कोरोना महामारी के बीच योगी सरकार के मेडिकल छात्रों के लिए निकाले 'सुनहरी सेवा' के विज्ञापन का विरोध शुरू

मानदेय को लेकर एमबीबीएस, बीएससी, इंटर्न, रेजीडेंट डॉक्टरों तथा नर्सिंग स्टाफ ने कड़ा विरोध जताया है...

Update: 2021-05-10 07:31 GMT

जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कोविड अस्पतालों में स्वास्थकर्मियों को एक निश्चित मानदेय पर नियुक्त करने के लिए चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय ने आवेदन मांगा है। इस बाबत निदेशालय की तरफ से रविवार को विज्ञापन भी जारी कर दिया गया है। संगठनो की आपत्ती सेवा में मानदेय दिए जाने को लेकर है। जिसमें वार्ड ब्वाय को 359 रूपये तथा एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों को 300 रूपये कोरोना सेवा मानदेय देने की जानकारी दी गई है।

प्रदेश की योगी सरकार ने कोविड अस्पतालों व उससे जुड़ी सेवाओं में स्वास्थकर्मियों की कमी को देखते हुए एक निश्चित मानदेय पर निजी तथा सेवानिवृत्त डॉक्टरों, नर्स, पैरामेडिकल, एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों सहित एमएससी-बीएससी नर्सिंग छात्राओं की नियुक्त करने का आदेश दिया था। जिसके बाद चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय ने सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सा संस्थानो में नियुक्ति वाला विज्ञापन दिया है।   

योगी सरकार द्वारा जारी करवाए गए इस विज्ञापन के मुताबिक एमबीबीएस अंतिम वर्ष व बीएससी जीएनएम के छात्रों के लिए 300 रूपये प्रति शिफ्ट मानदेय देने की जानकारी दी गई है। वहीं वार्ड ब्वाय और सफाई कर्मचारी को 359 रूपये मानदेय दर्शाया गया है। शिक्षा के अनुसार मानदेय को लेकर एमबीबीएस, बीएससी, इंटर्न, रेजीडेंट डॉक्टरों तथा नर्सिंग स्टाफ ने कड़ा विरोध जताया है। विरोध सहित महानिदेशक शिक्षा सहित शासन से शिकायत दर्ज कराई गई है।

मामले में महानिदेशालय के अधिकारी का कहना है कि छात्रों को कोई भत्ता या मानदेय नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि वह पढ़ाई कर रहे होते हैं। लेकिन वार्ड ब्वाॉय को श्रम विभाग के अनुसार न्यूनतम वेतन देना जरूरी है। इसलिए इसमें आपत्ति जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए। एमबीबीएस छात्रों से उनके कॉलेज में ही सेवा ली जाएगी। इसके अलावा वार्ड ब्वाॉय को एएनएम से जो मिलता है उसमें 25 प्रतिशत बढ़ाकर दिया जा रहा है।   

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