Ashish Mishra Surrenders : लखीमपुर खीरी मामले में आशीष मिश्रा ने किया सरेंडर, किसानों को कुचलने के मामले में हत्यारोपी हैं केंद्रीय मंत्री के बेटे
Ashish Mishra Surrenders : 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को एक सप्ताह के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया था।
Ashish Mishra Surrenders : अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी ( lakhimpur Khiri Case ) में किसानों को गाड़ी से के मामले में हत्यारोपी केंद्रीय मंत्री अंजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा ( Ashish Mishra ) ने रविवार यानि 24 अप्रैल को सरेंडर ( Surrender ) कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने पिछले हफ्ते उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) से मिली जमानत को रद्द करते हुए 7 दिनों के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया था। लखीमपुर खीरी के किसानों को कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा को शनिवार को सरेंडर करने के बाद दोबारा जेल में भेज दिया गया है।
दरअसल, तीन अक्टूबर 2021 को किसान आंदोलन के दौरान लखीमपुर खीरी ( Lakhimpur Khiri ) में किसानों को कुचलने की घटना हुई थी। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र पर हत्या समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के साथ जेल भेज दिया गया था। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फरवरी 2022 में जमानत दी थी। हाईकोर्ट के आदेश को लेकर तमाम संगठनों व बुद्धिजीवियों ने सवाल उठाए थे।
इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कर दी गई थी। शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा था कि पीड़ितों को हर स्तर पर सुनवाई का अधिकार है। शिकायत के मुताबिक इस केस में पीड़िता को सुनवाई के अधिकार से वंचित किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कई अप्रासंगिक तथ्यों और अनदेखे उदाहरणों को ध्यान में रखकर फैसला दिया था। इस पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को आदेश दिया था कि एक हफ्ते में आशीष मिश्रा सरेंडर करें।
दवे ने की थी नई पीठ को सुनवाई सौंपने की मांग
Ashish Mishra Surrenders : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा था कि आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर हाईकोर्ट नए सिरे से विचार करे। पीड़ितों के वकील दुष्यंत दवे ने गुजारिश की थी कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को सुप्रीम कोर्ट निर्देश दे कि इस बार किसी अन्य पीठ के सामने ये मामला जाए। सीजेआई ने कहा कि ऐसा आदेश पारित करना उचित नहीं होगा। हमें यकीन है कि वही जज दोबारा इस मामले को सुनना भी नहीं चाहेंगे।