Fatehpur News: 6 माह भी न चली PM Modi द्वारा लोकार्पित सड़क, अब किसान कूट रहे उड़द की फसल
Fatehpur News: बात जरा सुनने में अजब लगती जरूर है बशर्ते जो सच है उससे मुंह कैसे चुराया जा सकता है। दरअसल जिस सड़क पर वाहनों को फर्राटा भरना चाहिए उसपर हालिया समय किसान उड़द कूटने समेत अन्य खेती बाड़ी के काम निपटा रहे हैं।
लईक अहमद की रिपोर्ट
Fatehpur News: बात जरा सुनने में अजब लगती जरूर है बशर्ते जो सच है उससे मुंह कैसे चुराया जा सकता है। दरअसल जिस सड़क पर वाहनों को फर्राटा भरना चाहिए उसपर हालिया समय किसान उड़द कूटने समेत अन्य खेती बाड़ी के काम निपटा रहे हैं। तस्वीर नेशनल हाईवे 32 की है। जिसका नजारा देखकर आपको उत्तर प्रदेश के विकास की चकाचौंध आसमान में जमे बादलों की तरह फटती-सिमटती नजर आएगी।
पूरा माजरा जानने पर पता चला कि, ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि स्पेन की जिस कारदायी संस्था द्वारा बांदा-टांडा मार्ग पर जो रेलवे ओवरब्रिज बनाया गया है, उसका डिजाइन गलत करार दे दिया गया। जिसके बाद अब फिर से इस आरओबी पर काम चालू होना है। यह बात दीगर है कि दो गुनी क्षमता से बनने वाले इस निर्माण पर अभी तक रत्ती भर भी काम शुरू नहीं हो सका है।
बता दें कि बांदा-टांडा के बाईपास का निर्माण रेलवे इंजीनियरिग शाखा की संस्तुति पर स्पेन की कार्यदायी संस्था संतजोंस ने वर्ष 2010 में कराया था। यह शहर क्षेत्र के जीटी रोड से बांदा-टांडा में शाह कस्बे 10 किमी लंबी सड़क व जखनी गांव के समीप 60 मीटर ओवरब्रिज बना था। इस योजना में केंद्र सरकार के 16 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। जिसमें 4 करोड़ ब्रिज में लगे थे।
बताते चलें कि बांदा-टांडा से रायबरेली-बांदा तक 424 करोड़ से 285 किमी सड़क निर्मित हुई है। इसकी जांच करने केंद्र से टीम आई थी और घटिया गुणवत्ता व मानक की अनदेखी पाई थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर ब्रिज से भारी वाहनों का आना -जाना प्रशासन ने रुकवा दिया था, जिससे कोई हादसा न हो। अब बताया जा रहा है कि आगामी अगस्त माह में इस ब्रिज को गिरा दिया जाएगा।
पीएम ने रायबरेली से किया था उदघाटन
पीएम नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2014 में रायबरेली में बांदा-टांडा मार्ग का लोकार्पण किया था। जिसके 4 वर्ष बाद ही बाईपास की सड़क व ओवरब्रिज खस्ताहाल हो गए। इसको लेकर सांसद और केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने केंद्रीय लोक निर्माण मंत्री नितिन गडकरी से दिल्ली में मुलाकात कर ओवरब्रिज व सड़क के उखड़ने पर कार्यदायी संस्था के कार्यो पर आपत्ति जताते हुए जांच कराए जाने की मांग की थी।
बड़े-बड़े पत्थरों से रोका गया आवागमन
नेशनल हाईवे 32 की पड़ताल की गई तो गांव चितौरा से लेकर कोराई गांव के पुल तक का आलम देखने वाला रहा। यहां पर किसानों की फसल इस कीमती सड़क का हिस्सा दिखी। रेलवे ओवर ब्रिज ध्वस्त होने पर बड़े वाहनों का आवागमन रोकने के लिए पुल के दोनों छोर पर बड़े-बड़े पत्थर रख दिए गए हैं। जिसके पुल के अन्दर से कोई वाहन ना गुजरे और आकस्मिक हादसे का शिकार न बन सके।
रायबरेली-लखनऊ-इलाहाबाद से सीधे चित्रकूट बांदा की राह दिखाने वाले इस हाईवे की दशा देखकर चार पहिया वाहन तक इस पर फर्राटा नहीं भर पा रहे हैं। कोराई गांव के धर्मेंद्र बताते हैं कि 2 साल से सड़क पर वाहन नहीं चल रहे हैं। इस नाते गांव के लोग सड़क पर उड़द की फसल कूट रहे हैं। जिसकी नजीर भी सड़क में देखने को मिली।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
इस निर्माण के प्रोजेक्ट मैनेजर रहे नितिन चौधरी ने जनज्वार से बात करते हुए कहा कि, 'ओवरब्रिज से इतना भार गुजरेगा, इसका अंदाजा रेलवे की इंजीनियरिग शाखा व कार्यदायी संस्था को नहीं था। यही कारण है कि ब्रिज व सड़क से पहले ध्वस्त हो गया। अब इस पुल को दोबारा मंजूरी मिली है। जिसकी 200 टन की क्षमता से बढ़ाकर 436 टन कर दी गई है। ब्रिज को गिरवाकर संस्था पुन: निर्माण कराएगी। यह कार्य शीघ्र शुरू होगा।'