मुख्यमंत्री योगी के मीडिया हैंडलर ने किया सुसाइड, पार्थ की आत्महत्या ने नोचा नौकरशाही का बड़ा नकाब

'मेरी आत्महत्या एक कत्ल है, जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ राजनीति करने वाली शैलजा और उनका साथ देने वाले पुष्पेंद्र सिंह हैं।' हालांकि अब पार्थ के सोशल मीडिया अकाउंट्स से ये सुसाइड नोट गायब कर दिया गया है...

Update: 2021-05-20 18:52 GMT

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया हैंडलर पार्थ श्रीवास्तव ने सुसाईड कर लिया है. सुसाईड के बाद मामले को दबाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं.

जनज्वार, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सोशल मीडिया अकाउंट्स को चलाने वाली कंपनी में काम करने वाले पार्थ श्रीवास्तव ने बुधवार को फांसी लगाकर जान दे दी। आज गुरूवार 28 साल के पार्थ का एक सुसाइड नोट और सोशल मीडिया में की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट वायरल हुआ है। जिसमें मुख्यमंत्री को टैग करते हुए पार्थ ने अपनी कंपनी की गुटबाजी और राजनीति के बारे में बताया है।

सुसाईड से पहले पार्थ ने अपने नोट में लिखा था कि 'मेरी आत्महत्या एक कत्ल है। जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ राजनीति करने वाली शैलजा और उनका साथ देने वाले पुष्पेंद्र सिंह हैं।' हालांकि अब पार्थ के सोशल मीडिया अकाउंट्स से ये सुसाइड नोट गायब कर दिया गया है।

मामले में IPS सूर्य प्रताप सिंह ट्वीट करते हैं 'आत्महत्या करने वाले बच्चे की बहन ने बड़ा आरोप लगाया है। बेटी ने बताया की पार्थ का फोन पुलिस के पास था, और पुलिस बताए की उसका सुसाइड लेटर किसने ट्विटर से डिलीट किया? इस प्रकरण की गम्भीरता से जाँच होनी चाहिए, सबूत मिटाने का प्रयास शर्मनाक है। सभी आरोपी तत्काल गिरफ़्तार किए जाएँ। आखिरी मैसेज- कंपनी में राजनीति का शिकार हुआ।'

पोस्ट किए गए लिखित नोट में पार्थ ने अपनी कंपनी के 3 से 4 सदस्यों का जिक्र किया है। इस नोट से मालूम चल रहा है कि पार्थ अपनी कंपनी में होने वाली राजनीति से आजिज आ चुके थे। उन्होंने अपने साथ काम करने वाली शैलजा और पुष्पेंद्र के नामों का जिक्र करते हुए दोनो को सुसाइड के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

बताया जा रहा है कि पार्थ ने बुधवार की सुबह अपने घर पर रस्सी से फंदा बनाकर सुसाइड किया। घर में लटके बेटे के शव को लेकर पिता रविंद्र नाथ श्रीवास्तव राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पार्थ के दोस्त आशीष पांडेय ने सोशल मीडिया पर इसके बारे में जानकारी दी थी।

मामले में इंस्पेक्टर इंदिरा नगर कहते हैं कि, उन्हें डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के जरिए जारी हुए मेमो के बाद यह सूचना मिली है। उनने बताया कि खुद मृतक के पिता ने सुसाइड किए जाने की सूचना दी थी। वहीं दूसरी तरफ पुलिस का कहना है कि उसे कोई सुसाइड नोट मिला ही नहीं।

पार्थ ने अपने सुसाईड नोट में लिखा था कि 'प्रणय भैया ने मुझसे कहा था कि मुझसे बात करेंगे पर उन्होंने पुष्पेंद्र भैया से रात 12:40 पर क्रॉस कॉल करके उनसे अपनी सफाई दिलवाई। पुष्पेंद्र भैया ने जानबूझकर व्हाट्सएप कॉल किया ताकि उनकी बातें रिकॉर्ड न हो सकें। कॉल करके भी उन्होंने सारा दोष संतोष भैया पर डाला और इस बात का यकीन दिलाया कि वह मेरे शुभचिंतक ही रहे हैं।'

'जबकि सत्य तो यह है कि वह सिर्फ और सिर्फ शैलजा जी के शुभचिंतक रहे हैं। हमेशा से पुष्पेंद्र भैया शैलजा जी के अलावा कभी और किसी के लिए चिंतित नहीं रहे। बाकियों की छोटी से छोटी गलती पर पुष्पेंद्र भैया हमेशा नाराज होते रहे। शैलजा जी और महेंद्र भैया सिर्फ उनका गुणगान करते रहें।'

पार्थ ने आगे लिखा है 'मुझे आश्चर्य प्रणय भैया पर होता है कि वह यह सब देखने समझने के बावजूद पुष्पेंद्र भैया का साथ कैसे व क्यों देते रहे। मैंने जब से यह कार्य शुरू किया तब से सबसे ज्यादा इज्जत प्रणय भैया को ही दी। मैंने उनसे सीखा कि सिर्फ काम बोलता है और इंसान को उसका काम ही पहचान दिलाता है। एक तरफ पुष्पेंद्र भैया जो सिर्फ दूसरों की कमियां निकालते दिखे तो दूसरी तरफ प्रणय भैया दिखे जो अपनी कार्य से अपना नाम बताते दिखे।'

मैंने प्रणय भैया को अपना आदर्श माना और सिर्फ काम के द्वारा अपना नाम बनाना चाहा, मुझसे गलतियां भी हुई पर वह गलतियां न दोहराने की पूरी कोशिश की। परंतु शैलजा जी जो सिर्फ चाटुकारिता कर अपनी जगह पर थीं, उन्होंने मेरी छोटी से छोटी गलती को सबके सामने उजागर कर मुझे नकारा साबित कर दिया। शैलजा जी को बहुत-बहुत बधाई।'

पत्र के आखिर में पार्थ लिखते हैं 'मेरी आत्महत्या एक कत्ल है जिसके जिम्मेदार और सिर्फ राजनीति करने वाली शैलजा और उनका साथ देने वाले पुष्पेंद्र सिंह हैं। अभय भैया और महेंद्र भैया को इस बात का हल्का सा ज्ञान भी नहीं कि लखनऊ वाले कार्यालय में क्या चल रहा था। मैं आज भी मरते दम तक महेंद्र भैया और अभय भैया की अपने माता-पिता जितनी इज्जत करता हूं।'

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