लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक को दी मंजूरी

जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा (संशोधन) विधेयक का लोक सभा में पारित होना जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है।

Update: 2020-09-22 16:29 GMT

लोकसभा ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें पांच भाषाओं हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, कश्मीरी और डोगरी को केंद्र शासित प्रदेश की आधिकारिक भाषा का दर्जा देने का प्रावधान है। निचले सदन में जब गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने सदन में इस विधेयक को पेश किया तब नेशनल कांफ्रेस के सांसद हसनैन मसूदी ने विधेयक को पेश करने का विरोध किया। बहरहाल, गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से कश्मीरी, डोंगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं को जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा के तौर पर घोषित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को बड़ी संख्या में बोलते हैं और समझते हैं। रेड्डी ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में जितने लोग कश्मीरी बोलने वाले हैं, उनमें से 53.26 प्रतिशत जम्मू कश्मीर में हैं। लेकिन 70 साल तक वह आधिकारिक भाषा नहीं थी। यह ऐतिहासिक भूल थी। मोदी जी के नेतृत्व में ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा जा रहा है और हम यह भी करेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भाषा, धर्म, जाति के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं रखती। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी प्रदान कर दी ।

जिसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट करते हुए  कहा, जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा (संशोधन) विधेयक का लोक सभा में पारित होना जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस ऐतिहासिक बिल से जम्मू कश्मीर के लोगों का लंबे समय से प्रतीक्षित सपना सच हो गया है। कश्मीरी, डोगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी अब जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषाएँ होगी।इस अभूतपूर्व विधेयक के माध्यम से 'गोजरी', 'पहाड़ी' और 'पंजाबी' जैसी प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए विशेष प्रयास किया जाना भी प्रस्तावित है। साथ ही इस बिल से जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति तथा भाषा अकैडमी जैसे अन्य वर्तमान संस्थागत ढाँचे को सुदृढ़ किया जाएगा।

यह बिल जम्मू कश्मीर की संस्कृति को पुनस्थापित करने करने के लिए नरेंद्र मोदी जी की कटिबद्धता को दर्शाता है। इसके लिए उनका आभार व्यक्त करता हूं। साथ ही मैं जम्मू कश्मीर के बहनों और भाईयों को विश्वास दिलाता हूं कि मोदी सरकार जम्मू कश्मीर के गौरव को वापस लान में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।



रेड्डी ने कहा कि 70 साल से उर्दू जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषा है लेकिन जम्मू-कश्मीर में उर्दू भाषा बोलने वाले 0.16 प्रतिशत ही हैं। उन्होंने कहा कि उर्दू और अंग्रेजी दोनों को आधिकारिक भाषा के तौर पर जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि डोगरी वहां दूसरे सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। बहरहाल, विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए हसनैन मसूदी ने कहा कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत यह सब किया जा रहा है लेकिन उच्चतम न्यायालय में इस अधिनियम को चुनौती दी गई है। इस पर संविधान पीठ सुनवाई कर रही है।

उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में संवैधानित शुचिता का पालन होता है। जब उच्चतम न्यायालय का फैसला आना है कि तो इस तरह का विधेयक नहीं लाया जा सकता। मसूदी ने दावा किया कि अंग्रेजी और उर्दू दोनों आधिकारिक भाषा के तौर पर पहले से काम हो रहा है। यहां असमंजस पैदा करने के लिए पांच भाषाओं को आधिकारिक सूची में शामिल किया जा रहा है। मसूदी के बयान पर कार्मिक, लोक शिकायत राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि नेशनल कांफ्रेस के सांसद ने जो कहा वो सदन को गुमराह करने का प्रयास है।

उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि कश्मीरी भाषा का विरोध क्यों किया जा रहा है जबकि नेशनल कांफ्रेंस ने कश्मीरियत के नाम पर राजनीति की है। मसूदी ने अपने (नेशनल कांफ्रेस) को अपने आवाम के सामने बेनकाब कर दिया। सिंह ने कहा कि आप लोगों ने अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कश्मीरी अवाम को ठगा। उन्होंने कहा कि आपने कह दिया कि पिछले साल पांच-छह अगस्त को संसद से पारित विधेयक गैरकानूनी कहा था। जबकि हमने आप लोगों से यही सुना है कि संसद सर्वोच्च है। आप इस तरह से कहते हैं कि हमें ताज्जुब होता है। आप हर समय सबको बेवकूफ नहीं बना सकते। सिंह ने कहा कि मोदी जी ने पहली बार स्वायत्ता का मतलब वहां पंचायती चुनाव करके बताया। उन्होंने कहा कि जो हो रहा है उससे श्रीनगर का आम आदमी बहुत खुश है। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री ने कहा कि आप बदली हुई फिजा को समझिए। जितनी जल्दी समझेंगे उतनी जल्दी जम्मू-कश्मीर और देश का भला होगा।

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