Bundelkhand News: बुन्देलखण्ड के सैकड़ों किसानों की खेत में खड़ी फसलें जलकर राख, क्या है प्रमुख वजह?
Bundelkhand News: इस भीषण गर्मी के मौसम में खेतों में खड़ी फसल में आग लगने की घटनाएं बुन्देलखण्ड के किसानों के लिए मुश्किल का एक बड़ा कारण बन रही हैं। अकेले झांसी जिले में हर रोज चार से पांच ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं।
लक्ष्मी नारायण शर्मा की रिपोर्ट
Bundelkhand News: इस भीषण गर्मी के मौसम में खेतों में खड़ी फसल में आग लगने की घटनाएं बुन्देलखण्ड के किसानों के लिए मुश्किल का एक बड़ा कारण बन रही हैं। अकेले झांसी जिले में हर रोज चार से पांच ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। किसी तरह से खाद, बीज और पानी का इंतजाम कर फसल उगा लेने वाले किसान इस समय संभावित अनहोनी से डरे नजर आते हैं। बिजली का तार टूटने, चूल्हे की आग फैलने, बीड़ी-सिगरेट जलाकर खेत में फेंक देने या कूड़ा-करकट में आग लगाने जैसी मामूली मानवीय भूलें ऐसी घटनाओं की वजह बनती हैं। आग लगने से नुकसान होने पर फसल बीमा का लाभ भी नहीं मिलता है। प्रशासन राहत कोष से मदद दिलाने का दावा जरूर करता है।
झांसी जिले के ग्राम सेना के रहने वाले राम स्वरूप ने दस बीघा जमीन में गेंहू बोई थी। फसल ठीक-ठाक थी। उम्मीद थी कि कटाई के बाद घर के लोगों के लिए खाने की व्यवस्था हो जाएगी और खर्चे के लिए कुछ बेच भी लेंगे लेकिन सारी खेती जलकर राख हो गई। बिजली का तार टूटकर खेत में गिर गया और आग लगने से पूरी फसल जलकर राख हो गई। परिवार के पास खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा। इसी महीने पोती की शादी पक्की करने जा रहे थे। उसको भी टाल दिया। राम स्वरूप बताते हैं कि लेखपाल खेत पर रिपोर्ट बनाने आये थे। रामरूप के खेत में 10 अप्रैल को आग लग गई थी और दस बीघे में लगी फसल जलकर राख हो गई थी। कर्ज लेकर खेतों में उम्मीद की फसल बोई थी लेकिन आग ने सब कुछ जला दिया।
झांसी सहित बुन्देलखण्ड के आसपास के सभी हिस्सों से हर रोज इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। कभी बिजली का तार टूटने से तो कभी किसी मानवीय भूल से खेतों में लगने वाली आग किसानों के सपनों को जला कर राख कर दे रही है। इन घटनाओं को देखें तो लगता है कि बुन्देलखण्ड के किसानों की समस्याएं अंतहीन है। विपरीत परिस्थितियों में यदि वह खाद, पानी और बीज का इंतजाम कर फसल उगा भी ले तो बहुत सारे किसानों को इस भयानक गर्मी में अप्रिय घटना का सामना करना पड़ जाता है। खेतों में खड़ी फसल अचानक धू-धू कर जल जाती है और किसानों के सपने धुंआ हो जाते हैं।
एक अनुमान के मुताबिक अकेले झांसी जनपद में गर्मी के इस मौसम में खेतों में आग लगने की हर रोज चार या पांच घटनाएं सामने आ रही हैं। इस लिहाज से पूरे बुंदेलखंड में हर साल सैकड़ों किसानों की खेत में खड़ी फसल आग की चपेट में आकर नष्ट हो जाती है। अग्निशमन विभाग के अफसरों की मानें तो आग लगने की अधिकांश घटनाएं मानवीय लापरवाही के कारण होती हैं। झांसी जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी के के ओझा के मुताबिक खेतों में आग लगने की घटनाएं विभिन्न कारणों से होती हैं। बहुत सारी घटनाओं का कारण पता नहीं चल पाता जबकि कुछ के पीछे लापरवाही होती है। कभी किसी ने बीड़ी-सिगरेट आदि जलाकर लापरवाही से खेत में फेंक दिया तो वह बड़ी घटना का रूप ले लेती है। कभी खेत के आसपास किसी ने चूल्हे पर खाना बनाया और उसकी आग पूरी तरह नहीं बुझी तो वह बाद में पूरे खेत को अपने चपेट में ले लेती है। कभी-कभी कूड़ा करकट में लगाई गई आग या फिर बिजली के तार टूटकर गिरने से भी खेतों में आग लग जाती है।
किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिव नारायण सिंह परिहार कहते हैं कि आग लगने की जिन घटनाओं में किसानों की पैरवी ठीक से हो जाती है, उन्हें तो मुआवजा मिल जाता है लेकिन जिन लोगों की पैरवी नहीं हो पाती, उन्हें काफी दिक्क्त होती है। अधिकारी टालमटोल करते हैं। अभी पंद्रह दिनों में झांसी जिले में चौदह या पंद्रह जगहों पर खेतों में आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं। गुरसराय, बंगरा, मऊरानीपुर सहित कई जगहों पर अभी हाल के दिनों में किसानों की फसल जलने की घटनाएं सामने आई हैं। प्रशासन को चाहिए कि ऐसे मामलों में तत्परता से नुकसान का सर्वे कराकर किसान को आर्थिक मदद प्रदान करें क्योंकि खेत में खड़ी फसल जल जाने के बाद उसके पास किसी तरह का कोई रास्ता या कोई उम्मीद नहीं बच जाती है।
झांसी जिले में तैनात कृषि विभाग के उप निदेशक के के सिंह बताते हैं कि हमारे सामने खेतों में खड़ी फसल में आग लगने की जो भी घटनाएं सामने आती हैं, उन्हें हम मंडी सचिव के पास भेजते हैं। वहां से राहत आयुक्त के पास विवरण जाता है और राहत दिलाने की प्रक्रिया शुरू होती है। फसल में आग लगने पर फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को इसलिए नहीं मिल पाता है, क्योंकि बीमा योजना प्राकृतिक आपदाओं पर लागू होती है जबकि आग लगने की अमूमन घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं।