आखिर अखिलेश यादव के बुन्देलखण्ड दौरे से क्यों उड़ गई है BJP की नींद? जानिए आंकड़ों की ज़ुबानी
UP Election 2022 : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने तीन दिनों के बुन्देलखण्ड दौरे के बाद वापस लौट चुके हैं। विजय रथ यात्रा से उन्होंने जो हलचल बुन्देलखण्ड में पैदा की है
लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट
UP Election 2022 : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने तीन दिनों के बुन्देलखण्ड दौरे के बाद वापस लौट चुके हैं। विजय रथ यात्रा से उन्होंने जो हलचल बुन्देलखण्ड में पैदा की है, उसके बाद सबसे अधिक चिंता की लकीरें भाजपा नेताओं के माथे पर है। भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बुन्देलखण्ड की सभी 19 विधानसभा सीटें उसके खाते में हैं और इस लिहाज से चुनावी मौसम में मतदाता उससे किसी भी तरह की बहानेबाजी सुनने के मूड में नहीं है। भाजपा के सामने अपने पिछले प्रदर्शन को बरकरार रखने का बड़ा दवाब है और ऐसे माहौल में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की रथ यात्राओं ने भाजपा खेमे के नेताओं की धड़कनें बढ़ा दी हैं। भाजपा के रणनीतिकार लगातार इस पर नजर बनाये थे और आने वाले दिनों में किसी जवाबी कार्यक्रम की भी तैयारी कर रहे हैं, जिससे उसकी उपस्थिति या दमदारी को लेकर किसी भी तरह कमजोर होने का संदेश जनता में न जाये।
अखिलेश यादव अभी तीन दिनों के दौरे पर बुन्देलखण्ड में थे। एक दिसम्बर को बांदा व महोबा, दो दिसम्बर को ललितपुर और तीन दिसम्बर को वे झांसी पहुँचे थे। इन तीन दिनों में अपनी विजय रथ यात्रा के साथ बुन्देलखण्ड के चार जिलों में अखिलेश ने जो सभाएं की, उनमें बेतहाशा भीड़ उमड़ी। इस भीड़ से एक ओर जहां अखिलेश यादव और सपा खेमा उत्साहित नजर आया तो दूसरी ओर भाजपा ने इस पूरे सियासी आयोजन को एक चुनौती के रूप में लिया है। अखिलेश यादव एक ओर जहां लोगों की नब्ज टटोलने की कोशिश करते दिखे तो यहां के सामाजिक समीकरणों पर भी उनका खास फोकस रहा। भाजपा और बसपा के कोर समर्थक माने जाने वाले समाज के लोगों को लुभाने की अखिलेश यादव की कोशिशें भी दिखाई दी और उन्होंने मंच से लेकर आयोजन तक में कई ऐसे समाजों से ताल्लुक रखने वाले कई नेताओं को प्रमुखता देकर यह संदेश देने का प्रयास किया।
समाजवादी पार्टी के झांसी जिले के अध्यक्ष महेश कश्यप जनज्वार से बात करते हुए दावा करते हैं कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा के बाद भाजपा के बुन्देलखण्ड के सभी 19 विधायकों की नींद उड़ चुकी है। इस रथयात्रा में जो भीड़ दिखी, वह आम लोगों की भीड़ है, जो सत्ता परिवर्तन चाहते हैं। उनकी यात्रा के दौरान बहुत सारे लोग दूसरे पार्टियों से आकर सपा में शामिल हुए। अभी तो राष्ट्रीय अध्यक्ष की रथयात्रा हुई है। इसके बाद आने वाले दिनों में बुन्देलखण्ड में बड़ी सभाएं होनी हैं। भाजपा सरकार में महंगाई चरम पर है। डीजल की कीमत साठ से सौ पर पहुंच गई। भर्तियों के नाम पर बेरोजगारों का पैसा खाया जा रहा है। पेपर लीक हो रहे हैं। यह मजबूत सरकार नहीं बल्कि लीक सरकार है। आम मतदाता सपा की सरकार बनाने का मन बना चुका है।
दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय महासंपर्क अभियान के प्रदेश सह संयोजक चंद्रभान राय कहते हैं कि सपा की रैलियों में भाड़े की भीड़ बुलाई गई थी और ऐसी भीड़ से हम कत्तई टेंशन में नहीं हैं। यह पूरा आयोजन भीड़तंत्र का परिचायक था न कि लोकतंत्र का। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह लगातार काम किया है, उससे लोग सुकून महसूस कर रहे हैं। गुंडागर्दी और सामाजिक अत्याचार खत्म हुआ है। भाजपा सरकार में डिफेंस कॉरिडोर और बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस वे जैसे कामों से विकास के रास्ते खुले हैं। हम बुन्देलखण्ड में 2017 का इतिहास दोहराएंगे और सभी 19 सीटों पर जीत हासिल करेंगे।
विधानसभा चुनाव 2022 का औपचारिक ऐलान चुनाव आयोग की ओर से होने में बस कुछ ही समय बाकी है। इससे पहले यहां सियासी दलों की गतिविधियां पूरी तरह से जोर पकड़ रही है और सभी दलों की नजर बुन्देलखण्ड के सियासी किले पर है। सीटों और मुद्दों दोनों के ही लिहाज से बुन्देलखण्ड सत्ता के समीप पहुँचने या छिटकने का कारण बन सकता है। ऐसे में कोई भी दल यहां अपनी तैयारी में कोर कसर छोड़ना नहीं चाहता। बसपा और कांग्रेस जैसे दल भी खुद के वजूद को साबित करने की जंग में यहां मैदान तलाश रहे हैं। फिलहाल पिछले कुछ समय से बुन्देलखण्ड में चहलकदमी कर रहे अखिलेश यादव और उनकी हालिया रथयात्रा ने ठहरे हुए पानी में हलचल तो मचा दी है।