Dharmyuddh : उत्तराखंड सरकार ने बनाई ड्राफ्टिंग कमेटी, देवबंद में 5000 मुस्लिम धर्मगुरु भरेंगे हुंकार, UCC पर मचेगा महासंग्राम?

Dharmyuddh : ज्ञानवापी, कुतुब मिनार, ताजमहल, अजमेर शरीफ जैसे मसलों पर विवाद के ​बीच अब हिंदू और मुस्लिम संगठनों के लोग यूनिफार्म ​सिविल कोड के मुद्दे पर भी आर या पार के मूड में दिखाई देने लगे हैं।

Update: 2022-05-28 03:30 GMT

Dharmyuddh : उत्तराखंड सरकार ने बनाई ड्राफ्टिंग कमेटी, देवबंद में आज 5000 मुस्लिम धर्मगुरु भरेंगे हुंकार, तो क्या यूसीसी पर मचने वाला है महासंग्राम?

Dharmyuddh : ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद विवाद, कुतुब मिनार, ताजमहल, अजमेर शरीफ, टीपू सुल्तान मकबरा, औरंगजेब का मजार जैसे मसलों पर देशभर में तनाव का माहौल है। इस बची हिंदू और मुस्लिम संगठनों के लोग यूनिफार्म ​सिविल कोड ( Uniform Civil Code ) के मुद्दे पर भी आर या पार के मूड में दिखाई देने लगे हैं। इस मसले पर एक तरफ उत्तराखंड सरकार ( Uttarakhand Government )  ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर ड्राफ्टिंग कमेटी (UCC drafting committee )गठित कर दी है तो दूसरी तरफ जमीयत ( Jamiat ulema e hind )  ने देवबंद ( Deoband ) में आज देशभर के मुस्लिम संगठनों के 5 हजार धर्मगुरुओं के लिए जलसे का आयोजन किया है।

फिलहाल, धार्मिक मुद्दों को लेकर हालात बेकाबू होते नजर आ रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। देश में ऐसे कई अवसर आये हैं, जब इन मुद्दों पर हालात वर्तमान से ज्यादा खराब हुए हैं और हमारा देश तनाव की आग में झुलसने के बजाय उससे बाहर निकला है। इस बार पहले की तरह केंद्र-राज्य सरकारों और देश की अदालतों पर सबकी नजर है। इस बार अंतर यह है कि एक पक्ष के लोगों को राजनीतिक व्यवस्था तंत्र पर हावी सरकार पर भरोसा पहले की तुलना में कम है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि पुष्कर सिंह धामी ( Pushkar Singh Dhami Government )  सरकार ने क्या कदम उठाए हैं और देवबंद में आज क्या होने वाला है।

SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में ड्राफ्टिंग कमेटी गठित

दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर काम करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। पुष्कर धामी सरकार ने गुरुवार यानि 27 मई को समान आचार संहिता तैयार करने के लिए ड्राफ्टिंग कमेटी गठित कर दी है। इस कमेटी में पांच लोग शामिल हैं। इनमें उत्तराखंड सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया है। इसमें पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज प्रमोद कोहली, मनु गौड़ और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल को शामिल किया गया है।

देवबंद जलसे में होगा UCC पर मंथन

उत्तर प्रदेश के देवबंद में 28 मई यानी शनिवार को पूरे देश के करीब 5 हजार मुस्लिम धर्म गुरु आज एक मंच पर दिखाई देंगे। ये सभी अलग अलग संगठनों से जुड़े हैं, लेकिन जमीयत ए उलेमा हिंद ( Jamiat Ulema E Hind ) ने सभी को एक मंच पर आमंत्रित किया है। जलसे में चर्चा के मुख्य रूप से ज्ञानवापी और कुतुब मीनार के मुद्दे पर होना है। बताया जा रहा है कि कॉमन सिविल कोड भी चर्चा तय है। ये जलसा देवबंद के ईदगाह में आयोजित किया जा रहा है। मौलाना महमूद मदनी इस जलसे की अध्यक्षता करेंगे। इस जलसे के पीछे जमीयत की क्या सोच है यह तो बाद में ही साफ होगा लेकिन इतना तो जरूर है कि जमीयत इस कोशिश में तो है कि देश भर के मुसलमानों को एक मंच पर इकट्ठा किया जा सके। मुस्लिम बुद्धिजीवियों को इस बार तवज्जो दी जा रही है। 

UCC क्या है?




 देश के संविधान में बताया गया है कि कानून की नजर में सभी नागरिक एक समान हैं। जाति धर्म और लिंग से कानून सबके लिए एक ही है। शादी, तलाक, एडॉप्शन, उत्तराधिकार, विरासत लेकिन सबसे बढ़कर लैंगिक समानता वो कारण है, जिस वजह से यूनिफार्म सिविल कोड ( Union Civil code ) की आवश्यकता लंबे अरसे से महसूस की जाती रही है। UCC का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियमों का होना है। इसका अर्थ है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हों। वर्तमान में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं। हिंदुओं के लिए हिंदू पर्सनल लॉ है। वैसे ही मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ है। ईसाईयों के लिए भी पर्सनल लॉ है। अंतर इतना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ और इसाई पर्सनल लॉ संसद द्वारा पारित संवैधानिक व्यवस्था नहीं है। 

UCC जरूरी क्यों?

अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग कानूनों से न्यायपालिका पर बोझ बढ़ता है। UCC आने से न्यायालयों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के निपटारे जल्द होंगे। तथाकथित तौर पर दावा किया जा रहा है कि इससे मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बेहतर होगी। सबके लिए एक कानून होगा तो देश में एकता को बढ़ावा मिलेगा। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। UCC के जरिये सभी लोगों के साथ धर्म से परे जाकर समान व्यवहार होना जरूरी है। हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होने से राजनीति में भी बदलाव आएगा। यहां पर इस भ्रांति को दूर करना भी जरूरी है कि UCC लागू होने से लोगों को अपनी धार्मिक मान्यताओं को मानने का अधिकार नहीं छिनेगा। 

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