भइया (विकास दुबे) मरे हैं...गैंग खत्म नहीं है, सरेंडर करने से पहले गरजा था दीपक दुबे

कानपुर का कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे का भाई दीपक दुबे अपने भाई के गैंग को फिर सक्रिय करने की कोशिशों में लगा हुआ है...

Update: 2020-12-27 06:07 GMT

गैंगस्टर विकास दुबे. File Photo. 

कानपुर, जनज्वार। चर्चित बिकरु कांड में कुख्यात विकास दुबे के मारे जाने के बाद उसका भाई दीपक गैंग की कमान अपने हाथ में लेने की रणनीति तैयार कर रहा था। वह गैंग के सदस्यों को जमानत मिलने का इंतजार कर रहा था। उसके फ़ोन की कॉल रिकॉर्डिंग से तमाम बातों का खुलासा हुआ है। एक व्यक्ति से बात करते हुए दीपक कह रहा है कि भइया मरे हैं...गैंग खत्म नहीं हुआ है।

मंगलवार, 22 दिसंबर को लखनऊ की अदालत में सरेंडर करने वाला दीपक, जेल भेज दिया गया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ दीपक और उसके कई परिचितों के फोन टेप कर रही थी। जिसकी भनक लगने पर दीपक नंबर बदल-बदल कर बात कर रहा था। इसी एक टेप कॉल में वह गैंग की कमान अपने हाथ मे लेने की बात कर रहा है।

एक रिकॉर्ड टेप में दीपक दुबे पुलिस द्वारा विकास को मार देने का बदला लेने की भी बात कर रहा है। उसने कहा भइया मर गए हैं लेकिन गैंग अभी जिंदा है। पुलिस ने गैंग के समीकरणों का इतिहास निकाला था, जिसमें लगभग 20 से जादा लोगों के नाम सामने आए थे। इन सदस्यों में कुछ बिकरु कांड में जेल गए हैं। अन्य की भूमिका सीधे तौर पर पुलिस को नहीं मिली थी। सूत्रों का कहना है कि दीपक सभी सदस्यों के संपर्क में था।

बिकरु कांड में पुलिस ने दीपक को आरोपी नहीं बनाया था, क्योंकि वारदात के समय उसकी लोकेशन घटनास्थल पर नहीं मिली थी। जबकि पुलिस ने उसकी रायफल घटना में इस्तेमाल होने की पुष्टि की थी। ऐसे में उसे आरोपी नहीं बनाया जाना, यह बात हैरान करती है। इसी तरह गुड्डन त्रिवेदी और जय बाजपेई की लोकेशन बिकरु में नहीं मिली थी, लेकिन यह लोग साजिश में शामिल थे।

बिकरु हत्याकांड के बाद दीपक फरार हो गया था। फरारी के दौरान दीपक काफी समय चित्रकूट और उसके आसपास रहा। इसके बाद वह मध्य प्रदेश चला गया। एमपी में ही उसने अधिकतर समय बिताया। पुलिस और एसटीएफ अब उसको शरण देने वालों की कुंडली खंगाल रही है।

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