BJP के टिकट पर राज्यसभा जाने वाले UP पुलिस के दूसरे रिटायर्ड डीजी बृजलाल, मायावती के रहे हैं करीबी
यूपी में दलित उत्पीड़न की कई घटनाओं में बीजेपी का बचाव करने में पूर्व डीजीपी बृजलाल काफी अहम भूमिका निभा चुके हैं। बृजलाल ने हाथरस कांड को लेकर भी पार्टी का बचाव किया था...
नवनीत मिश्र
उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक डीजीपी बृजलाल सोमवार 2 नवंबर को यूपी की खाली हुई सीट से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो गए। वह उत्तर प्रदेश के दूसरे पुलिस महानिदेशक हैं, जो संसद के उच्च सदन तक पहुंचे हैं।
इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजी रहे बीपी सिंघल भी राज्यसभा गए थे। खास बात है कि उत्तर प्रदेश पुलिस में शीर्ष पदों पर रह चुके इन दोनों अफसरों को भाजपा ने ही राज्यसभा जाने का मौका दिया।
जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तब लखनऊ के रहने वाले और उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजी बीपी सिंघल को भाजपा ने राज्यसभा भेजा था। बीपी सिंघल का वर्ष 2012 में निधन हुआ था। वह विश्व हिंदू परिषद के दिग्गज नेता रहे अशोक सिंघल के छोटे भाई थे।
अब भाजपा ने दलित चेहरे और उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड डीजीपी बृजलाल को राज्यसभा भेजा है। यूपी में दलित उत्पीड़न की कई घटनाओं में बीजेपी का बचाव करने में पूर्व डीजीपी बृजलाल काफी अहम भूमिका निभा चुके हैं। माना जा रहा है कि राज्यसभा सांसद बनाकर पार्टी एक दलित नेता के तौर पर उन्हें मजबूत करना चाहती है।
कभी मायावती के करीबी थे बृजलाल
1977 बैच के रिटायर्ड आईपीएस बृजलाल की गिनती एक समय में बसपा मुखिया मायावती के पसंदीदा अफसरों में होती थी। वजह कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सितंबर 2011 में 2 पुलिस अफसरों की वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस का डीजीपी बना दिया था।
हालांकि, भाजपा समेत अन्य विपक्षी दलों की शिकायत पर चुनाव आयोग ने उन्हें 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले हटा दिया था, जिससे वह करीब तीन महीने ही डीजीपी रह पाए थे। माना जा रहा था कि रिटायरमेंट के बाद बृजलाल बसपा का दामन थामेंगे। मगरए 2015 में सबको चौंकाते हुए वह भाजपा में शामिल हो गए।
सिद्धार्थनगर के दलित परिवार में जन्मे रिटायर्ड डीजीपी बृजलाल को 2018 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया। अब भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजकर पार्टी में कद बढ़ाया है।