कृषि कानूनों के विरुद्ध किसान महीनों से कर रहे आंदोलन तो UP चुनाव में BJP किताब लेकर चली डोरे डालने
यूपी चुनावों को ध्यान में रखते हुए पार्टी किसान आंदोलन के कारण हुए डैमेज को कंट्रोल कर किसानों को साधने के फेर में पड़ गई है..
जनज्वार। एक तरफ तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले आठ महीने से देश के किसान आंदोलन पर हैं तो दूसरी तरफ केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी खुद को किसानों की हितैषी साबित करने में जुट गई है। यूपी चुनावों को ध्यान में रखते हुए पार्टी किसान आंदोलन के कारण हुए डैमेज को कंट्रोल कर किसानों को साधने के फेर में पड़ गई है।
इसके लिए वह किताब लेकर किसानों के बीच जाएगी और उन्हें बताएगी कि उनकी सबसे बड़ी हितैषी पार्टी वही है। उत्तरप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है और यहां किसानों की बड़ी संख्या है, जिन्हें मनाने की कोशिश शुरू हो गई है।
खबर है कि बीजेपी का केंद्रीय और राज्य नेतृत्व दोनों, उत्तरप्रदेश चुनाव को देखते हुए किसानों के मुद्दे काफी मंत्रणा कर रहे हैं। पार्टी को यह अहसास है कि किसानों में भारी नाराजगी है, जो प्रदेश के आगामी चुनावों में भारी पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में भी सांसदों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री योगी और पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ़ किया है कि किसान का मुद्दा उनके लिए अहम है और पार्टी खुलकर चुनाव में भी किसानों के मुद्दे पर बात करेगी।
अब किसानों का समर्थन पाने के लिए बीजेपी ने बड़ी योजना बनाई है। उत्तरप्रदेश में चुनाव यूं तो अगले साल होने हैं लेकिन पार्टी अभी से तरकश में तीर कस रही है। अब खबर है कि पार्टी के प्रचार अभियान में किसानों पर बात करना एक अहम मुद्दा होगा।
बताया जा रहा है कि बीजेपी ने एक पुस्तक तैयार किया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे भाजपा की दोनों (केंद्र व राज्य) सरकारों ने किसानों के लिए बाक़ी राजनीतिक दलों से अधिक काम किया है।
किताब में यह बताया गया है कि वर्ष 2017 से यूपी के 78 लाख से ज्यादा किसानों को न्यूनतम समर्थन पर उत्पाद खरीदने के चलते 78 हजार करोड़ रुपये मिले हैं। गन्ने की खेती करने वाले 45 लाख किसानों के बीते साढ़े चार से बकाया 1.4 लाख करोड़ रुपये मिले हैं।
पीएम किसान सम्मान निधि के तहत राज्य के 2.5 करोड़ किसानों के पास 32 हजार 500 करोड़ रुपये उनके खाते में आए हैं और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान उत्तर प्रदेश में 25 लाख से ज्यादा किसानों को फसल बीमा योजना के अंतर्गत 2208 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
हालांकि यह तथ्य अपनी जगह कायम है कि तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों को किसानों ने अपने लिए नुकसानदेह बताते हुए देश भर में प्रदर्शन किया है। यूपी व हरियाणा के दिल्ली से लगी सीमा पर किसानों का यह आंदोलन बीते लगभग आठ महीने से लगातार चल रहा है। केंद्र ने साफ कर दिया है कि वह नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी।
किसान संगठनों के साथ केंद्र सरकार की 10 से ज्यादा दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन केंद्र कोई आश्वासन नहीं दे पाया है। इसके कारण किसानों में जबरदस्त नाराजगी है और कई मौकों पर बीजेपी नेताओं को किसानों के बीच पड़ जाने पर विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है।