सीबीआई को लेकर मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, 'पिंजरे का तोता' रिहा करो

कोर्ट ने कहा की एजेंसी की स्वायत्तता तभी सुनिश्चित होगी, जब उसे वैधानिक दर्जा दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार को सीबीआई को अधिक अधिकार और शक्तियां देने के लिए एक अलग अधिनियम बनाने के लिए विचार करके निर्णय का निर्देश दिया जाता है...

Update: 2021-08-18 09:27 GMT

(विपक्ष की ओर से अबतक सीबीआई के दुरूपयोग का आरोप लगता रहा है)

नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई को लेकर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि सीबीआई केवल संसद को रिपोर्ट करने वाला स्वायत्त निकाय होना चाहिए। बता दें कि विपक्ष की ओर से आरोप लगते रहे हैं कि सीबीआई भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के हाथों राजनीतिक हथियार बन गया है। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई को सीएजी की तरह होना चाहिए जो केवल संसद के प्रति जवाबदेह है।

कोर्ट ने मौजूदा व्यवस्था में 12 पॉइंट्स के निर्देश में बदलाव करने की बात करते हुए कहा, यह आदेश पिंचरे में बंद तोते को रिहा करने का प्रयास है। 2013 में कोलफील्ड आवंटन मामलों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर टिप्पणी की थी और उसे पिंजरे के तोते के रूप में वर्णित किया था। उस समय विपक्ष में रहने वाली भाजपा ने एजेंसी पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नियंत्रित होने का आरोप लगाया था।

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पिछले कुछ सालों ने सीबीआई ने विपक्ष के काफी नेताओं के खिलाफ केस दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई है जिसे लेकर भी उसपर भाजपा के नियंत्रण का आरोप लगता रहता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो स्पष्ट रूप कहती रही हैं कि ये पीएम द्वारा कंट्रोल की जाने वाली 'साजिश ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन' है।

कोर्ट ने कहा की एजेंसी की स्वायत्तता तभी सुनिश्चित होगी, जब उसे वैधानिक दर्जा दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार को सीबीआई को अधिक अधिकार और शक्तियां देने के लिए एक अलग अधिनियम बनाने के लिए विचार करके निर्णय का निर्देश दिया जाता है, ताकि सीबीआई केंद्र के प्रशासनिक नियंत्रण के बिना कार्यात्मक स्वायत्तता के साथ अपना काम कर सके।

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