कांग्रेस का योगी पर बड़ा आरोप, मानकों में कटौती कर कुपोषण के वास्तविक आंकड़े छिपा रही है सरकार

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा है कि बिहार के बाद कुपोषण के मामले में यूपी देश में दूसरे स्थान पर है। उन्होंने यूनिसेफ के हवाले से कहा कि आइसीडीएस का मात्र 16 प्रतिशत बजट प्रदेश में खर्च हो पाया...

Update: 2021-01-11 13:14 GMT

लखनऊ। उत्तरप्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू (Ajya Kumar Lallu) ने राज्य की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार पर कुपोषण के वास्तवित आंकड़ों को छिपाने के लिए कुपोषण के मानकों में (Malnutrition in UP) कटौती किए जाने का आरेाप लगाया है। उन्होंने यूनिसेफ के आंकड़ों के हवाले से कहा है कि राज्य में आइसीडीएस (ICDS) के बजट का उपयोग नहीं हो पाया और योगी सरकार का पूरा जोर सिर्फ प्रचार पर है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के बच्चे कुपोषण, अल्प पोषण, बाल मृत्यु और शारीरिक विकास की अवरुद्धता से पीड़ित हैं। लल्लू ने कहा कि देश में बिहार के बाद सबसे खराब हाल यूपी का है और सूबे का हर तीसरा बच्चा कुपोषित है। प्रत्येक वर्ष के सितंबर माह को सुपोषण माह के रूप में मनाने का छलावा किया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 46.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। वहीं, राजधानी से सटे बाराबंकी जिले में 60.447 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। यह महज सरकारी आंकड़े हैं जमीनी हकीकत इससे भी तल्ख और बदरंग है। यह आंकड़े प्रदेश की योगी सरकार के लिए शर्मनाक हैं।

उत्तरप्रदेश कांग्रेस (UP Congress) के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में महज एक वर्ष शेष है। बीते चार सालों में कुपोषण की रोकथाम के लिए सरकारी कार्यक्रम और दावे महज कागजी साबित हुए हैं। नवजात शिशुओं को मिलने वाले पोषण के आंकड़े महज अफसरों की बाजीगरी है। सुधार के नाम पर तीन महीने से पुराने आंकड़े ही ऊपर नीचे किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार के अधिकारियों एवं मंत्रियों के भ्रष्टाचार के चलते सार्वजनिक वितरण प्रणाली बेलगाम हो चुकी है और आईसीडीएस और आंगनबाड़ी जैसी योजनाएं सरकारी उदासीनता के चलते पंगु हो चुकी हैं।

मात्र 16 प्रतिशत बजट हुआ खर्च

यूनिसेफ (Unicef) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों मात्र 16 प्रतिशत बजट इस पर खर्च हो पाया है। इसके चलते उत्तरप्रदेश में बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कुपोषण कीं संख्या में इजाफा हुआ है। प्रदेश में जितने भी कुपोषण (Malnutrition )मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाये जा रहे हैं वह सिर्फ कागजी हैं। ये सभी अभियान सरकार व अधिकारियों की मिलीभगत की भेंट चढ़ रहे हैं। प्रदेश के कई जिले कुपोषण के चलते रेड जोन में आ चुके हैं, लेकिन सरकार और उसके मंत्री कागजी खेल में जुटे हुए हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पिछले वर्ष ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर से सटे बस्ती जिले के कप्तानगंज थाने के ओझा गंज गांव के निवासी हरीश चंद्र का पूरा परिवार कुपोषण की भेंट चढ़ गया। हरिश्चन्द्र की दो बेटियां, एक बेटा और पत्नी की कुपोषण से मौत हो गयी। उत्तरप्रदेश सरकार की नाकामी के चलते राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया और प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। यह केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार के कुपोषण मुक्त भारत बनाने और स्वस्थ एवं सबल भारत बनाने के झूठ को आईना दिखाता है।

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि प्रदेश में युवाओं की सर्वाधिक आबादी है। ऐसे में यदि बच्चे कुपोषित होंगे तो उनके भविष्य का क्या होगा, यह बहुत ही चिंता का विषय है। पूर्ववर्ती केंद्र की कांग्रेसनीत यूपीए की सरकार ने गरीब एवं कुपोषित महिलाओं एवं बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जैसे बाल विकास एवं पुष्टाहार, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना एवं खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू किया था। लेकिन कांग्रेस की सरकार जाने के बाद केंद्र सरकार और प्रदेश की योगी सरकार इन योजनाओं के प्रति गंभीर नहीं रही और लगातार इन योजनाओं का आवंटित बजट घटाया जा रहा है, जिसका परिणाम है कि आज प्रदेश में महिलाएं और बच्चे कुपोषण एवं रक्त अल्पता से अपनी जान गंवाने के लिए मजबूर हैं।

पुष्टाहार योजना ने तोड़ा दम

अजय कुमार लल्लू (Ajya Kumar Lallu) ने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि उनकी और उनके मंत्रियों की उदासीनता के चलते पुष्टाहार योजना दम तोड़ चुकी है। प्रदेश की गर्भवती महिलाएं व नवजात शिशुओं की असमय मौत मोरालटी रेट में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। प्रदेश में पोषण पुनर्वास केंद्र की हालत खस्ताहाल है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कुशीनगर, बुलंदशहर, बहराइच, बागपत, जौनपुर, सुल्तानपुर, पीलीभीत, मिर्जापुर, कौशाम्बी, प्रयागराज, गोरखपुर, बस्ती, बाराबंकी जैसे दर्जनों जिले आज कुपोषण की जकड़ में हैं। इसीलिए उत्तरप्रदेश कुपोषण के मामले में बिहार के बाद देश में दूसरे नंबर पर खड़ा है जो प्रदेश के लिए कलंक की बात है। मुख्यमंत्री योगी जी कुपोषण के खिलाफ सख्त कदम और योजनाओं को जमीन पर उतारने के बजाए सिर्फ थोथी घोषणाएं ही कर रहे हैं। सरकार कुपोषण से ईमानदारी से निपटने की बजाए कुपोषण के मानकों में कटौती करके कुपोषण के आंकड़ों को छिपाने का काम कर रही है।

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