अस्पताल के बाहर मर चुके बच्चे को सीने से लगाकर देर तक रोता रहा पिता, इलाज के अभाव में हुई मौत
सरकारी अस्पतालों की बदइंतजामी के कारण आए दिन किसी न किसी की जान जाती है। अब उत्तरप्रदेश के कन्नौज से एक हृदयविदारक मामला सामने आया है...
जनज्वार। यह जो तस्वीर है, किसी का भी कलेजा दहला सकती है। तस्वीर में एक बाप अपने मर चुके बच्चे को गोद मे लेकर रोते-रोते लेट गया है। लग रहा है जैसे उसके बेटे के साथ उसके भी शरीर से प्राण निकल चुके हों और शायद वह चाह भी इस समय यही रहा होगा कि उसके कलेजे के टुकड़े के साथ ऊपरवाला उसे भी यहां से उठा ले।
दरअसल, यह हृदयविदारक वााकया कन्नौज का है। जहां के एक जिला अस्पताल में दिमागी रूप से बीमार बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गई। परिजनों ने डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा भी किया, लेकिन उस हंगामे से हासिल किसे और क्या होना था। सीएमएस ने शव वाहन से परिजनों समेत बच्चे को घर भिजवाया।
मामला सदर कोतवाली क्षेत्र के गांव मिश्रीपुर का है। यहां के निवासी प्रेमचंद्र के चार वर्षीय पुत्र अनुज को कई दिनों से बुखार था। रविवार को बुखार के चलते हालत बिगड़ी तो परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। काफी देर तक वह बच्चे को लेकर इधर-उधर भटकते रहे। इसके बाद इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। बच्चे की हालत खराब होने के बाद डॉक्टर वीके शुक्ला ने जांच करने के बाद बच्चो के डाक्टर पीएम यादव के पास भेजा।
काफी देर तक इधर-उधर भटकने से बच्चे की मौत हो गई। इस पर परिजनों ने जिला अस्पताल में हंगामा काटना शुरू कर दिया। प्रेमचंद्र ने जिला अस्पताल के डाक्टरों पर आरोप लगाया कि कोरोना के चलते उसके बच्चे को इलाज नहीं दिया गया। इससे उसकी मौत हो गई। आधा घंटे तक हंगामा करने के बाद जानकारी सीएमएस को हुई तो उन्होंने परिजनों को समझाकर शव के साथ मां-बाप को भी शव वाहन से घर भिजवाया।
सीएमएस डॉक्टर योगेश चतुर्वेदी ने बताया कि बच्चे को पहले इमरजेंसी में उपचार दिया गया। दिमागी बुखार होने से डॉक्टर पीएम यादव ने भी देखा और बच्चे को कानपुर ले जाने की सलाह दी। समय से जिला अस्पताल न लाने से उसे कानपुर नहीं भेजा जा सका। उपचार में किसी तरह की लापरवाही नहीं की गई है। वहीं सीएमओ डॉक्टर कृष्ण स्वरूप ने बताया उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। अगर शिकायत आती है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।