US Princeton University Study Report : दिल्ली, कोयंबटूर और राजकोट के सुविधाभोगी परिवारों की लाइफस्टाइल प्रदूषण के लिए उद्योगों से ज्यादा जिम्मेदार

US Princeton University Study Report : दिल्ली, कोयंबटूर और राजकोट शहर में वायु प्रदूषण को लेकर प्रिंसटन युनिवर्सिटी का शोध रिपोर्ट चौंकाने वाला है। पहली बार किसी शोध अध्ययन में यह माना गया है कि अमीर परिवारों की लाइफस्टाइल वायु प्रदूषण के लिए ज्यादा जिम्मेदार है।

Update: 2022-08-28 05:57 GMT

US Princeton University Study Report : दिल्ली, कोयंबटूर और राजकोर्ट के सुविधाभोगी परिवारों की लाइफस्टाइल प्रदूषण के लिए उद्योगों से ज्यादा जिम्मेदार

US Princeton University Study Report : अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय की ओर से वायु प्रदूषण ( Air Pollution ) को लेकर किए गए एक शोध अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अभी तक हम वायु प्रदूषण के लिए औद्योगिक इकाईयों को ज्यादा जिम्मेदार ठहराते आये हैं लेकिन सच इसके उलट है। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली ( Delhi ) , कोयंबटूर ( Coimbatore ) और राजकोट ( Rajkot ) में वायु प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार सुविधाभोगी परिवारों की लाइफस्टाइल ( Rich Family Lifestyle ) है। दिल्ली में तो 43 फीसदी वायु प्रदूषण के लिए 20 फीसदी सुविधाभोगी परिवारों की लाइफस्टाइल जिम्मेदार है। चिंता की बात ये है कि इन परिवारों की लाइफस्टाइल से होने वाला प्रदूषण औद्योगिक प्रदूषण से ज्यादा है। यानि दिल्ली का सबसे ज्यादा शिक्षित और संभ्रांत माना जाने वाला तबका सबसे ज्यादा प्रदूषण फैला रहा है।

वायु प्रदूषण से होती है हर साल 70 लाख से ज्यादा मौतें

वायु प्रदूषण ( Air Pollution ) से दुनिया में हर साल 70 लाख से ज्यादा मौतें होती हैं। भारत में सिर्फ 20 फीसदी अमीर परिवार सबसे ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं। अगर ये परिवर अपनी ऊर्र्जा खपत में 10 प्रतिशत की भी कमी कर दें तो वायु प्रदूषण में 6 से 10 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय ने भारत के तीन बड़े शहरों, दिल्ली कोयंबटूर और राजकोट को लेकर किए गए अपने शोध में इस बात का खुलासा किया है। इन शहरों में रहने वाले लोगों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर पांच भागों में बांटा गया। फिर इस बात का अध्ययन किया गया कि उन्होंने कितनी ऊर्जा का इस्तेमाल किया और उससे कितनी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हुआ।

प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शोध से पता चला कि दिल्ली के सिर्फ 20 प्रतिशत सबसे सुविधा संपन्न परिवार कुल वायु के 43 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है। सिर्फ वाहनों के जरिए होने वाले प्रदूषण ( Air Pollution ) में इनकी हिस्सेदारी 61 प्रतिशत है। एसी, गीजर, फ्रिज जैसे उपकरणों के अधिक इस्तेमाल की वजह से घरों से सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैसें निकल रही हैं। दिल्ली में ये सुविधा संपन्न परिवार घातक पीएम 2.5 कणों के उत्सर्जन के लिए 21 प्रतिशत जिम्मेदार हैं तो कोयंबटूर में 28 प्रतिशत। हालांकि, राजकोट में यह उद्योगों 28 प्रतिशत के मुकाबले कम 18 प्रतिशत है। संपन्न परिवारों के चलते हो रहा ग्रीन हाउस गैस और पीएम 2.5 कणें का उत्सर्जन शहरों के उद्योगों से भी ज्यादा है। दिल्ली और राजकोट में तो हालात एक जैसे ही हैं।

तमिलनाडु के कोयंबटूर में सुविधा संपन्न लोगों के मुकाबले 25 प्रतिशत उद्योग से ज्यादा 40 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैस पैदा पैदा कर रहे हैं। शोधकर्ता अजय नागपुरे कहते हैं कि सरकार को सौर ऊर्र्जा जैसे ग्रीन एनर्जी आधारित परिवहन को बढ़ावा देना होगा। सबसे गरीब तबके को कुकिंग फ्यूल पर सब्सिडी से हालात बदलेंगे। हालांकि, सरकार ने ग्रीन एनर्जी पर जीएसटी बढ़ा दी है।

प्रिंसटन यूनिवर्सिटी ने प्रदूषण ( Air Pollution ) के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार कौन विषय पर अध्ययन इन शहरों के आय वर्ग, उद्योगों में ऊर्र्जा खपत, म्युनिसिपल वेस्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर, कुकिंग फ्यूल, परिवहन जैसे 7 कारकों को आधार पर तैयार किया है। खास बात यह है कि दुनिया के 30 सबसे जयादा प्रदूषित शहरों में से 22 भारत में हैं।

ईंधनजनित प्रदूषण में गरीबों की हिस्सेदारी 99 प्रतिशत

चिंता की बात ये भी है कि शहरों में 35 प्रतिशत घरों में अब भी एलपीजी या नैचुरल गैस नहीं हैं। ये ईंधन के लिए केरोसीन या उपलों पर निर्भर हैं। 7 प्रतिशत घरों में उजाले के लिए बिजली तक नहीं है। यही वजह है कि गरीबों के घरों में खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हैं। शहरों में होने वाले कुल ईंधनजनित प्रदूषण में गरीबों की हिस्सेदारी 99 प्रतिशत है।

रिच फैमिली ग्रीन हाउस उत्सर्जन के लिए भी सबसे ज्यादा जिम्मेदार

US Princeton University Study Report : दिल्ली में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन धनी परिवारों की लाइफस्टाइल की वजह से 25 प्रतिशत, उद्योगों से 19 प्रतिशत और कमर्शियल गतिविधियों से होने वाला प्रदूषण 24 प्रतिशत है। इसी तरह कोयंबटूर की बात करें तो धनी परिवारों से 25 प्रतिशत, उद्योगों से 40 प्रतिशत और कमर्शियल गतिविधियों की वजह से 13 प्रतिशत है। राजकोट्र में यह दर क्रमश : 26, 30 और 11 प्रतिश है। जहां तक पीएम 2.5 कणों की बात है तो दिल्ली में धनी परिवार के लोगों का योगदान 21 प्रतिशत, उद्योगों का 21 प्रतिशत और कमर्शियल गतिविविधयों की वज से 29 प्रतिशत होता है। कोयंबटून में क्रमश 28,28 और 12 प्रतिश है। जबकि राजकोट में क्रमशः 18, 36 और 8 प्रतिशत है।

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