Navi Mumbai Airport Project : दोस्ती में, दोस्त की खातिर जनता की संपत्ति को अडाणी को किया कुर्बान
Navi Mumbai Airport Project : अडाणी समूह की ओर से मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया है भारतीय स्टेट बैंक ने नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा परियोजना के लिए 12,770 करोड़ रुपये की कर्ज जरूरत पूरी कर ली है...
Navi Mumbai Airport Project : अडाणी समूह ने मंगलवार को कहा कि उसने नवी मुंबई (Mumbai) में ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे (Greenfield Airport) के लिए वित्तपोषण पूरा कर लिया है। अडाणी समूह (Adani Group) की ओर से मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया है, 'भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा परियोजना के लिए 12,770 करोड़ रुपये की कर्ज जरूरत पूरी कर ली है।' समूह ने एसबीआई (State Bank Of India) के साथ वित्तीय दस्तावेजों के निष्पादन के साथ वित्तीय समापन की घोषणा की।
मुंबई महानगर क्षेत्र की सेवा के लिए लंबे समय से विलंबित दूसरा हवाई अड्डा 2024 तक तैयार होने की उम्मीद है। अडाणी समूह ने पिछले साल जुलाई में मुंबई हवाईअड्डे के अधिग्रहण के साथ नवी मुंबई हवाईअड्डा परियोजना का अधिग्रहण किया था।
एनएमआईएल (NMIL) के निदेशक जीत अडाणी ने कहा, "भविष्य में हवाईअड्डों की केंद्रीय भूमिका को देखते हुए हम एक आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का इरादा रखते हैं, जिसके मूल में हवाई अड्डे और हवाई अड्डे के उपयोगकर्ता हों। एसबीआई की इस सुविधा के साथ हम मुंबई को एक और ऐतिहासिक उपयोगिता प्रदान करने के करीब एक कदम आगे बढ़ गए हैं।
"वित्तीय बंद होना आवश्यक संसाधनों को जुटाने और निर्धारित समय सीमा के भीतर परियोजना को पूरा करने के लिए अडाणी समूह की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसे समूह द्वारा अडाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स के माध्यम से मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के अधिग्रहण के अनुसार जुलाई 2021 में लिया गया था," समूह ने कहा।
इससे पहले जनवरी में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी (Subramanian Swamy) ने दावा किया था कि अडाणी समूह के पास बैंकों का 4.5 लाख करोड़ रुपये एनपीए के रूप में बकाया है। उन्होंने सवाल पूछा कि अबतक हर दो साल में इस समूह की संपत्ति दोगुनी हो जा रही है, फिर भी वे जिन बैंकों का कर्ज लिए हुए हैं उसका कर्ज क्यों नहीं चुका रहे हैं। स्वामी ने एक ट्वीट में कटाक्ष करते हुए लिखा कि अगर मैं गलत हूं तो मेरी गलती बताइए और हो सकता है कि जल्द जिस तरह उन्होंने छह एयरपोर्ट को खरीदा है, उसी तरह जल्द ही उन सभी बैंकों को खरीद लें जिसके वे कर्जदार हैं।
जिस तरह किसानों के लिए सरकार कर्जमाफी घोषित करती है, उसी तरह पूंजीपतियों के लिए एनपीए घोषित करती है। यानी एनपीए (NPA) का अर्थ बट्टाखाता में डालना होता है, जो पैसा सरकार को पूंजीपति कभी भी नहीं लौटाते हैं। इससे पहले मार्च 2018 में भी स्वामी ने अडाणी को सबसे अधिक एनपीए वाला औद्योगिक समूह बताया था। उन्होंने उस समय गौतम अडाणी पर 72 हजार करोड़ का एनपीए होने का दावा किया था और कहा था कि इस संबंध में उन्हें सूचना मिली है और इसका खुलासा सिर्फ जांच के आधार पर ही हो सकता है।
ब्लूमबर्ग के सितंबर 2017 के डेटा के अनुसार, अडाणी पाॅवर पर कुल 47,603.43 करोड़, अडाणी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) पर 8356.07 करोड़, अडाणी इंटरप्राजेज पर 22424.44 करोड़ और अडाणी इंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) पर 20791.15 करोड़ का कर्ज था। उस समय अडाणी के पास 11 बिलियन डाॅलर की संपत्ति थी और वह देश के 10वें सबसे धनी व्यक्ति थे। इन सवा तीन सालों में अडाणी की संपत्ति ढाई गुणा बढी है।
