कानपुर इनकाउंटर में विकास दुबे के करीबी दयाशंकर अग्निहोत्री ने किया बड़ा खुलासा

दयाशंकर अग्निहोत्री का जिंदा पकड़ा जाना पुलिस की बड़ी कामयाबी इसलिए मानी जा सकती है कि वह विकास दुबे के कई राज तो उगलेगा ही, हो सकता है सरकारी गवाह भी बन जाए...

Update: 2020-07-05 08:18 GMT

 दयाशंकर अग्निहोत्री.

जनज्वार। कानपुर इनकाउंटर मामले में गैंगस्टर विकास दुबे के करीबी दयाशंकर अग्निहोत्री ने बड़ा खुलासा किया है। उसने बताया है कि विकास दुबे को पुलिस थाने से एक फोन आया था जिसके बाद उसने 25-30 लोगों को बुलाया था। दयाशंकर अग्निहोत्री ने कहा कि उसने पुलिस पर गोलियां चलाईं थीं।

दयाशंकर अग्निहोत्री ने कहा कि मुठभेड़ के समय मैं घर के अंदर बंद था, इसलिए मैंने कुछ नहीं देखा। दयाशंकर अग्निहोत्री भी एक अपराधी है और 25 हजार रुपया का ईनामी है। दो-तीन जुलाई की मध्य रात्रि कानपुर देहात के बिकरू गांव में वह गैंगस्टर विकास दुबे के साथ ही उसके घर पर था। उस रात विकास दुबे को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस पर दुबे व उसके गिरोह द्वारा अंधाधुंध फायरिंग की गई थी, जिसमें आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी और सात गंभीर रूप से घायल हो गए थे।



दयाशंकर अग्निहोत्री को पुलिस ने चार जुलाई की रात गिरफ्तार किया है। उसे गोली भी लगी है। पुलिस द्वारा उसे जिंदा पकड़ना इस मायने में अहम है कि उससे कई राज उगलवाये जा सकते हैं। यह भी हो सकता है कि वह सरकारी गवाह बन जाए। विकास दुबे के खिलाफ दर्ज 71 मामलों के बावजूद वह कभी सजायाफ्ता नहीं बन सका, इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि कोई उसके भय से गवाह बनने को कभी तैयार नहीं हुआ।

भरी भीड़ में भी वह किसी की हत्या कर दे तो वहां मौजूद लोग कुछ नहीं देखने की बात कहते थे। यह उसके खौफ का परिणाम था। पुलिस थाने में भी जब उसने दो दशक पहले एक मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या कर दी तो इसी कारण बरी हो गया कि कोई गवाह ही नहीं था।



दो-तीन जुलाई की मध्यरात्रि जब उसने पुलिस वालों का अपने गांव में कत्लेआम किया तो भी उसके गांव के लोगों ने यही कहा कि हमें नहीं पता रात में क्या हुआ, हमने कुछ देखा ही नहीं।

अब जब यूपी पुलिस से लेकर सरकार तक विकास दुबे की करतूतों से बदनामी झेल रही है तो उसके खिलाफ बरती जा रही सख्ती के कारण उसका बच पाना मुश्किल होता जा रहा है। इस मामले में दयाशंकर अग्निहोत्री का जीवित पकड़ा जाना एक अहम उपलब्धि मानी जा सकती है।

घटना के बाद कांबिंग आपरेशन में पुलिस ने विकास दुबे के मामा प्रेमप्रकाश उर्फ प्रेमप्रकाश पांडेय व चचेरे भाई अतुल दुबे को मार गिराया था, जिनका शव लेने तक परिजन नहीं आए और बाद में पुलिस ने खुद उनका दाह संस्कार किया।

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