UP : खून से लथपथ रेप पीड़ित बच्‍ची को लेकर BRD मेडिकल कॉलेज के एक वार्ड से दूसरे वार्ड में घूमता रहा लाचार पिता, 6 घंटे बाद किया भर्ती

परिजन खून से लथपथ बच्ची को पहले ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों के पास ले गए, जहां से उन्हें बच्चा वार्ड में भेज दिया गया, मगर पीडियाट्रिक वार्ड के डॉक्टरों ने पुलिस केस, ट्रॉमा और गायनी केस का हवाला देकर उन्हें वापस लौटा दिया....

Update: 2021-01-31 12:20 GMT

जनज्वार, गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों की एक ऐसी अमानवीयता की खबर सामने आयी है, जो इंसानियत को शर्मसार कर देती है। बलात्कार पीड़िता का पिता खून से लथपथ अपनी बच्ची को लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर पहुंचा, मगर बजाय इलाज के अस्पताल प्रशासन एक वार्ड से दूसरे वार्ड के चक्कर लगवाता रहा, मगर किसी को उस पर रहम नहीं आया।

डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन की असंवेदनशीलता का आलम ये था कि खून से लथपथ कुशीनगर की रेप पीड़ित पांच साल की मासूम को गोद में लिए पिता छह घंटे तक इलाज के लिए भटकता रहा। डॉक्टर उसे भर्ती करने के बजाए एक विभाग से दूसरे विभाग तक दौड़ाते रहे। परेशान पिता अपनी खून से लथपथ मासूम बच्ची को लेकर गोरखनाथ मंदिर तक गया, मगर इसके बावजूद डॉक्टरों ने पुलिस केस होने का हवाला देकर बच्ची को भर्ती करने से मना कर दिया। बाद में खड्डा विधायक के हस्तक्षेप पर इलाज शुरू​ किया गया।

जानकारी के मुताबिक दरिंदगी की शिकार कुशीनगर के नेबुआ नौरगिंया की पांच साल की मासूम को जिला अस्पताल से रेफर किए जाने पर परिजन शनिवार 30 जनवरी की सुबह करीब सवा तीन बजे उसे लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे। परिजन खून से लथपथ बच्ची को पहले ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों के पास ले गए, जहां से उन्हें बच्चा वार्ड में भेज दिया गया। मगर पीडियाट्रिक वार्ड के डॉक्टरों ने पुलिस केस, ट्रॉमा और गायनी केस का हवाला देकर उन्हें वापस लौटा दिया।

इसके बाद वापस परिजन बच्ची को गोद में लिये ट्रॉमा पहुंचे, जहां से उन्हें दोबारा गायनी विभाग भेजा गया। गायनी में मौजूद डॉक्टरों ने सर्जरी केस बताते हुए खून से लथपथ बच्ची को भर्ती करने से इनकार कर दिया। इसी तरह लगभग छह घंटे तक बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर एक वार्ड से दूसरे वार्ड में दौड़ाते रहे और खून से लथपथ पिता अपनी बच्ची को गोद में लेकर अस्पताल में चक्कर लगाता रहा।

एक वार्ड से दूसरे वार्ड के चक्कर काटते-काटते जब परिजन परेशान हो गये और बच्ची की हालत लगातार बिगड़ने लगी तो दर्द से तड़पती बच्ची को लेकर पिता उसे ऑटो से लेकर गोरखनाथ मंदिर गया। मंदिर पर कर्मचारियों ने उसे पुलिस केस कराने की सलाह दी।

इस घटना की सूचना सोशल मीडिया के माध्यम से जब खड्डा के विधायक जटाशंकर त्रिपाठी को मिली तो उन्होंने सुबह आठ बजे परिजनों से मोबाइल पर बात की। तब दर्द से तड़पती बच्ची के साथ परिजन गोरखनाथ मंदिर में मौजूद थे। विधायक ने उन्हें तुरंत बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचने को कहा। परिजन लगभग पौने 9 बजे वहां पहुंचे, तब भी अस्पताल प्रशासन ने उन्हें टालने की कोशिश की, मगर जब विधायक ने कॉलेज में ही धरना देने की धमकी दी तो 6 घंटे की भारी मशक्कत के बाद इसके बाद डॉक्टरों ने नौ बजे बच्ची को भर्ती कर इलाज शुरू किया।

रेप की शिकार मासूम बच्ची के गुप्तांग से लगातार खून बह रहा था। उसे रोकने के लिए शनिवार 30 जनवरी की रात को गायनी के डॉक्टरों ने उसका आपरेशन किया। यह क्रिटिकल ऑपरेशन दो घंटे तक चला। ऑपरेशन के बाद बच्ची को आईसीयू में रखा गया, जहां से हालत में सुधार होने पर इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया गया। कल 30 जनवरी की देर शाम को पुलिस टीम भी अस्पताल पहुंची और पीड़ित बच्ची का बयान दर्ज किया।

इस मसले पर पीड़िता के परिजनों के लिए मददगार बने खड्डा विधायक जटाशंकर त्रिपाठी ने मीडिया को बताया, 'मुझे 30 जनवरी की सुबह सात बजे किसी ने फोन पर मामले की सूचना दी। मैंने पहले परिजनों और फिर प्राचार्य से फोन पर बात की। करीब एक घंटे बाद परिजनों ने फिर सूचना दी कि मरीज भर्ती नहीं हुआ है। इसके बाद मैं खुद मेडिकल कॉलेज गया। वहां परिजन गेट के बाहर मासूम को लेकर बैठे थे। वहां से ट्रॉमा सेंटर ले गया। डॉक्टरों से बकझक भी हुई। उन्हें प्रदर्शन करने की चेतावनी दी। तब जाकर मरीज को भर्ती किया।

वहीं दूसरी तरफ सफाई देते हुए बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. गणेश कुमार का कहना है कि हम पर गलत आरोप लग रहा है। मासूम के पहुंचने पर उसे तुरंत भर्ती किया गया। सुबह सात बजे विधायक का फोन आया। उससे पहले मासूम को भर्ती किया जा चुका था। यह मेडिको लीगल केस है। पुलिस की महिला कांस्टेबल साथ में नहीं थी। इस वजह से मेडिको लीगल में समस्या आ रही थी।

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