जिस सामाजिक कार्यकर्ता ने योगी के खिलाफ दंगा और नफरत फैलाने की दायर की थी याचिका, उसे रेप मामले में आजीवन कारावास
गोरखपुर के सोशल एक्टिविस्ट परवेज परवाज पर दो साल पहले एक महिला ने रेप का आरोप लगाया था, पहली जांच में उस मामले को फर्जी बताया गया, फिर दोबारा मामले की जांच करायी गई और सबूत मिलने की बात कही गई...
जनज्वार। गोरखपुर के सामाजिक कार्यकर्ता परवेज परवाज और एक अन्य व्यक्ति को दुष्कर्म के एक आरोप में गोरखपुर की एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनायी है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोविंद बल्लभ शर्मा ने तीन जून 2018 के दुष्कर्म के आरोप के मामले में परवेज परवाज और महमूद उर्फ जुम्मन बाबा को आजीवन सश्रम कारावास और 25-25 हजार रुपये के दंड की सजा सुनायी। इस मामले में परवेज के परवाज के वकील ने ऊपरी अदलात में अपील करने की बात कही है। इस मामले में जुर्माना की राशि में 40 हजार रुपये महिला के पुनर्वास के लिए देने की भी बात कही गई है।
परवेज परवाज ने 2007 में गोरखपुर के तत्कालीन सांसद एवं वर्तमान में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ हेटस्पीच की शिकायत दर्ज करायी थी। उन्होंने इस संबंध में हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी और कहा था कि योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर रेलवे स्टेशन के पास दिए भाषण के कारण गोरखपुर सहित आसपास के इलाकों में दंगा भड़का था। वे इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।
2018 में एक महिला ने परवेज व एक अन्य के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत की। एक महिला ने अपने आरोप में कहा था कि इन दोनों ने तीन जून 2018 को उनके साथ दुष्कर्म किया था। महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि वह मसजिद व मजार झाड़ फूंक के लिए जाती थी। मसजिद में दुआ करने के बहाने महिला को जुम्मन बाबा ने पांडेयहाता स्थित अपनी दुकान के पास बुलाया, जब वह वहां पहुंची तो पिस्तौल सटा कर सुनसान जगह पर ले गए और उसके साथ दुष्कर्म किया। उसने अपने आरोप में कहा था कि उसके साथ मौजूद एक और शख्स ने दुष्कर्म किया जिसे जुम्मन परवेज भाई बोल रहा था। महिला की शिकायत के अनुसार, परवेज भाई की पहचान परवेज परवाज के रूप में की गई। महिला के आरोप के अनुसार, य घटना रात साढे दस बजे की है।
दो साल पहले महिला ने चार जून 2018 को राजघाट थाने में परवेज परवाज और महमूद उर्फ जुम्मन बाबा पर दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था। इस केस की पहले विवेचना हुई तो इसे फर्जी पाया गया और अंतिम रिपोर्ट अदालत भेज दी गई, लेकिन फिर अंतिम रिपोर्ट को निरस्त कर इसकी फिर से विवेचना करायी गई जिसमें आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने की बात कही गई और सामाजिक कार्यकर्ता परवेज परवाज और महमूद उर्फ जुम्मन बाबा को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से दोनों पिछले दो साल से जेल में बंद हैं।
अभियोजन पक्ष ने क्या दलील दी?
अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील यशपाल सिंह ने कहा कि महिला ने राजघाट थाने में इस मामले में प्राथमिकी करायी थी। उसने अपनी तहरीर में लिखवाया था कि वह अपने पति से अलग रहती है। वह झाड़ फूंक के लिए मगहर मजार जाती है, जहां उसे महमूद उर्फ जुम्मन बाबा मिले। अन्होंने कई दरगाह में झाड़ फूंक की जिससे मुझे राहत मिली। तीन जून 2018 को उन्होंने पांडेयहाता में दुआ के बहाने बुलाया और एक सुनसान जगह ले गए जहां उन्होंने व उनके साथ के एक और शख्स ने बलात्कार किया। जुम्मन बाबा उस दूसरे व्यक्ति को परवेज भाई बुला रहे थे। घटना के बाद मोबाइल नंबर 100 पर फोन किया और तब पुलिस आयी व हमें साथ ले गई।
योगी के खिलाफ परवेज परवाज ने क्या शिकायत की थी
परवेज परवाज व वकील असद हयात ने गोरखपुर के तत्कालीन सांसद व वर्तमान में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर रेलवे स्टेशन गेट के सामने हेट स्पीच यानी नफरत भरे भाषण देने का आरोप लगाया था और कहा था कि इससे गोरखपुर व आसपास के जिलों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। उन्होंने इस आरोप का उल्लेख करते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर की और स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच कराने की मांग की। बाद में योगी आदित्यनाथ सरकार का गठन होने पर प्रमुख सचिव गृह ने मई 2017 में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। सरकार के इनकार के बाद इलाहाबाद हाइकोर्ट से भी मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिली थी। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया।