Gyanvapi Masjid Case : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ बोले - 'जिला जज अपने हिसाब से करें इस मामले की सुनवाई'

Gyanvapi Masjid Case : जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में जिला न्यायाधीश को ही सुनना चाहिए। जिला जज अनुभवी न्यायिक अधिकारी होते हैं। उनका सुनना सभी पक्षकारों के हित में होगा।

Update: 2022-05-20 10:27 GMT

 SC में सुनवाई जारी, जस्टिस चंद्रचूड़ बोले - जिला जज अपने हिसाब से करें सुनवाई, हम उन्हें आदेश नहीं दे सकते

Gyanvapi Masjid Case : यूपी के बनारस जिले के ज्ञानवापी मस्जिद ( Gyanvapi Mosque Controversy ) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में सुनवाई जारी है। जस्टिस चंद्रचूड़ ( Justice Chandrachid ) की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने पहले सभी पक्षकारों के वकीलों के बारे में जाना। इसके बाद ऑर्डर 7 के नियम 11 के बारे में जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में जिला न्यायाधीश ( District Judge ) को ही सुनना चाहिए। जिला जज अनुभवी न्यायिक अधिकारी होते हैं। उनका सुनना सभी पक्षकारों के हित में होगा।

जस्टिस चंद्रचूड़ ( Justice Chandrachid ) ने कहा कि हम जिला जज को निर्देश नहीं दे सकते कि कैसे सुनवाई करनी है। उनको अपने हिसाब से करने दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ इस मामले में तीन सुझाव दिए हैं। शांति और सौहार्द बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी। सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए। रिपोर्ट सिर्फ जज के सामने पेश होनी चाहिए। 

जिला जज करें इस मामले की सुनवाई

इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) का सुझाव दिया है कि हमारे अंतरिम आदेश को जारी रखा जाएगा। अब इस मसले की सुनवाई डिस्ट्रिक्ट जज अपने हिसाब से करेंगे। यह सभी पक्षों के हितों की रक्षा करेगा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम सोच रहे थे कि जिला जज मामले की सुनवाई कर सकते हैं। वे जिला न्यायपालिका में सीनियर जज हैं। वे जानते हैं कि आयोग की रिपोर्ट जैसे मुद्दों को कैसे संभालना है। हम यह निर्देश नहीं देना चाहते कि उन्हें क्या करना चाहिए। 

किसी स्थान के धार्मिक चरित्र का पता लगाना वर्जित नहीं

मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अहमदी ने कहा​ कि पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बदलने पर स्पष्ट रूप से रोक है। आयोग का गठन क्यों किया गया था? यह देखना था कि वहां क्या था?

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ कहा कि किसी स्थान के धार्मिक चरित्र का पता लगाना वर्जित नहीं है।

मान लीजिए कि अगियारी के दूसरे हिस्से में क्रॉस है। क्या अगियारी की उपस्थिति क्रॉस को अगियारी बनाती है? या क्रॉस की उपस्थिति अगियारी को ईसाई जगह बनाती है? ईसाई धर्म के एक लेख की उपस्थिति इसे ईसाई नहीं बनाएगी और पारसी की उपस्थिति इसे ऐसा नहीं बनाएगी। क्या ट्रायल जज अधिकार क्षेत्र से बाहर चला गया था और क्या रिपोर्ट लीक हुई थी, यह अलग-अलग मुद्दे हैं। इसे हम बाद में देखेंगे।

वकील अहमदी ने कहा कि कमीशन नियुक्त करने का मतलब ये पता लगाना था कि परिसर में किसी देवता की मूर्ति या धार्मिक चिह्न तो नहीं हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर कहीं अगियारी और क्रॉस मिलते हैं तो दो धर्मों का अस्तित्व बताते हैं।

सभी समुदायों के बीच शांति हमारे लिए सबसे ऊपर

सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के जस्टिस चंद्रचूड़ ( Justice Chandrachid ) ने कहा कि समाज के विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारा और शांति हमारे लिए सबसे ऊपर है। हमारा अंतरिम आदेश जारी रह सकता है। इससे सब ओर शांति बनी रहेगी। पहले ट्रायल कोर्ट को मुस्लिम पक्ष की अपील, दलील और 1991 के उपासना स्थल कानून के उल्लंघन की अर्जी पर सुनवाई करने दें।

ज्ञानवापी मस्जिद में वजू की इजाजत नहीं

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कहा कि मस्जिद में हमें वज़ू करने की अनुमति नहीं है। पूरे इलाके को सील कर दिया गया है जहां वजू किया जाता है। इसके जवाब में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम जिलाधिकारी से वैकल्पिक इंतजाम करने को कहेंगे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसके भी इंतजाम किए गए हैं।

सर्वे रिपोर्ट पर विचार करे अदालत

वहीं हिंदू वकील वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष की दलील का कोई मतलब नहीं है। आयोग की रिपोर्ट पर न्यायालय विचार करे तो उचित होगा। धार्मिक स्थिति और कैरेक्टर को लेकर जो रिपोर्ट आई है, जिला अदालत को पहले उस पर विचार करने को कहा जाए। इस मामले में गुरुवार को हिंदू पक्ष ने 274 पन्नों का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था।

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