जातिवादी सरकारों के आगे नहीं झुकेगा BSP का आंदोलन, अंबेडकर जयंती पर मायावती की हुंकार

Ambedkar Jayanti 2022 : मायावती ने कहा कि जातिवादी सरकारें उपेक्षित वर्ग के नेताओं को अपने समाज का भला करने की छूट नहीं देती है। अगर दलित नेता अपने समाज के लोगों के लिए कुछ करने का प्रयास करता है तो उसको दूध की मक्खी की तरह निकाल दिया जाता है।

Update: 2022-04-14 03:37 GMT

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Ambedkar Jayanti 2022 : आज बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती है। इस अवसर पर बसपा सुप्रीमो मायावती ( Mayawati ) अरसे बाद अपने पुराने तेवर में नजर आई। उन्होंने जातिवादी और पूंजीवादी सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि बसपा का आंदोलन ( BSP ka andolan ) उसके सामने नहीं झुकेगा। दलितों, कमजोर वर्ग के लोगों और गरीबों के सशक्त बनाने का बसपा का आंदोलन नवरत जारी रहेगा।

दलित विरोधी है जातिवादी सरकार

जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त विरोधी पार्टियां और उनकी सरकारें मुगालते में न रहे। हमारा आंदोलन न तो झुकेगा न ही रुकेगा। यह अनवरत चलता रहेगा। मायावती ने कहा कि जातिवादी सरकारें उपेक्षित वर्ग के नेताओं को अपने समाज का भला करने की छूट नहीं देती है। अगर दलित नेता अपने समाज के लोगों के लिए कुछ करने का प्रयास करता है तो उसको दूध की मक्खी की तरह निकाल दिया जाता है, जैसा कि अब तक यहां होता रहा है, इसीलिए इन वर्गों की हालत अभी तक मजबूर व लाचार है और यह बहुत ज्यादा दुखद है।

सामाजिक समरसता दिवस

दूसरी तरफ यूपी भाजपा अम्बेडकर जयंती को सामाजिक समरसता दिवस के रूप में मना रही है। भाजपा के केंद्र और यूपी सरकार के मंत्री प्रदेश में होने वाले अम्बेडकर जयंती के कार्यक्रम में शामिल होंगे। भाजपा कार्यालयों और सरकार के मंत्री, विधायक, सांसद और सभी पदाधिकारी अपने कार्यालयों पर अम्बेडकर की तस्वीरों पर माल्यार्पण करेंगे।

Ambedkar Jayanti 2022  : बता दें कि आज देशभर में बाबा साहेब भीमराव अंबेडर की जयंती मनाने का सिलसिला सुबस से ही जारी है। बाबा साहेब ने एक ऐसे लोकतांत्रिक भारत की कल्पना की थी जो एक मिसाल कायम कर सके। उन्होंने हमेशा, कमजोर, दलित, पिछड़ों को मनोबल को बढ़ाने वाला काम किया, ताकि समाज में हर तबके का व्यक्ति आत्मसम्मान के साथ जीवन जी सके। डॉ. भीम राव अम्बेडकर ( Bhim rao ambedkar ) के अविश्वसनीय काम के लिए साल 1990 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया था। दलितों के अधिकारों के प्रवर्तक बाबा साहेब ने जीवनभर स्वतंत्र और मजबूत, अखंड भारत, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, दलितों के सशक्तिकरण, समरस समाज स्थापित करने और कमजोर आवाज को उठाने में लगा दिया।

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