UP : राष्ट्रपति के गांव में दलित लड़की से बंदूक की नोक पर गैंगरेप, मुंह खोलने पर दी जान से मारने की धमकी

एसपी कानपुर देहात ने बताया कि 'पीड़िता लड़की के माता-पिता द्वारा दायर एक शिकायत के अनुसार, आरोपी उसके घर में उस समय घुस गए थे, जब लड़की घर पर अकेली थी, उन्होंने बंदूक की नोक पर उसके साथ दुष्कर्म किया....

Update: 2020-10-19 10:17 GMT

मनीष दुबे की रिपोर्ट

कानपुर। उत्तर प्रदेश में छेड़छाड़, बलात्कार समेत हिंसक घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। इन हो रही घटनाओं के डर से महिला तो महिला पुरुष तक खुद को महफूज नहीं समझ रहे हैं। बीते महीने हाथरस में लड़की के साथ पहले गैंगरेप और हत्या के बाद कई एक मामले सामने आ चुके हैं ,जिसमे कोई रुकावट दर्ज नहीं की जा पा रही है। अब कानपुर में एक दलित लड़की से गैंगरेप का मामला सामने आया है।

गौरतलब है कि कानपुर देहात के जिस डेरापुर गांव में दलित लड़की के साथ यह घटना हुई है वह देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का गांव है। यहीं के अमौली गांव में एक दलित समाज की लड़की के साथ गांव के पूर्व मुखिया सहित दो लोगों द्वारा कथित तौर पर बंदूक की नोक पर दुष्कर्म करने की घटना सामने आई है। हालांकि यह घटना एक सप्ताह पहले हुई थी, लेकिन पुलिस को इस बारे में रविवार 18 अक्टूबर को सूचित किया गया।

एसपी कानपुर देहात, केशव कुमार चौधरी ने बताया कि 'पीड़िता लड़की के माता-पिता द्वारा दायर एक शिकायत के अनुसार, आरोपी उसके घर में उस समय घुस गए थे, जब 22 वर्षीय लड़की घर पर अकेली थी। उन्होंने बंदूक की नोक पर उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके साथ ही उन्होंने पीड़िता को घटना की बाबत किसी से भी बोलने की हिम्मत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी।'

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एसपी केके चौधरी ने आगे कहा, 'आईपीसी और अनुसूचित जाति व जनजाति अधिनियम, 1989 की संबंधित धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया है। फरार आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए सीओ, एसएचओ डेरापुर सहित अतिरिक्त एसपी के अलावा स्वाट टीम के साथ तीन पुलिस टीमों का गठन किया गया है।

आपको बता दें कि इससे पहले 19 सितंबर को हाथरस जिले में एक दलित लड़की के साथ मारपीट करने और कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म होने के एक महीने बाद यह घटना घटी है। हाथरस मामले पर देशभर में लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। योगी सरकार व पुलिस के खिलाफ जब देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए तो सरकार हरकत में आई और मामले में 5 पुलिस कर्मियों समेत लखनऊ के दो बड़े नौकरशाहों का रोल कम कर दिया गया है।

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