SC Sacked ADJ Leena : पत्नी की हत्या करने वाले को दी छोटी सजा तो लीना दीक्षित से छिन गया एडीजे का पद, SC को स्वीकार नहीं गुहार

SC Sacked ADJ Leena : आप दहेज हत्या के दोषी को पांच साल जेल की सजा कैसे दे सकती हैं? फिर दफा बदलकर 302 से 304ए कर दिया। क्या आपने यह भी नहीं सोचा कि आपको फैसला बदलने का अधिकार है भी या नहीं।

Update: 2022-07-12 06:25 GMT

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SC Sacked ADJ Leena : कहते हैं कि किसी भी बात या काम हो हल्के में नहीं लेना चाहिए। कई बार ऐसा करना जिंदगी भर के लिए महंगा साबित होता है। मध्य प्रदेश ( Madhya Pradesh ) में एडीजे रहीं लीना दीक्षित ( ADJ Leena Dixit ) की एक भूल ने उनसे जज का पद छीन लिया। अब वो पछतावा कर रही हैं, लेकिन इससे अब कोई लाभ नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए कि उनका पद छिन गया है। एमपी हाईकोर्ट ( MP High Court ) के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने भी मुहर लगा दी। यही वजह है कि अब लीना का जज बने रहने की संभावना खत्म हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट( Supreme Court )  ने एडिशनल सेशंस जज (ADJ Leena dixit ) लीना दीक्षित की रिट पिटिशन को खारिज कर दिया है। दरअसल, मध्य प्रदेश में एडीजे के तौर पर लीना ने एक व्यक्ति को दहेज हत्या का दोषी ठहराते हुए भी बहुत कम सजा दी थी। दहेज हत्या के मामले में दोषी को नाम मात्र की सजा देने के कारण प्रशासकीय समिति ने उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की थी जिसे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फुल कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। लीना ने एमपी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट गई थीं, लेकिन उन्हें यहां से भी राहत नहीं मिली।

SC Sacked ADJ Leena Dixit : क्या है पूरा मामला

बता दें कि एडीजे रहीं लीना दीक्षित (ADJ Leena dixit ) की अदालत में एक पति द्वारा पत्नी को जिंदा जलाने का मामला सामने आया था। पत्नि ने दम तोड़ने से पहले सारी घटना बता दी थी। घटनास्थल से केरोसिन तेल की मौजूदगी की भी पुष्टि हुई और तय हो गया कि पति ने ही पत्नी की निर्ममता से जान ली है। बतौर एडीजे लीना दीक्षित ने पति को दफा 302 के तहत हत्या का दोषी तो ठहराया, लेकिन उसे सिर्फ 5 वर्ष की जेल की सजा सुनाई। जबकि सीआरपीसी की धारा 302 के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति को मृत्यु दंड या उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।

कम से कम होनी चाहिए थी उम्र कैद की सजा

लीना दीक्षित (ADJ Leena dixit ) के इस फैसले से अपराध और सजा का संतुलन बिगड़ गया।जब सजा में नरमी के मामले ने जोर पकड़ा तो लीना ने खुद ही अपने जजमेंट की समीक्षा की और दफा 302 के बदले दफा 304ए के तहत दोषी बता दिया जिसमें ज्यादा से ज्यादा दो वर्षों की सजा होती है। जबकि दहेज हत्या का मामला दफा 304बी के तहत आता है और इसमें कम-से-कम सात साल की सजा का प्रावधान है जो अधिकतम उम्रकैद तक बढ़ाई जा सकती है।

समिति ने की थी पद से हटाने की सिफारिश

इस मामले जब तूल पकड़ा तो एमपी हाईकोर्ट प्रशासकीय समिति ने जज के इस व्यवहार को पद की गरिमा के खिलाफ माना और उन्हें हटाने की सिफारिश की। हाईकोर्ट की प्रशासकीय समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि लीना दीक्षित ने ऐसी गलती की है जिसका बचाव नहीं किया जा सकता। उन्होंने गैर कानूनी तरीके से 302 की दफा बदलकर 304ए कर दिया। साफ है कि लीना दीक्षित जज के गरिमामय पद के काबिल नहीं हैं।

क्या आप धारा 302 और 498ए का मतलब जानती हैं

SC Sacked ADJ Leena : एमपी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में लीना दीक्षित ने चुनौती दी। इस केस की सुनवाई जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एसआर भट और जस्टिस एस धूलिया ने की। लीना (ADJ Leena dixit ) ने अपने बचाव में दलील दी कि यह उनकी पहली गलती है और बारबार कहा कि चूंकि यह उनकी पहली और एकमात्र गलती है। इसलिए उन्हें पद से हटाना ठीक नहीं होगा। लीना की इन दलीलों पर को शीर्ष अदालत ने स्वीकार नहीं किया। आप किसी व्यक्ति को हत्या का दोषी ठहराकर पांच साल की जेल की सजा कैसे दे सकती हैं? फिर आपने दोष की दफा बदलकर 304ए कर दिया। ऐसा करते वक्त आपने यह भी नहीं सोचा कि आपको अपना फैसला बदलने का अधिकार है भी या नहीं। क्या आप धारा 302 और 498ए (दहेज प्रताड़ना) का मतलब जानती हैं।

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