मेरठ के 5 निजी अस्पतालों में दसवीं पास करते हैं 'मरीजों का इलाज', मेडिकल टीम की जांच में खुुलासा

कोरोना संकट के दौर में अगर दसवीं पास पारा मेडिकल स्टाफ मरीजों की जांच करने लगे तो रोगियों का इलाज तो नामुमकिन है, कोरोना संक्रमण भी फैलने का खतरा बढेगा

Update: 2020-08-08 05:24 GMT

जनज्वार, मेरठ। कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में मेरठ के कुछ निजी अस्पतालों की एक मेडिकल टीम द्वारा की गई जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। एक्सपर्ट मेडिकल टीम द्वारा पांच अस्पतालों की की गई जांच में यह तथ्य सामने आया है कि अस्पताल के मैनेजर डाॅक्टर की जगह मरीजों को अटेंड करते हैं। इस काम मेें पारामेडिकल कर्मी भी साथ होते हैं। दिलचस्प यह कि इन दोनों तरह के अस्पताल स्टाॅफ की शैक्षणिक योग्यता मात्र दसवीं पास होती है।

मेरठ उत्तरप्रदेश का एक प्रमुख शहर है और वहां के अस्पतालों का ऐसा हाल चौंकाने वाला है। अस्पतालों की यह जांच चीफ मेडिकल आफिसर के नेतृत्व में एक टीम ने पिछले दिनों की थी और इस संबंध में शुक्रवार को अस्पतालों को नोटिस भेजा गया है और राज्य के स्वास्थ्य विभाग को इस संबंध में रिपोर्ट भी किया गया है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की मेरठ यूनिट के डाॅ अनिल नवशरण ने कहा है कि उन पांच अस्पतालों में एक भी डाॅक्टर नहीं था। वहां के दूसरे स्टाफ केवल दसवीं पास हैं। उन अस्पतालों में बायोमेडिकल डिस्पोजल कचरे को नष्ट करने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। सोशल डिस्टेंसिंग की कोई व्यवस्था नहीं है और कोविड जांच की भी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसी स्थिति में वहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों की कोविड जांच भी नहीं हो सकती है।

अस्पताल की जांच की में वहां डाॅक्टरों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी नहीं मिला। एक अस्पताल में तो एक महिला ओपीडी में कोरोना मरीजों को अटेंड करती पायी गई। उस महिला ने इस संबंध में सवाल किए जाने पर कहा कि वह सिर्फ यहां बैठी है। कुछ अस्पतालों में कुछ पारा मेडिकल कर्मियों ने कहा कि उनके पास बीएससी की डिग्री है। हालांकि किसी भी अस्पताल में एमबीबीएस डिग्री धारी कोई मेडिकल स्टाफ नहीं मिला। 

इस संबंध में अस्पतालों ने अपने जवाब में कहा है कि वे इसका हल निकालेंगे। अस्पतालों की फिर दोबारा जांच की जाएगी और इस तरह की व्यवस्था दुरुस्त नहीं किए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। मेरठ में अबतक 2353 कोरोना केस मिल चुके हैं। वैसे में अस्पताल की व्यवस्था को लेकर ऐसी लापरवाही हालात की गंभीरता को बताती है।

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