पर्सनल लॉ की आड़ में नाबालिग से संबंध बनाकर बच निकलना मुश्किल, ऐसा करना POCSO के दायरे से बाहर नहीं : केरल हाईकोर्ट
जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप है। फिर पर्सनल लॉ पॉक्सो कानून के अधीन है, इसलिए कोई भी व्यक्ति नाबालिग से संबंध बनाने के बाद शादी की आड़ में बच नहीं सकता।
Kerala High Court News : पर्सनल लॉ ( Personal Law ) की आड़ नाबालिग लड़कियों से संबंध बनाकर पॉक्सो ( POCSO ) से बचने निकलने की मुस्लिम व्यक्तियों की अब तक की चालबाजी पर केरल हाईकोर्ट ( Kerala High Court ) ने पूरी तरह से लगाम लगा दिया है। इस तरह के एक मामले में सुनवाई के बाद केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम विवाह ( muslim mariage ) को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून से बाहर नहीं रखा गया है। शादी की आड़ में बच्चे से शारीरिक संबंध ( Sex with minor ) बनाना अपराध है।
केरल हाईकोर्ट ( Kerala High Court ) ने 15 वर्षीय नाबालिग लड़की का कथित रूप से अपहरण और गर्भवती करने के आरोप में 31 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया। आरोपी ने दावा किया कि उसने पीड़ित लड़की से शादी कर ली है। आरोपी ने बहस के दौरान ये तर्क भी दिया था कि पॉक्सो के तहत उस पर मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता, क्योंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के विवाह की अनुमति देता है।
बाल विवाह अपने आप में अभिशाप
जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप है और पॉक्सो कानून शादी की आड़ में नाबालिग से शारीरिक संबंधों पर रोक लगाने के लिए है। जस्टिस कुरियन ने कहा कि मेरा मानना है कि पर्सनल लॉ के तहत मुसलमानों के बीच शादी पॉक्सो कानून के दायरे से बाहर नहीं है। यदि विवाह के पक्षों में से एक नाबालिग है, तो विवाह की वैधता या अन्य तथ्यों पर ध्यान दिए बिना, पॉक्सो कानून के तहत अपराध लागू होंगे।
आरोपी के दावे खारिज
दरअसल, केरल हाईकोर्ट पश्चिम बंगाल के निवासी खालिदुर रहमान द्वारा दायर एक जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसने दावा किया कि लड़की उसकी पत्नी है, जिससे उसने 14 मार्च, 2021 को मुस्लिम लॉ के अनुसार शादी की थी। आरोपी रहमान ने दावा किया था कि पॉक्सो कानून के तहत उस पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, क्योंकि मुस्लिम लॉ 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के विवाह की अनुमति देता है।
बता दें कि यह मसला उस समय सामने आया जब पथनमथिट्टा जिले के कवियूर में एक परिवार स्वास्थ्य केंद्र ने पुलिस को सूचित किया कि एक गर्भवती की उम्र सिर्फ 16 साल है। लोकल पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस मामले को हाईकोर्ट के सामने पेश किया। इस पर अदालत ने कहा कि नाबालिग के खिलाफ हर तरह के यौन शोषण को अपराध माना जाता है। विवाह को कानून के दायरे से बाहर नहीं रखा गया है। अदालत ने कहा कि सामाजिक सोच में बदलाव और प्रगति को ध्यान में रखते हुए पॉक्सो कानून बनाया गया है।
बाल विवाह नाबालिग के विकास को रोकता है। यह समाज का अभिशाप है। पॉक्सो कानून किसी नाबालिग से यहां तक कि शादी की आड़ में भी शारीरिक संबंधों को प्रतिबंधित करता है। यह समाज की सोच को भी दर्शाता है।
बता दें कि लड़की को उसके माता-पिता की जानकारी के बिना पश्चिम बंगाल से केरल लाया गया था। लड़की के परिवार ने आरोपी मुस्लिम युवक पर अपहरण और नाबालिग से बलात्कार का आरोप लगाया था। आरोपी युवक पर आरोप है कि उसने नाबालिग लड़की का अपहरण किया था जो पश्चिम बंगाल का मूल निवासी है। 31 अगस्त 2022 से पहले की अवधि के दौरान उसका बार-बार यौन उत्पीड़न किया जिसके कारण वह गर्भवती हो गई। मामला अदालत में सामने आने के बाद आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि चूंकि मुस्लिम कानून 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के विवाह की अनुमति देता है और ऐसी शादियां कानूनी रूप से वैध हैं, इसलिए उस पर बलात्कार या पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता है, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि पर्सनल लॉ पॉक्सो के दायरे में आता है।