कफील खान की रिहाई के लिए कांग्रेस ने छेड़ा महाभियान, नसीमुद्दीन बोले संवेदनशीलता का परिचय दे योगी सरकार

नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि कोर्ट में 13 बार सुनवाई टलना साबित करता है कि सीएम एक योग्य डॉक्टर को अपनी व्यक्तिगत कुंठा के कारण कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी जेल में रख कर आम मरीजों के साथ अन्याय करने पर अड़े हैं ...

Update: 2020-08-10 10:44 GMT

लखनऊ। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने 22 जुलाई से 12 अगस्त तक डॉक्टर कफील की रिहाई की मांग को लेकर महाभियान छेड रखा है जिसके तहत प्रदेशव्यापी हस्ताक्षर अभियान, के साथ साथ, मजारों पर चादरपोशी कर डॉ. कफील की रिहाई की दुआ भी पढ़ी गयी और सोशल मिडिया के माध्यम से लाखो की संख्या में विडियो बना कर डॉ कफील की रिहाई की मांग का विडियो भी अपलोड किया गया।

इसी क्रम में आज प्रदेश के हर जिले में डॉ. कफील की रिहाई के लिए प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है। लखनऊ स्थित कांग्रेस पार्टी मुख्यालय में डॉ. कफील की की रिहाई को लेकर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने संबोधित किया।

सिद्दीकी ने कहा कि योगी सरकार ने डॉ. कफील को जमानत पर रिहा न करके सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश की अवमानना की है जिसमें उसने कोरोना महामारी को देखते हुए सात साल से कम की सजा वाले मुकदमों में जमानत देने का आदेश दिया था।

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में 13 बार सुनवाई की तारीख का टलना साबित करता है कि मुख्यमंत्री एक योग्य डॉक्टर को अपनी व्यक्तिगत कुंठा के कारण कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी जेल में रख कर आम मरीजों के साथ अन्याय करने पर अड़े हैं जबकि आज प्रदेश डॉक्टरों की भयानक कमी से जूझ रहा है।


उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने डॉ कफील से व्यक्तिगत रंजिश के तहत उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाया है क्योंकि उन्होंने गोरखपुर सरकारी अस्पताल में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया था। इसी तरह उनपर अलीगढ़ में भी कथित भड़काऊ बयान देने का फर्जी मुकदमा लादा गया और एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगा दिया गया।

सिद्दीकीने कहा कि योगी जी ने मुख्यमंत्री बनते ही कहा था कि अपराधी जेल में होंगे। लेकिन उन्होंने अपने ऊपर लगे संगीन मुकदमों को हटा कर खुद को जेल जाने से बचा लिया और कफील जैसे निर्दोष को जेल में डाल दिया, जिससे उनकी कथनी और करनी का फर्क उजागर हो जाता है। उन्होने मांग की है कि डा. कफील पर लगाये गये रासुका को हटाते हुए उन्हें अविलम्ब रिहा किया जाए।

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