SCROLL.IN की संपादक सुप्रिया शर्मा के खिलाफ वाराणसी में FIR दर्ज, भुखमरी की झूठी खबर छापने का आरोप
पत्रकार सुप्रिया ने इस रिपोर्ट में बताया था कि लॉकडाउन के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए गांव के लोग किन हालातों में अपने दिन गुजार रहे हैं। इसी रिपोर्ट में माला नाम की महिला की स्थिति का जिक्र किया गया है।
जनज्वार न्यूज। समाचार वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन (Scroll.in) की एडिटर इन चीफ सुप्रिया शर्मा के खिलाफ वाराणसी के रामनगर थाना में एफआईआर दर्ज की गई है। उन पर झूठी खबर प्रकाशित करने का आरोप लगाया गया है। दरअसल सुप्रिया शर्मा ने स्क्रॉल डॉट इन पर 'पीएम मोदी के गोद लिए गांव में लॉकडाउन के कारण भूखे रह रहे लोग' (In Varanasi village adopted by Prime Minister Modi, people went hungry during the lockdown) नाम से एक खबर प्रकाशित की थी। यह खबर इसी महीने की 8 जून को प्रकाशित की गई थी।
पत्रकार सुप्रिया ने इस रिपोर्ट में बताया था कि लॉकडाउन के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए गांव के लोग किन हालातों में अपने दिन गुजार रहे हैं। इसी रिपोर्ट में माला नाम की महिला का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि माला अपने घर में छह बच्चों की देखभाल करने वाली अकेली मां हैं। लॉकडाउन के दौरान उनके नियोक्ता ने भुगतान करना बंद कर दिया। इसलिए घरेलू कामगार ने इस उम्मीद में बनारस की अलग-अलग जगहों की यात्रा की ताकि उसे अपने पांच बच्चों के लिए भोजन खरीदने के लिए कुछ कुछ विषम काम मिल सके। लेकिन वह इसमें असफल रहीं। महिला ने कहा कि हम चाय और रोटी पर ही सोते हैं।
रिपोर्ट में आगे लिखा गया था, 'न तो कल्लू और न ही माला का ही असाधारण अनुभव है। लॉकडाउन ने उन लाखों असुरक्षित भारतीयों को परेशान कर दिया है जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे। लेकिन उनकी कहानियों में जो बात है, वह सच है कि वो प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव में रहते हैं।'
वहीं दूसरी ओर 13 जून को सुप्रिया शर्मा के खिलाफ वाराणसी के रामनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर में महिला ने आरोप लगाते हुए कहा है कि मैं नगर निगम वाराणसी में आउटसोर्सिंग से सफाई कर्मचारी के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरी माता जी नगर निगम में कार्यरत थीं जो वर्तमान समय में नगर निगम से पेंशन प्राप्त कर रही है। मेरे यहां एक महिला पत्रकार सुप्रिया शर्मा आयीं थीं। उन्होंने मुझसे लॉकडाउन के बारे में पूछा तो मैने उन्हें बताया था कि आउटसोर्सिंग से नगर निगम के दौरान मुझे या मेरे परिवार को खाने-पीने में कोई परेशानी नहीं हो रही है।
एफआईआर में महिला ने आगे कहा है, 'मुझे अब पता चला है कि सुप्रिया शर्मा ने स्क्रॉल डॉट इन में मेरे बारे में झूठ लिख दिया कि मैं झाड़ू पोछा बर्तन मांजने का कार्य करती हूं और मैं केवल चाय रोटी खाकर सोयी हूं। मैं और मेरे बच्चे लॉकडाउन के दौरान भूखे रह रहे हैं। ऐसा लिखकर सुप्रिया शर्मा ने मेरी गरीबी और मेरी जाति का मजाक उड़ाया है जिससे मुझको मानसिक ठेस पहुंची है। समाज में मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है। मुझ अनुसूचित जाति की महिला के बारे में झूठी खबर छापने वाली पत्रकार सुप्रिया शर्मा के खिलाफ कार्रवाही करने की कृपा करें। प्रार्थिनी आपकी सदैव आबारी रहेगी।'
महिला पत्रकार सुप्रिया शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 269 (किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया गैरजिम्मेदाराना काम जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है), 501 (मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित करना), अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(1)(द), 3(1) (घ) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
वहीं सुप्रिया शर्मा ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अपना बयान साझा किया है। सुप्रिया ने लिखा, 'स्क्रॉल.इन ने 5 जून, 2020 को डोमरी गाँव, वारणसी, उत्तार प्रदेश में माला का साक्षात्कार लिया। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गोद लिए गाँव में उनके कथन का सही-सही वर्णन किया गया है, जिन लोगों को लॉकडाउन के दौरान भूखा रखा गया था। प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से जो रिपोर्ट की गई है स्क्रॉल.इन अपने स्टैण्ड पर कायम है। इस एफआईआर में स्वतंत्र पत्रकारिता को डराने और चुप कराने की कोशिश है।'
Our statement. @scroll_in https://t.co/rBbOcXMK0P pic.twitter.com/TBw4I0YUl7
— Supriya Sharma (@sharmasupriya) June 18, 2020