'स्क्राॅल' ने मई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के शासनकाल यानी 2014-2019 के बीच अडाणी समूह के तीव्र विस्तार पर एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट छापी थी। इसमें उन बिंदुओं की विस्तृत पड़ताल की गयी कि कैसे अडाणी समूह विभिन्न स्रोतों से पैसे लेकर विविध क्षेत्र में अपने कारोबार का विस्तार कर रहा है। इस रिपोर्ट में सरकारी क्षेत्र के बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के एक पूर्व बोर्ड मेंबर के नाम की गोपनीयता बनाए रखते हुए उनके हवाले से लिखा गया कि अडाणी इन्फ्रा अधिक कर्जदार होने के बावजूद भी कर्ज लेने में सक्षम है।
उनके अनुसार, 2014-15 में अडाणी इन्फ्रा के पास 57.64 रुपये की इक्विटी थी, लेकिन लगभग 2185.18 करोड़ रुपये की उधारी उस पर था, इसका मतलब है कि इस कंपनी में 38 पैसे में मात्र एक पैसा प्रमोटर यानी इसके वास्तविक मालिकान के पास से आया और बाकी पैसे अन्य जगह से उधार लिए गए। इसी तरह 2017-18 में इसमें इक्विटी 84.87 करोड़ रुपये थी लेकिन कुल उधार 9008.5 करोड़ रुपये थे।
अडाणी समूह के सर्वेसर्वा गौतम अडाणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी माने जाते हैं। साल 2018 में इकनोमिक एंड पॉलिटिकल वीकली ने भी एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें दावा किया गया था कि मोदी सरकार ने गुपचुप तरीके से स्पेशल इकोनॉमिक जोन यानी सेज से संबंधित नियमों में बदलाव करके अडाणी समूह को 500 करोड़ का फायदा पहुंचाया।
अगस्त 2016 में वाणिज्य विभाग ने स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स रूल्स (सेज नियमों), 2016 में संशोधन करते हुए उसमें एक नया प्रावधान जोड़ा था जो स्पेशल इकोनोॉमिक जोन्स एक्ट (सेज एक्ट) 2005 के तहत रिफंड दावों से संबंधित था। सेज एक्ट के तहत किए गए इस संशोधन से पहले किसी तरह के रिफंड का खोई प्रावधान नहीं था। इस लेख के लेखकों को मिली विश्वसनीय जानकारी के मुताबिक यह संशोधन खासतौर पर अडानी पावर लिमिटेड को लगभग 500 करोड़ रुपये के करीब की कस्टम ड्यूटी के रिफंड का दावा करने का मौका देने के लिए तैयार किया गया था।
नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब भी उनकी सरकार पर अडानी समूह को सस्ते दामों पर जमीन बेचने के आरोप लगते थे। साल 2014 की बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक अडाणी समूह ने अपने पोर्ट एंड स्पेशल इकनोमिक जोन प्रोजेक्ट के लिए नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार से 1 रुपये से 32 रूपये प्रति वर्ग मीटर के बीच जमीन हासिल की थी।
मोदी और अडाणी की दोस्ती काफी पुरानी और गहरी मानी जाती है। बीबीसी पर प्रकाशित आर्थिक विश्लेषक परंजॉय गुहार ठाकुरता ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया गया था कि दोनों की दोस्ती 2002 से ही शुरू हो गई थी। तब गुजरात हिंदू-मुस्लिमों दंगों से झुलस रहा था। व्यापार जगत की संस्था सीआईआई से जुड़े उद्योगपतियों ने उस वक्त हालात पर काबू पाने में ढिलाई बरतने पर मोदी की आलोचना भी की थी। तब मोदी गुजरात हिंसा को नजरअंदाज कर इस राज्य को निवेशकों के पसंदीदा ठिकाने के तौर पर पेश करने की कोशिश में थे। अडानी ने गुजरात के अन्य उद्योगपतियों को मोदी के पक्ष में करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सीआईआई के समानांतर एक और संस्था भी खड़ी करने की चेतावनी दी थी।