Gorakhnath Khichdi Mela: कोरोना के बीच गोरखनाथ में खिचड़ी मेला की तैयारी, क्या मेला रोकेंगे योगी, या फैलाएंगे कोरोना?

Gorakhnath Khichdi Mela 2022 Update: कोरोना के तीसरी लहर को लेकर सूबे की सरकार कोविड प्रोटोकाल का पालन करने पर विशेष जोर दे रही है।इसके तहत प्रशासनिक स्तर पर सख्ती भी बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

Update: 2022-01-12 06:56 GMT

Gorakhnath Khichdi Mela: कोरोना के बीच गोरखनाथ में खिचड़ी मेला की तैयारी, क्या मेला रोकेंगे योगी, या फैलाएंगे कोरोना?

Gorakhnath Khichdi Mela 2022 Update: कोरोना के तीसरी लहर को लेकर सूबे की सरकार कोविड प्रोटोकाल का पालन करने पर विशेष जोर दे रही है।इसके तहत प्रशासनिक स्तर पर सख्ती भी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। इन सतर्कताओं के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में खिचड़ी मेला की तैयारी जोरों पर है।मकर संक्रांति के दिन गोरखनाथ मंदिर में वर्षों से चली आ रही खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा में हिस्सा लेने इस बार भी लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।ऐसे में यह सवाल उठता है कि कहीं यह आस्था जान पर आफत न बन जाए। हालांकि इसमें सतर्कता के लिहाज से मेले में कोरोना को लेकर जारी प्रोटोकाल का अनुपालन कराने की बात कही जा रही है।यह प्रशासनिक कोशिश लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पालन कराना असंभव सा है।

मुख्यमंत्री के खिचड़ी चढ़ाने के साथ शुरू होगा मेला

गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ के मुताबिक इस वर्ष शुभ विक्रम संवत 2078 शक 1943 पौषमास शुक्ल पक्ष 14 जनवरी द्वादशी तिथि केा रात्रि 8.49 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं इसलिए मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा।मकर संक्रांति के दिन गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है। जिसमें हिस्सा लेने के लिए विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु यहां आते हैं। जिसकी तैयारी मंदिर प्रबंधन व स्थानीय प्रशासन द्वारा एक माह पूर्व ही शुरू कर दी जाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां के पीठाधीश्वर हैं, इसलिए हर साल सबसे पहली खिचड़ी वही चढ़ाते हैं, उसके बाद से कोई भी चढ़ाता है। सदियों से चली आ रही खिचड़ी चढ़ाने की इस परंपरा में भारी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।इस बार भी कोरोना के तीसरी लहर के बाद भी तैयारी जोरों पर है। मंदिर परिसर मेला का शक्ल लेने लगा है।यहां 13 जनवरी से ही दूर दूर से श्रद्धालुओं के आने का क्रम शुरू हो जाता है।

इस बीच कोरोना के दूसरी लहर से वाकिफ लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि ऐसी महामारी का एक बार फिर लोगों को सामना न करना पड़े। पिछले वर्ष यूपी में पंचायत चुनाव के बाद अचानक कोरोना के कहर ने भारी तबाही मचाई थी। जिसमें लाखों लोग प्रभावित हुए।जिनका दर्द अभी कम भी नहीं हुआ है कि कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है।इन माहौलों के बीच खिचड़ी मेला व माघ मेला जैसे आयोजन को लेकर लोगों का सवाल उठाना लाजमी है।स्थानीय प्रशासन के मुताबिक बिना मास्क के मेला परिसर में प्रवेश नहीं मिलेगा।इसके लिए जोनवार अधिकारियों को जिम्मेदारी भी दी गई है।ये सारे प्रयास लाखों श्रद्धालुओं के उपस्थिति में कराना आसान नहीं होगा।

कोरोना प्रोटोकाल को होगा पालन

उधर एक सप्ताह पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि माघ मेला व गोरखपुर खिचड़ी मेला में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और साधु-संतों को मेले में प्रवेश के लिए 48 घंटे के अंदर की निगेटिव आरटीपीसीआर की रिपोर्ट लानी होगी। मेले में मास्क अनिवार्य होगा। जल्द ही गोरखपुर में जीनोम सीक्वेसिंग के लिए मशीन उपलब्ध हो जाएगी। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इस वक्त पौने दो लाख के आसपास कोरोना जांच कराई जा रही है। करीब पांच से छह लाख जांच की क्षमता है। आने वाले दिनों में जांच का दायरा बढ़ाकर तीन से सवा तीन लाख किया जाएगा।कोरोना के 10 प्रतिशत केस में जीनोम सीक्वेसिंग की जांच कराई जा रही है। इसे और बढ़ाया जाएगा। इसके बाद से पूर्वांचल में जीनोम सीक्वेसिंग के लिए बड़ा केंद्र गोरखपुर बन जाएगा। बताया कि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का लक्षण भी पुराने वैरिएंट की तरह ही हैं। लेकिन, ओमिक्रॉन की संक्रमण दर काफी तेज है। राहत की बात यह है कि लोग होम आइसोलेशन में हैं।

ऐसे शुरू हुई खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा

एक समय की बात है कि भिक्षाटन करते हुए हिमाचल के कांगड़ा जिले के ज्वाला देवी मंदिर पहुंचें, जहां देवी प्रकट हुई और गोरक्षनाथ को भोजन के लिए आमंत्रित किया, जब गोरक्षनाथ ने तापसी भोजन को देखा तो उन्होंने कहा कि मैं भिक्षा में मिले चावल , दाल को ही खाता हूं, जिस पर ज्वाला देवी ने कहा कि मैं चावल दाल पकाने के लिए पानी गरम करती हूं, आप भिक्षाटन पर चावल और दाल लेकर आइए, जिसके बाद गोरक्षनाथ भिक्षाटन करते हुए गोरखपुर पहुंचे।

जब वह गोरखपुर पहुंचे तो वहां घना जंगल था, उन्होंने अपना भिक्षा पात्र राप्ति नदी और रोहिणी नदी के संगम पर रखा और वह साधन में लीन हो गए। इसी बीच खिचड़ी का पर्व आया और एक तपस्वी को साधन करते देख लोगों ने उनके पात्र में भिक्षा डालनी शुरू कर दी, लगातार भिक्षा डालने के बाद भी यह पात्र जब नहीं भरा तो लोग इसे तपस्वी का चमत्कार मानने लगे, जिसके बाद से हर साल खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई। तब से लेकर आज तक इस मंदिर हर साल खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई है। नेपाल और बिहार से भी लोग यहां खिचड़ी चढ़ाने के लिए आते हैं। वहीं कुछ श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने के बाद यहां खिचड़ी चढ़ाते है। इस अवसर पर शहर में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा श्रद्धालुओं को खिचड़ी उपलब्ध कराई जाती है।

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