Banda News: योगी राज में अस्पतालों का बुरा हाल, हजार रूपये सुविधा शुल्क नर्स को नहीं दिया तो गर्भवती को भगाया, प्रसूता ने रेलवे पटरी के पास दिया बच्ची को जन्म

Banda News, Banda Samachar। केंद्र और प्रदेश सरकार प्रसूताओं को तमाम तरह की सुविधाएं दिये जाने के दावे कर रही है। इसका लाभ कितना प्रसूताओं को मिल रहा है। इसकी एक नजीर यूपी के बांदा जिले के अतर्रा सीएचसी में देखने को मिली।

Update: 2022-09-17 12:44 GMT

Banda News: योगी राज में अस्पतालों का बुरा हाल, हजार रूपये सुविधा शुल्क नर्स को नहीं दिया तो गर्भवती को भगाया, प्रसूता ने रेलवे पटरी के पास दिया बच्ची को जन्म

Banda News, Banda Samachar। केंद्र और प्रदेश सरकार प्रसूताओं को तमाम तरह की सुविधाएं दिये जाने के दावे कर रही है। इसका लाभ कितना प्रसूताओं को मिल रहा है। इसकी एक नजीर यूपी के बांदा जिले के अतर्रा सीएचसी में देखने को मिली। यहां तैनात स्टॉफ नर्स ने प्रसूता को भर्ती करने के बाद मेडिकल स्टोर से दवाये मगाई और एक हजार रूपयें रिशवत की मांग की,पैसा नहीं देने पर बिना प्रसव कराये रेफर कर दिया।

इस बीच घर जा रही प्रसूता ने बीच सड़क पर बेटी को जन्म दिया। जिसने भी देखा शर्मसार हो गया । वहां मौजूद महिलाओं ने बारिश के दौरान प्लास्टिक की पन्नी को ओढ़ाकर प्रसव कराया गया। इसके बाद आक्रोशित परिजन अस्पताल पहुंचे, डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों से तीखी नोकझोंक भी हुई। परिजनों ने नर्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

जानकारी के मुताबिक अतर्रा कस्बा के बदौसा रोड पर स्थिति राजा तालाब इलाके के रहने वाली गर्भवती छोटी को प्रसव पीड़ा होने पर उनकी जेठानी नीतू व अन्य पारिवारिकजनों ने स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराने के लिए गये। यहां ड्यूटी में तैनात डॉक्टर सहित स्टाफ नर्स ने प्रसूता छोटी को भर्ती करने के बाद तीमारदारों से बाहर से दवाईयां मंगाई। इसके बाद एक हजार रुपये प्रसव कराने के नाम पर सुविधा शुल्क मांगे।

पैसा नहीं देने पर किया रेफर

प्रसूता छोटी गरीब थी। उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि नर्स को दे सके। प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती गिडगिड़ाती रही किसी ने नहीं सुना। उल्टे नर्स उग्र होकर लड़ाई में आमादा हो गई और प्रसूता को जिला अस्पताल रेफर का पर्चा थमाते हुए तत्काल जाने को कहा। कई बार गिडगिडाने के बाद भी डॉक्टर और स्टाफ नर्स नहीं माने तो प्रसूता के परिजनों ने अवैध उगाही होने पर जमकर हंगामा काटा।

रेलवे पटरी के पास बच्ची जन्मी

प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती छोटी को परिजन घर ले जाते समय रेलवे पटरी के पास खुले आसमान के नीचे प्रसव पीड़ा होने पर गर्भवती ने बेटी को जन्म दिया। आसपास के दुकानदारों ने आनन फानन प्लास्टिक पन्नी लाकर दिया। जिससे चारो तरफ घेरकर बरसात में पन्नी ओढ़ाकर प्रसव कराया। छोटी की जेठानी नीतू ने बताया कि प्रसव कराने के लिए सीएचसी में आए थे, जहां पर ड्यूटी में तैनात नर्स एवं महिला डॉक्टर ने प्रसूता को देखते हुए अस्पताल से बाहर का पर्चा लिखकर दवाई मंगाई।

इसके बाद स्टाफ नर्स ने प्रसव कराने के नाम पर एक हजार रुपये देने की मांग किया, जब हमने अपनी तंगहाली और लाचारी बताई तो वहां मौजूद स्टाफ नर्स व महिला डॉक्टर उग्र हो गए और लड़ाई में आमादा हो गए। एक हजार रुपये की मांग को पूरी न करने पर उन्होंने जिला अस्पताल का रेफर का पर्चा थमा दिया और अस्पताल से भगा दिया।

जांच करा कर कार्रवाई करेंगे

मामला सीएमओ तक पहुंचने पर सीएचसी अधीक्षक डॉ. अजय विश्वकर्मा से स्पष्टीकरण मांगा है । सीएचसी अधीक्षक डा.अजय विवशकर्मा ने बताया बुधवार को प्रसूता अस्पताल आयी थी। आरोप की जांच करके संबंधित नर्स सहित अन्य के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं सीएमओ डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने बताया सीएससी प्रभारी से स्पष्टीकरण मांगा है। कहाकि रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।

सरकार चला रही योजनायें

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। संस्थागत प्रसव, प्रसवपूर्व जांच, प्रसव उपरांत देखभाल, नियमित टीकाकरण, गृह आधारित नवजात देखभाल, कमजोर नवजात देखभाल एवं प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृ अभियान जैसे कई अभियान हैं, जिसके माध्यम से गुणवत्तापूर्ण मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है।

मृत्यु दर में कमी लाने के प्रयास

वर्ष 2025 तक वैश्विक स्तर पर पांच लक्ष्य निर्धारित मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए वैश्विक स्तर पर भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। एंडिग प्रिवेंटेबल मैटरनल मोर्टेलिटी ( ईपीएमएम) के तहत मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की प्रतिबद्धता जाहिर की गयी है। जिसके तहत पहले लक्ष्य में गर्भवती माताओं के लिए चार प्रसव पूर्व जांच को 90 फीसदी तक करने एवं दूसरे लक्ष्य के तहत 90 फीसदी प्रसव प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों के स्तर पर करने पर जोर दिया गया है। तीसरे लक्ष्य में प्रसव के उपरांत 80 फीसदी माताओं को प्रसव उपरांत देखभाल प्रदान कराने एवं चौथे में 60 फीसदी आबादी तक आपातकालीन प्रसूता देखभाल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही गयी है।

क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी अहम

इस सबंध में महिला चिकित्सक डा. लक्ष्मी सिंह ने बताया आशा एवं एएनएम स्वास्थ्य कार्यक्रमों की प्रथम एवं महत्वपूर्ण इकाई होती हैं। स्वास्थ्य कार्यक्रमों का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन से लेकर लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका अदा करती है। मातृ एवं शिशु मृत्यु में कमी लाने के लिए ये दिन-रात कार्य कर रही हैं। कोविड के दौर में भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की सामान्य एवं आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से चल रही है। सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए लेबर रूम में जरूरी एहतियात बरते जा रहे हैं।

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