चेहरा पहचान सॉफ्टवेयर की मदद से 5 साल बाद यूपी के परिवार का गायब बच्चा असम के बाल कल्याण केंद्र से बरामद

तेलंगाना की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (महिला सुरक्षा शाखा) स्वाति लाकड़ा ने शुक्रवार 9 ​अक्टूबर को बताया कि असम के ग्वालपाड़ा स्थित एक बाल गृह में बच्चे का पता चला...

Update: 2020-10-10 06:42 GMT

हैदराबाद, जनज्वार। तेलंगाना पुलिस ने उत्तर प्रदेश से पांच साल पहले कथित रूप से लापता हुए एक बच्चे का चेहरे की पहचान करने वाले उपकरण दर्पण के माध्यम से पता लगाकर उसे उसके परिवार से मिलाने में कामयाबी हासिल की है। सोम सोनी नामक यह बच्चा 2015 में इलाहाबाद के हंडिया से अपने परिवार से बिछड़ गया था और फिलहाल वह असम के एक बाल गृह में रह रहा था।

तेलंगाना की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (महिला सुरक्षा शाखा) स्वाति लाकड़ा ने शुक्रवार 9 ​अक्टूबर को बताया कि असम के ग्वालपाड़ा स्थित एक बाल गृह में बच्चे का पता चला।लापता लड़के को 23 जुलाई 2015 को ग्वालपाड़ा पुलिस ने स्थानीय बाल कल्याण केंद्र में भेज दिया था।

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अधिकारी ने बताया कि तेलंगाना पुलिस द्वारा विकसित चेहरा पहचान सॉफ्टवेयर दर्पण देश के विभिन्न बचाव केंद्रों में रह रहे बच्चों और लोगों का डाटाबेस तैयार रखता है। लाकड़ा ने बताया कि यह ऐप लापता लोगों के फोटो का इन केंद्रों में रह रहे लोगों के फोटो से मिलान करता है और तेलंगाना पुलिस ने उसकी मदद से लापता बच्चों के फोटो का देश के विभिन्न बाल कल्याण केंद्रों के बच्चों की तस्वीरें से मिलान किया तब इस लड़के का पता चला।

तेलंगाना पुलिस ने तुरंत हंडिया पुलिस स्टेशन, इलाहाबाद के संबंधित स्टेशन हाउस अधिकारी (एसएचओ) को सूचित किया, जिन्होंने लापता बच्चे के माता-पिता को सूचित किया। वे बाल कल्याण केंद्र पहुंचे और अपने बच्चे की पहचान की।

पुलिस अधिकारी ने कहा कि तेलंगाना राज्य पुलिस ने पांच साल बाद बच्चे को उसके माता-पिता से मिलाकर बड़ी भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा कि ह्यदर्पण के माध्यम से पूरे भारत में कई लापता बच्चों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि उन्हें उनके परिवार के पास भेजा जा सके।

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