यूपी में सच दिखाने पर पत्रकार के खिलाफ मुकदमा, छाती पर माइक और सड़क पर लेटकर किया विरोध
पत्रकार अमिताभ रावत एक खबर के सिलसिले में महिला सर्जिकल वार्ड में पहुंचे थे, जहां उन्हें पहले एक छोटी बच्ची सफाई करती नजर आई जिसका उन्होंने वीडियो बनाया और अपने चैनल में चला दिया, बताया जा रहा है कि यह वीडियो चलने के बाद उनके ऊपर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया गया....
मनीष दुबे की रिपोर्ट
देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक पत्रकार पर मुकदमा होने के बाद समाज के चौथे स्तंभ को फिर शासन द्वारा की गई दबाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। जिले के पत्रकारों ने विरोध दर्ज कराया है। देखिये फ़ोटो में जो यह सख्श लेटकर अपनी छाती में आईडी रखे हुए है यह अमिताभ रावत है जिसके खिलाफ सच दिखाने पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
समूचे राज्य में पत्रकारों के खिलाफ सच सामने लाने दिखाने पर मुकदमे लगाए जा रहे हैं। हाल ही में जिला देवरिया में फर्जी मुकदमा करके पत्रकारों के मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया गया। जनपद देवरिया में भी शासन ने सच दिखाने पर एक निजी चैनल के रिपोर्टर के ऊपर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया गया है।
दरअसल एफएम न्यूज़ के जिला संवाददाता अमिताभ रावत एक बेहद ही ईमानदार एवं निर्भीक पत्रकार बताए जाते हैं। जो सच को दिखाने में विश्वास रखते हैं। सूत्रों के मुताबिक अमिताभ देवरिया की हर एक छोटी बड़ी समस्या को उठाने में अपना तन मन लगाकर बेबाकी से पत्रकारिता करते हैं जिससे कुछ चैनल के पत्रकार उनसे खौर खाते हैं क्योंकि अमिताभ रावत हर एक घटना के मौके पर पहुंचकर वीडियो फोटो और जानकारी इकट्ठा करते हैं।
अमिताभ रावत के द्वारा दिए गए बयान के आधार पर वह एक खबर के सिलसिले में महिला सर्जिकल वार्ड में पहुंचे थे। जहां उन्हें पहले एक छोटी बच्ची सफाई करती नजर आई जिसका उन्होंने वीडियो बनाया और अपने चैनल में चला दिया।
बताया जा रहा है कि यह वीडियो चलने के बाद उनके ऊपर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया गया। शासन ने अपनी कमी छुपाने के कारण एक पत्रकार के ऊपर मुकदमा कायम करना और कराना यह दर्शाता है कि देवरिया में अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए कुछ भी किया जा सकता है।
प्रदेश कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर मामले को शेयर करते हुए पत्रकारों के उत्पीड़न और प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल करते हुए लिखा है कि 'यूपी में सच दिखाने पर एफआईआर होती है'।
आगे लिखा है 'यूपी के देवरिया में एक पत्रकार ने जिला अस्पताल में एक नाबालिक का पोछा लगाते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया और इस सच को दुनिया के सामने पहुंचाने के लिए प्रशासन ने पत्रकार पर एफआईआर भी कर दी'।
यूपी में सच दिखाने पर एफआईआर होती है।
— UP Congress (@INCUttarPradesh) August 7, 2020
यूपी के देवरिया में एक पत्रकार ने जिला अस्पताल में एक नाबालिक का पोछा लगाते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया और इस सच को दुनिया के सामने पहुंचाने के लिए प्रशासन ने पत्रकार पर FIR भी कर दी .
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'जनज्वार' ने मामले की जब पूरी सच्चाई पता कि तो तो सच सामने आया वह यह है कि सदर हॉस्पिटल में एक 4 साल का बच्चा अपनी मां के साथ स्ट्रक्चर खींचता हुआ नजर आया जिसका वीडियो वायरल होने पर जिला देवरिया के उच्चाधिकारी व जिम्मेदार लोगों की काफी किरकिरी हुई थी।
उसके ठीक कुछ दिन बाद उसी जगह से एक और वीडियो आया जिसमें 8 से 10 वर्ष की लड़की पोंछा लगा रही थी। जिसकी वीडियो इसी पत्रकार ने बनाई थी और उसे वायरल किया। स्ट्रेचर खींचते बच्चे के वीडियो के बाद इस बच्ची का पोंछा लगाने वाले वीडियो से शासन प्रशासन और जिला अस्पताल की एक बार फिर बड़ी किरकिरी हुई थी और सोशल मीडिया पर कमेंट की बाढ़ आ गई थी।
इसी खुन्नस में 2 अगस्त को पत्रकार अमिताभ रावत पर शासन प्रशासन की मिलीभगत से बिना तथ्य जाने बिना कुछ पूछे गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया गया। अमिताभ रावत अपने दिए बयान में साफ कहते नजर आ रहे हैं कि पहले इस पूरे प्रकरण की जांच हो और जो भी दोषी हो या जिन लोगों ने मुकदमा किया है उसके ऊपर उचित कार्रवाई की जाए। लेकिन बिना किसी जांच के किसी के ऊपर मुकदमा करना यह अपने आप में सवाल खड़ा करता है।