यूपी: मिर्जापुर के विन्ध्याचल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बंट रही हैं एक्सपायरी दवाइयां

सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर ऐसे मरीज जाते हैं जो महंगी दवाइयों को बाजार से लेने में असमर्थ हैं, ऐसे लोग अधिकतर दवाओं के ऊपर अंग्रेजी शब्दों में लिखें दवाइयों के एक्सपायरी डेट के बारे में अनभिज्ञ भी होते हैं और कभी-कभी तो पढ़े-लिखे लोग भी नहीं समझ पाते हैं....

Update: 2020-11-02 17:10 GMT

संतोष देव गिरी की रिपोर्ट

मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का स्वास्थ्य महकमा खामियों के बाद भी व्यवस्था में सुधार लाने की सीख नहीं ले रहा हैं, शायद उसे किसी गंभीर हादसे का इंतजार है। पिछले महीने सितंबर में जिले के कोन स्वास्थ्य केंद्र से वितरित की गई फाइलेरियां के दवा का सेवन करने से जहां कुछ किशोरियां बीमार पड़ गईं थी, वहीं अब जिले के विंध्याचल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कर्मी जहर स्वरूप एक्सपायरी डेट की दवाइयां वितरित कर रहे हैं।

वहीं मामला उजागर होने के बाद महकमा लीपापोती करने में जुट गया है। इस लापरवाही के चलते न जाने कितने मरीजों में गलत दवाइयां वितरण की जा चुकी होंगी, इसका अनुमान लगाना अभी मुश्किल है। दरअसल, इस बात की जानकारी 31 अक्टूबर को तब सामने आई जब विंध्याचल के कंतित निवासी एक मरीज ने विंध्याचल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर की सलाह और उनके पर्ची संख्या -18429 पर सरकारी अस्पताल के काउंटर से दवाइयां ली। दवाई की एक्सपायरी डेट पर ध्यान तब गया जब वह रात्रि को दवा खाने जा रहा था कि तभी उसकी नजर दवा के रैपर पर पड़ गई। दूसरे दिन रविवार को युवक सीधे अस्पताल पहुंचा और इमरजेंसी में जाकर शिकायत की।


शिकायत के दौरान युवक और वितरण करने वाले स्वास्थ्य कर्मी (फार्मासिस्ट) से बहस हुई जिसके बाद स्वास्थ्यकर्मी हड़बड़ा गया और उसने अपनी गलती कबूल की। ऐसी गलतियां जिले के अन्य अस्पतालों में न हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी को मामले में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि इस प्रकार की पुनरावृति दोबारा ना होने पाए।

इस संबंध में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी के सीयूजी नंबर पर फोन किया गया तो प्रभारी सीएमओ मीटिंग में व्यस्त हैं, ऐसी जानकारी मिली। फोन पर जब फार्मासिस्ट से बात हुई तो उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की।

बताते चलें कि सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर ऐसे मरीज जाते हैं जो महंगी दवाइयों को बाजार से लेने में असमर्थ हैं। ऐसे लोग अधिकतर दवाओं के ऊपर अंग्रेजी शब्दों में लिखें दवाइयों के एक्सपायरी डेट के बारे में अनभिज्ञ भी होते हैं और कभी-कभी तो पढ़े-लिखे लोग भी नहीं समझ पाते हैं।

सवाल यह है कि मरीज जीवन की आस लगाए डॉक्टरों की शरण में जाता है और उसे अस्पताल में दवाइयों के रूप में जहर स्वरूप एक्सपायरी दवाइयां मिल रहीं है। हालांकि यह दवाइयां जो वितरण की गई है वह किस प्रकार की दवाइयां हैं, इसके क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं, यह कोई चिकित्सा विशेषज्ञ ही बता सकता है। लेकिन कोई मुंह खोलना नहीं चाहता है। लापरवाही हुई है इस बात को संबंधित स्वास्थ्यकर्मी भी स्वीकार करता है, लेकिन क्यों हुई ? इस बात पर वह भी खामोश हो जाता है।


गौरतलब हो कि इसके पूर्व इसी प्रकार की लापरवाही कोन विकास खंड के कोन स्वास्थ्य केंद्र पर हो चुकी है जहां से बांटी गई फाइलेरियां के दवा का सेवन करने से कुछ किशोरी बीमार पड़ गई थी, जिनमें एक की हालत गंभीर हो जाने पर पहले मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां से उसे प्रयागराज ले जाया गया था। यह मामला थमा नहीं था की दूसरी लापरवाही

विंध्याचल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सामने आई है। बहरहाल अब देखना यह है कि अधिकारी इस घोर लापरवाही के मामले में क्या कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं?

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