DDU News Today: कुलपति के खिलाफ सत्याग्रह के दूसरे चरण का एलान तो छात्रों ने प्राक्टर सहित पांच प्रोफेसर के खिलाफ दी थाने में अर्जी
DDU News Today: दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रो. राजेश सिंह को हटाने की मांग को लेकर चल रहा सत्याग्रह के दूसरे चरण का शिक्षक कमलेश गुप्ता ने एलान कर दिया है।
DDU News Today: दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रो. राजेश सिंह को हटाने की मांग को लेकर चल रहा सत्याग्रह के दूसरे चरण का शिक्षक कमलेश गुप्ता ने एलान कर दिया है। हालांकि शिक्षक संघर्ष समिति के आंदोलन की रूपरेखा न प्रस्तुत करने से आंदोलन की एकजुटता को लेकर कुछ लोग सवाल उठाने लगे हैं। उधर प्री पीएचडी के छात्रों के निष्कासन के बाद ये छात्र कैंट थाने में प्राक्टर समेत पांच प्रोफेसरों के खिलाफ अर्जी देकर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। जिसके चलते कैंपस का माहौल गरमाते जा रहा है।
डीडीयू कैंपस की स्थिति सामान्य होते नजर नहीं आ रही है। प्री पीएचडी के छात्र परीक्षा के प्रश्न पत्रों को तैयार कराने को लेकर सवाल उठाने व परीक्षा के बहिष्कार से कैंपस का माहौल तनाव पूर्ण बना हुआ है। प्री पीएचडी के छात्रों ने प्रथम प्रश्न पत्र की परीक्षा का बहिष्कार कर पिछले दिनों विश्वविद्यालय प्रशासन को परेशानी में डाल दिया। कुछ छात्रों के बहिष्कार व अन्य परीक्षार्थियों के पेपर व कापी फाड़ देने के बाद से प्रदर्शनकारी छात्र व विश्वविद्यालय प्रशासन आमने सामने आ गया। केंद्राध्यक्ष की रिपोर्ट पर छात्रों पर जहां मुकदमा दर्ज कराया गया वहीं उन्हें कैंपस में प्रवेश से रोक लगाते हुए अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।जिससे दूसरे प्रश्न पत्र की परीक्षा के दौरान भी छात्रों ने प्रदर्शन किया।
इस बीच 11 जनवरी दिन मंगलवार को 14 छात्र छात्राओं ने कैट थाना के प्रभारी को आवेदन देकर विश्वविद्यालय के प्राक्टर समेत पांच प्रोफेसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की ।इन छात्रों ने अपने तहरीर में परीक्षा के दौरान अभद्रता करने,जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने, भविष्य बर्बाद करने की धमकी देने और धोखा देने के उददेश्य से कूटरिचत पाठयक्रम वेबसाइट पर अपलोड करने का आरोप लगाया है।
तहरीर में कहा गया है कि सत्र 2019-20 के हम सभी शोध छात्र हैं।हमारी प्री पीएचडी के प्रथम प्रश्न पत्र की परीक्षा 7 जनवरी को होनी थी,जिसमंे 45 अंक की लिखित परीक्षा व आंतरिक मूल्यांकन 55 अंक कराने की पूर्व सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दी गई थी।जब हम लोग निर्धारित समयानुसार परीक्षा कक्ष में गए तो हमें जो प्रश्न पत्र मिला तो उसमें बताये गये प्रारूप् के विपरित 45 अंक का बहुविकल्पीय तथा 20 अंक का लिखित परीक्षा के दो अलग अलग प्रश्न पत्र थे। इसकी पूर्व जानकारी हम शोधार्थियों को और न ही संबंधित विभागाध्यक्षों को थी। प्रश्नपुस्तिका परीक्षा कक्ष में आने से पूर्व ही उसके लिफाफे का सील पूर्णतया क्षतिग्रस्त होकर खुला था। इसकी शिकायत करने जब हम जाने लगे तो हमें विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गेट पर ताला जड़कर एक कमरे में बंद कर दिया गया। कुछ देर बाद जब हम केंद्राध्यक्ष प्रो.एसके सिंह से शिकायत करने व मिलने जा रहे थे,तभी सीढ़ी पर ही प्रो. एसके सिंह,प्रो.अजय सिंह,प्रो. विनय सिंह,नियन्ता प्रो.सतीश चन्द्र पाण्डेय,डा.सुषमा पाण्डेय व अन्य लोगों द्वारा हम लोगों को रोक लिया गया और गाली दी गई।कलकांत राव को जाति सूचक गालियां दी गई। शोध छात्रा दीप्ति राय,कृतिका सिंह के साथ अभद्र हरकत कर अपमानित किया गया और भविष्य बर्बाद करने व पंजीकरण निरस्त करने की धमकी दी गई। इस तरह आरोपियों ने दुर्भावना ग्रस्त होकर धोखे से मिथ्या दस्तावेज रचकर प्रश्नपत्र बदले जाने,फर्जी व कूटरचित पाठयक्रम विश्वविद्यालय के वेबसाईट पर अपलोड करने का कार्य किया गया।
तहरीर पर किए गए हस्ताक्षकर में प्री पीएचडी के छात्र कमलकांत राव,कृतिका सिंह,राधा विश्वकर्मा,अन्नु जायसवाल,अंजनी पांडेय,दीप्ति राय,मंदीप राय,प्रशांत मौर्य,आनंद मिश्र,रामभरोसे तिवारी,अमित चैहान,राजन दूबे,सुधीर मद्धेशिया,राजन विश्वकर्मा का नाम शामिल है।
शिक्षक के सत्याग्रह का दूसरा चरण 15 जनवरी से
हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने कुलपति को हटाने की मांग को लेकर अपने सत्याग्रह का दूसरा चरण 15 जनवरी से शुरू करने का एलान किया है। कमलेश गुप्ता का कहना है कि सत्याग्रह का यह चरण 'प्रोफेसर राजेश सिंह को हमारे दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के 'कुलपति के पद से हटाने' के साथ ही 'डॉक्टर पी एल जानी को कुलाधिपति के 'विशेष कार्याधिकारी के पद से हटाए जाने' के लिए भी होगा।
उन्होंने कहा है कि प्रोफेसर राजेश सिंह किसी तरह का कोई नियम-कानून नहीं मान रहे हैं। सभी 'शिक्षकों और विद्यार्थियों को आतंकित और उत्पीड़ित करते हुए लगातार अपनी मनमर्जी के साथ तरह-तरह की अनियमितताओं में लिप्त' हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के सारे निकायों, सारी व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। उनका कुलपति के पद पर बने रहना विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालय परिवार के 'हित में कदापि नहीं' है। प्रोफेसर राजेश सिंह के इन कृत्यों को 'कुलाधिपति सचिवालय से संरक्षण प्राप्त' है। जैसा कि मैं पहले बता चुका हूॅं कुलाधिपति सचिवालय ने 'नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध और शासनादेश का उल्लंघन' करते हुए प्रोफेसर राजेश सिंह के विरुद्ध मेरी शिकायतों की जाॅंच उन्हें ही कराने को भेज दिया था।
कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी डॉक्टर पी एल जानी 25 दिसंबर, 2021 को मेरे अलावे विश्वविद्यालय के ढेर सारे शिक्षकों, विभागाध्यक्षगण, विद्यार्थियों, शोधार्थियों से मिले थे।हम सबसे उनकी जो बातें हुई थीं, वह सारी बातें मेरे आरोपों को पुष्ट करने वाली थीं। यह एक तरह से 'प्रत्यक्ष गवाही थी सच्चाई और न्याय के पक्ष' में। हम सबको विश्वास था कि कोई प्रभावी कार्यवाही होगी। डॉक्टर जानी ने आश्वासन भी दिया था कि समाधान होगा। शपथपत्र व साक्ष्यों के साथ लिखित शिकायत और उसके समर्थन में 'लगभग 50 लोगों की गवाही के बावजूद कोई प्रभावी कार्यवाही न होना, घोर अन्याय' है। हमें यह जानकर दुखद आश्चर्य और घोर निराशा हुई कि हमारे कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह को वह सारी शिकायतें प्राप्त हो गईं।बातें विस्तारपूर्वक ज्ञात हो गईं। शिकायतों के विरुद्ध कुलपति से आख्या माॅंगा जाना अलग बात है और शिकायतों को उन्हें प्रेषित करके उनको ही कार्यवाही करने के लिए सौंप देना बिल्कुल भिन्न बात है। यह 'प्राकृतिक न्याय के सर्वथा विरुद्ध' है।
प्रो. कमलेश गुप्ता ने कहा कि डॉक्टर जानी का यह कृत्य हम सबको बुरी तरह से आहत करने वाला है। इससे कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी से बात करने वाले लगभग सभी शिक्षक, विभागाध्यक्षगण 'गहरे तनाव में' है।ं हाल यह है कि कुलपति तरह-तरह से 'लगातार उनके ऊपर दबाव' बना रहे हैं। कुलपति के 'क्रियाकलापों में रत्ती भर भी बदलाव नहीं' आया है। स्नातक प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों की पढ़ाई अभी आरंभ हुई है। राज्य सरकार के दिशा निर्देश से भिन्न अपने अव्यावहारिक दिशा निर्देश और दबाव से सीबीसीएस पद्धति का जो पाठ्यक्रम कुलपति ने पास करवाया है, उसमें भी यह बिल्कुल तय है कि कितनी कक्षाओं की पढ़ाई होगी।बगैर पढ़ाई के वह अपनी योजना के हिसाब से परीक्षा कराना चाहते हैं। विद्या परिषद की संस्तुति के बगैर संबद्ध महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर पर सीबीसीएस का पाठ्यक्रम लागू नहीं किया जा सकता। कुलपति ने इस मामले में भी अपनी मनमर्जी का परिचय दिया है।अपने क्रियाकलापों से कुलपति मेरे इस आरोप को लगातार पुष्ट कर रहे हैं कि वह कोई नियम- कानून नहीं मानेंगे, उनका 'जो मन करेगा, वही करेंगे उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।'
अब हमारा यह दृढ़ विश्वास है कि 'कुलाधिपति सचिवालय के अबाध संरक्षण' से ही वे ऐसा कर रहे हैं। अतः प्रोफेसर राजेश सिंह को कुलपति पद से हटाने और उनको नैसर्गिक न्याय व सारे नियम-कानूनों का उल्लंघन करते हुए संरक्षण देने के लिए कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी 'डॉ पी एल जानी को उनके पद से हटाए जाने की मांग के साथ हम सत्याग्रह का अगला चरण आरंभ करने के लिए बाध्य' हैं। इस बीच खास बात यह है कि पूर्व में शिक्षक संध के चुनाव न होने तक संघर्ष समिति का गठन कर आंदोलन चलाने का शिक्षकांे ने एलान किया था। लेकिन उस पर अमल होते न देख यह आशंका जताई जा रही है कि कुछ शिक्षक कुलपति के दबाव में आकर अभी से ही आंदोलन से पीछे हटने लगे हैं।