSA हटने के बाद पूर्व आईएएस शाह फैसल, पीडीपी नेता मदनी और पीरजादा को हुए हाउस अरेस्ट

सरकार ने उन्हें अनौपचारिक रूप से निर्देश दिया है कि वे अपने घरों से बाहर नहीं निकलें। इतना ही नहीं उनके आवासों के बाहर एक-एक पुलिसकर्मी भी तैनात किया गया है.

Update: 2020-06-05 16:19 GMT

जनज्वार, श्रीनगर। पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल और जम्मू—कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री के मामा सरताज मदनी और पीडीपी के 1 अन्य सदस्य को सरकार ने अनौपचारिक रूप से आदेश दिया है कि वे किसी भी हाल में अपने घरों से बाहर न निकलें।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक 2010 बैच के आईएएस अधिकारी रहे फैसल, मुफ्ती के मामा सरताज मदनी और मुख्यमंत्री रहने के दौरान मुफ्ती के राजनीतिक सलाहकार रहे पीर मंसूर के खिलाफ इस सप्ताह की शुरुआत में पीएसए हटा दिया गया था, जिसके बाद इन्हें हिरासत से रिहा कर दिया गया था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिहा किए जाने के बाद महबूबा मुफ्ती के मामा सरताज मदनी, पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल और पीर मंसूर को आधिकारिक तौर पर उनके घर भेज दिया गया था। इसी के बाद मीडिया में यह खबर आयी है कि सरकार ने उन्हें अनौपचारिक रूप से निर्देश दिया है कि वे अपने घरों से बाहर नहीं निकलें। इतना ही नहीं उनके आवासों के बाहर एक-एक पुलिसकर्मी भी तैनात किया गया है।

दनी ने पीटीआई-भाषा हुई बातचीत में कहा कि वह इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं हैं कि उन्हें नजरबंद किया गया है या नहीं, लेकिन उन्हें दक्षिण कश्मीर के बीजबेहरा में अपने पैतृक गांव से बाहर जाने की अनुमति नहीं है। मंसूर और फैसल से भी पीटीआई—भाषा ने इस संबंध में प्रतिक्रिया लेने के प्रयास किए गए, लेकिन उनसे फोन पर संपर्क नहीं हो पाया।

दूसरी तरफ इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की तरफ से पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, नेकां के अली मोहम्मद सागर और हिलाल लोन की रिहाई की भी मांग की जा रही थी।

दनी, मंसूर और फैसल उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें शुरू से ही एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया था और बाद में पांच अगस्त 2019 के घटनाक्रम के बाद उनके खिलाफ पीएसए लगा दिया गया।

गौरतलब है कि पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों-लद्दाख तथा जम्मू कश्मीर में विभाजित कर दिया गया था।

ससे पहले 24 मार्च को जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लगभग 8 महीने बाद हिरासत से रिहा किया गया था। जनसुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत लगाए गए आरोप हटाए जाने के बाद उनकी रिहाई का आदेश जारी किया गया था।

10 मार्च को 50 साल के हुए अब्दुल्ला ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद, 232 दिन हिरासत में गुजारे थे। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को पूर्व में एहतियातन हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में 5 फरवरी को उन पर पीएसए लगा दिया गया था।

हीं नौकरशाह से नेता बने पूर्व आईएएस शाह फैसल केंद्र के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट लिखने के ​बाद निशाने पर आये थे। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए लिखा था, 'घाटी में पुलिस की कार्रवाई से करीब 80 लाख लोग बंदी के समान रहने को मजबूर हो गए हैं। राज्य में इस तरह के हालात पहले कभी नहीं थे। जीरो ब्रिज से एयरपोर्ट तक कुछ ही वाहन दिख रहे हैं। सभी जगहें पूरी तरह से बंद हैं। मरीजों को छोड़कर किसी को भी आने-जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।'

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