DDU News Today: प्री पीएचडी परीक्षा का बहिष्कार, उत्तर पुस्तिका फाड़नेवालों पर दर्ज होगा मुकदमा

DDU News Today: दीनदयाल उपाध्याय विश्विद्यालय गोरखपुर शिक्षक व छात्रों के आंदोलन के बीच 7 जनवरी को एक बार फिर सुखिर्यों में रहा। इस बार पाठयक्रम से बाहर के प्रश्न तैयार करने को लेकर प्री पीएचडी के छात्रों ने जमकर बवाल मचाया।

Update: 2022-01-07 18:10 GMT

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

DDU News Today: दीनदयाल उपाध्याय विश्विद्यालय गोरखपुर शिक्षक व छात्रों के आंदोलन के बीच 7 जनवरी को एक बार फिर सुखिर्यों में रहा। इस बार पाठयक्रम से बाहर के प्रश्न तैयार करने को लेकर प्री पीएचडी के छात्रों ने जमकर बवाल मचाया। परीक्षा शुरू होते ही उत्तर पुस्तिकाएं फाडते हुए दर्जनों छात्रों ने परीक्षा का बहिष्कार किया।विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा के दौरान बवाल मचानेवाले छात्रों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के साथ ही मुकदमा दर्ज कराने का निर्णय लिया है। जिसके चलते पहले से ही कुलपति को हटाने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच कैंपस का माहौल और गरमाने के आसार हैं।

कोरोना काल में कक्षाएं न संचालित होने व समय से परीक्षा न होने की स्थिति में छात्रों को प्रमोट करने के शासन का निर्णय प्री पीएचडी पर भी लागू करने की मांग को लेकर संबंधित छात्र पिछले डेढ़ महीने से आंदोलनरत रहे। आखिरकार का कुलाधिपति के ओएसडी के हस्तक्षेप के बाद इस आधार पर आंदोलन समाप्त हुआ कि जल्द ही परीक्षा कराई जाएगी। साथ जिन पाठयक्रमों की पढ़ाई हुई है।उससे संबंधित ही सवाल पूछे जाएंगे।

केंद्राध्यक्ष की रिपोर्ट के मुताबिक प्री पीएचडी के प्रथम प्रश्न-पत्र की परीक्षा विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में अपराह्न एक बजे से प्रारम्भ होनी थी। परीक्षा प्रारम्भ होने के पश्चात् कुछ 10-15 शोध छात्र-छात्राओं ने परीक्षा का बहिष्कार किया तो उनको बाहर जाने की अनुमति दे दी गयी। किन्तु उन छात्रा-छात्राओं ने सभी परीक्षा कक्षों में जाकर परीक्षाएँ बाधित की। उसके बाद भी लगभग 95 प्रतिशित छात्र-छात्राएं शालीनतापूर्वक परीक्षा दे रहे थे और केन्द्राध्यक्ष ने सभी कक्ष निरीक्षकों को आदेश दिया कि जो छात्र-छात्राएँ परीक्षा दे रहे हैं उन्हें बाधा न आये, यह सुनिश्चित करें। कुछ समय बाद केन्द्राध्यक्ष के कमरे में वे छात्र-छात्राएँ घुसने का प्रयास करने लगे, बहुत रोकने के बावजूद भी जबरन कमरे में घुसकर गोपनीय कागजातों को फाड़ते हुए तोड़फोड़ भी करने लगे तथा पूरे कमरे में कागजातों को बिखेर दिये।


उसके बाद सभी कक्षों के दरवाजों को धक्का देकर अन्दर घुस गये। इस दौरान जो छात्र परीक्षा दे रहे थे उनके प्रश्न-पत्रों और ओ.एम.आर. शीट को जबरदस्ती छिनकर फाड़ने लगे तथा कुछ कक्ष निरीक्षकों के साथ अभद्र व्यवहार भी किया जिसमें महिला शिक्षक भी थीं।

इस तरह से लगभग 100-150 छात्रों की कापियाँ फाड़ दिये और उनको बाहर खींचकर ले गये तथा कुछ छात्रों की कॉपियाँ भी छिनकर ले गये। इन 10-15 छात्रों ने अन्य छात्रों के साथ मिलकर इतना आतंक मचाया कि छात्रों और शिक्षकों (कक्ष निरीक्षकों) के जान का खतरा बना रहा। ऐसे में निर्णय लिया गया है कि अगर इन छात्रों पर सख्त अनुशासनिक कार्यवाही नहीं की गयी तो आगे परीक्षा कराना संभव नहीं' हो पायेगा।

