मेडिकल में 50 फीसदी ओबीसी आरक्षण की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने​ किया खारिज, पढ़िए क्या दिया तर्क

तमिलनाडु सरकार और एआईएडीएमके ने यह कहते हुए राहत की मांग की थी कि हाईकोर्ट ने यह निर्दिष्ट नहीं किया था कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र में ही ओबीसी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए, केंद्र सरकार ने यह तर्क दिया कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में पचास प्रतिशत कोटा लागू करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं होगा.....

Update: 2020-10-26 15:44 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें नीट काउंसिलिंग में पचास फीसदी ओबीसी आरक्षण की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2020-21 के शैक्षणिक सत्र के लिए स्नातक, परास्नातक और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में अखिल भारतीय कोटा में तमिलनाडु राज्य की मेडिकल सीटों पर पचास फीसदी ओबीसी आरक्षण देने की याचिका को खारिज कर दिया।

जानकारी के मुताबिक, जस्टिस एल. नागेश्वर राव, हेमंत गुप्ता और अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय बेंच ने मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए पचास फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने की दलीलों की याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि तमिलनाडु सरकार और एआईएडीएमके ने 27 जुलाई को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें अखिल भारतीय खोटा (AIQ) की मेडिकल सीटों के तहत गैर केंद्रीय संस्थानों में ओबीसी आरक्षण देने से इनकार कर दिया गया था। केंद्र को प्रतिशत निर्धारण के लिए तीन महीने का वक्त दिया गया था।

तमिलनाडु सरकार और सत्तारूढ़ एआईएडीएमके ने अपने सीमित पॉइंट्स में यह कहते हुए राहत की मांग की थी कि हाईकोर्ट ने यह निर्दिष्ट नहीं किया था कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र में ही ओबीसी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार ने यह तर्क दिया कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में पचास प्रतिशत कोटा लागू करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं होगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट को 13 जुलाई को तमिलनाडु सरकार समेत उन सभी याचिकाओं पर फैसला करने को कहा था जो केंद्र सरकार द्वारा राज्य की मेडिकल सीटों में पचास फीसदी आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर की गईं थीं। याचिका में यह मांग 2020-21 सत्र की स्नातक और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिे थी। तमिलनाडु सरकार ने 2 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का रूख करते हुए आग्रह किया था कि वे हाईकोर्ट को फैसला देने के लिए निर्देशित करे। राज्य सरकार और विभिन्न राजनीतिक दलों ने तमिलनाडु के कानून के अनुसार ओबीसी को पचास फीसदी आरक्षण नहीं दने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 

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