कृषि कानूनों के खिलाफ किसान ने छह बीघा खेत पर खड़ी गेहूं की फसल को किया नष्ट

दो दिन पहले, एक किसान महापंचायत के दौरान, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने किसानों से आंदोलन को महत्व देने और जरूरत पड़ने पर अपनी फसलों को नष्ट करने का आग्रह किया था।

Update: 2021-02-21 08:07 GMT

बिजनौर। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में एक किसान ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराते हुए अपने छह बीघा खेत पर खड़ी गेहूं की फसल को नष्ट कर दिया। मैसेंजर ऐप पर वायरल एक वीडियो में चांदपुर तहसील के कुलचाना गांव में 27 वर्षीय सोहित अहलावत अपनी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चलाते हुए नजर आ रहे हैं।

यह घटना शनिवार को हुई थी। दो दिन पहले एक किसान महापंचायत के दौरान भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने किसानों से आंदोलन को महत्व देने और जरूरत पड़ने पर अपनी फसलों को नष्ट करने का आग्रह किया था।

शनिवार शाम को टिकैत ने कहा कि अहलावत का वीडियो देखकर उन्हें तकलीफ हुई लेकिन और अधिक किसान ऐसा ही करेंगे, "अगर सरकार हमारी बात नहीं मानती है।"

उन्होंने कहा, "सरकार ने हमें एक ऐसी स्थिति में लाकर रख दिया है जहां किसान फसलों को नष्ट कर रहे हैं, जो देखना अच्छा नहीं लगता। मुझे वीडियो देख कर बहुत दुख हुआ, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था, जब मैंने किसानों से एक सीजन की फसलों का त्याग करने के लिए तैयार होने के लिए कहा था।" उन्होंने उत्तर प्रदेश गेट (गाजीपुर बॉर्डर) पर कहा, "इस तरह नुकसान का मतलब नहीं बनता है।"

अहलावत, जिनके पिता संजीव कुमार 40 बीघा खेत के मालिक हैं, उन्हें वीडियो में यह कहते हुए सुना जा सकता है, "आप मेरी खड़ी गेहूं की फसल देख सकते हैं। मैं किसानों के आंदोलन के समर्थन में इसे सबके सामने नष्ट कर रहा हूं। मैं नहीं चाहता कि कृषि कानून हम पर थोपे जाएं।"

बीकेयू के युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष दिगंबर सिंह ने आरोप लगाया, "पुलिस ने उस किसान को परेशान करना शुरू कर दिया है जिसने अपनी खड़ी गेहूं की फसल को नष्ट कर दिया। लेकिन किसान सरकार और उसकी पुलिस के सामने झुकेंगे नहीं।"

स्थानीय पुलिस ने सिंह के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वे केवल 'साइट की जांच' करने के लिए खेत में गए थे। बिजनौर के पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने कहा कि जिले में किसानों पर कोई दबाव नहीं है।

चांदपुर के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट पी.के. मौर्य ने कहा, "हमने जांच करने और किसान के परिवार से बात करने के लिए राजस्व विभाग के अधिकारियों को भेजा था। उन्होंने कहा कि यह कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विरोध था। हम सतर्क हैं और सभी से बात करने की कोशिश कर रहे हैं।"

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