विश्विद्यालय प्रशासन ने कहा कि 'परीक्षा का फॉरमेट वैसा ही था जैसा पहले नोटिफाई किया गया था'। प्रथम प्रश्न पत्र रिसर्च मेथोडोलॉजी की परीक्षा कुल 65 अंक की थी जिसमें 20 अंक का सब्जेक्टिव पेपर तथा 45 अंक का ऑब्जेक्टिव पेपर था। सब्जेक्टिव प्रश्न विश्विद्यालय के विभिन्न विभागों द्वारा ही तैयार किया गया था। जबकि ऑब्जेक्टिव प्रश्न वाह्य परीक्षकों द्वारा तैयार किया गया था। प्रश्नपत्र पढ़ाये गए पाठ्यक्रम में से ही दिया गया था तथा इसका ध्यान रखा गया था कि 'एमए एवं एमएससी के विद्यार्थी भी आसानी से हल कर पाए।'

केंद्राध्यक्ष 'प्रो एस के सिंह की रिपोर्ट' पर विश्विद्यालय के अधिनियम एवं अध्यादेश के अनुसार इन विद्यार्थियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई है। प्री-पीएचडी परीक्षा के प्रथम प्रश्न पत्र रिसर्च मेथोडोलॉजी में व्यवधान उत्पन्न करने और उत्तरपुस्तिका फाड़ने वाले विद्यार्थियों को 'विश्विद्यालय से निष्कासित करने तथा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन विद्यार्थियों को 'तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय में प्रवेश पर प्रतिबंध तथा छात्रावास की सुविधा से भी वंचित करने का निर्णय' लिया है।

विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक इन छात्रों में मुख्य रुप से मंदीप राय कमलकान्त राव, राधा विश्वकर्मा, अन्नू जायसवाल, कृतिका सिंह, रामभरोसे तिवारी, राजन दूबे, अमन यादव,सुधीर मद्धेसिया,अंजली पाण्डेय,राजन विश्वकर्मा,प्रशान्त मौर्या, आनन्द मिश्रा, श्वेता पाण्डेय, दीप्ति, अर्चना, प्रियंका व अन्य कई शामिल रहे। प्री-पीएचडी पाठ्यक्रम के द्वितीय प्रश्न पत्र 'कंप्यूटर एप्पलीकेशन की परीक्षा पूर्व निर्धारित तिथि 9 जनवरी को होगी। निष्काषित विद्यार्थी इस परीक्षा में भाग नहीं ले पाएंगे।'

पूरे हालात के लिए कुलपति जिम्मेदार

विश्वविद्यालय में व्याप्त अव्यवस्था के लिए कुलपति प्रो.राजेश सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए हटाने की मांग को लेकर आंदोलन की शुरूआत करनेवाले हिन्दी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने फिर एक बार मुखर होकर कई आरोप लगाए। प्री पीएचडी परीक्षा के दौरान हुए बवाल को लेकर प्रो. गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, '1973 की धारा 13(ङ) में कुलपति के कर्तव्यों' के बारे में कहा गया है कि वह विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को आयोजित करने एवं उन्हें समुचित ढंग और समय पर संचालित करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदाई होगा कि उन परीक्षाओं के परिणामों को शीघ्र ही प्रकाशित किया जाए और यह कि 'विश्वविद्यालय का शैक्षिक सत्र समुचित तारीखों पर प्रारंभ हो तथा समाप्त हो।'

प्रोफेसर राजेश सिंह जी अपने इन कर्तव्यों के निर्वहन में पूरी तरह असफल प्रमाणित हो चुके हैं। उन्होंने नियमों और परंपराओं के विरुद्ध 16जून,2021से नए सत्र का आरंभ किया था। रेट परीक्षा, 2020 में शामिल मनोविज्ञान विषय के विद्यार्थियों का 'परीक्षा परिणाम आज तक घोषित नहीं' हुआ। .शोध प्रवेश परीक्षा 2021-22 आज तक आयोजित नहीं हुई। विश्वविद्यालय की विभिन्न परीक्षाओं का परिणाम काफी विलम्ब से (दीक्षांत समारोह के ठीक पहले दिसंबर माह तक) घोषित हुआ है। प्री पीएचडी 2018 - 2019 की 'बहुप्रतीक्षित परीक्षा भी उनकी मनमर्जी की भेंट' चढ गई है। इन सबके लिए 'प्रोफेसर राजेश सिंह ही उत्तरदाई' हैं। केवल इतने से ही सिद्ध हो जाता है कि प्रोफेसर राजेश सिंह कुलपति पद के लिए सर्वथा अयोग्य व्यक्ति' हैं।

इस बीच कुलपति को हटाने की मांग को लेकर शिक्षक संघर्ष समिति के आंदोलन चलाने से माहौल जहां पहले से गरमाया हुआ है,वहीं प्री पीएचडी की परीक्षा के दौरान बवाल व छात्रों पर मुकदमे की कार्रवाई तथा कक्षा से निष्कासित करने के लिए से आंदोलन और गरमाने के आसार है। ऐसे मेें द्वितीय प्रशन पत्र की 9 जनवरी को आयोजित परीक्षा को लेकर असमंजश की स्थिति बनी हुई है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि पूर्व में तय समय पर भी द्वितीय प्रश्न पत्र की परीक्षा होगी।

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