Gyanvapi Mosque: अयोध्या की तर्ज पर वाराणसी में गरमाया ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा 2024 का चुनावी एजेंडा है? जाने क्या है विवाद की जड़

Gyanvapi Mosque: उत्तर प्रदेश में अयोध्या के बाद वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद का मामला एक बार फिर गरमा गया है। वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के निर्देश पर पहली बार श्रृंगार गौरी व कई विग्रह के साथ-साथ ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे शुरु हो गया है।

Update: 2022-05-06 17:05 GMT



उपेंद्र प्रताप की रिपोर्ट

Gyanvapi Mosque: उत्तर प्रदेश में अयोध्या के बाद वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद का मामला एक बार फिर गरमा गया है। वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के निर्देश पर पहली बार श्रृंगार गौरी व कई विग्रह के साथ-साथ ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे शुरु हो गया है। शुक्रवार शाम तीन बजे से शुरू हुआ सर्वे शाम पौने छह बजे तक चला। अदालत की तरफ से नियुक्त अधिवक्ता कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने स्थिति की पड़ताल की, तो अंजुमन इंतजामिया मसाजित कमेटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने अधिवक्ता कमिश्नर पर गंभीर आरोप लगाते हुए तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं।

अंजुमन इंतजामियां मसाजिद जोकि ज्ञानवापी मस्जिद की संस्था है उसका मानना है कि मस्जिद परिसर के भीतर किसी तरह का सर्वे नहीं होना चाहिए और ना ही वह इसकी इजाजत देंगे। ज्ञानवापी मस्जिद उनकी संस्था अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के वकील अभयनाथ ने यह भी कहा है कि इस सर्वे में जिस श्रृंगार गौरी मंदिर की बात की जा रही है पहले पूछा जाएगा कि वो मंदिर है कहां? मस्जिद के परिसर में ऐसा कोई मंदिर या कोई विग्रह मौजूद नहीं है।

ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को लेकर उठे विवाद के बीच शुक्रवार को खूब हंगामा हुआ। एक तरफ हर-हर महादेव के नारे लगाए गए तो दूसरी ओर अल्लाह-हू-अकबर के जवाबी नारों काशी विश्वनाथ मंदिर का इलाका गूजने लगा। हालांकि पुलिस और अमनपसंद लोगों ने बीच-बचाव किया और स्थिति को बिगड़ने से रोक लिया। अपराह्न तीन बजे से देर शाम तक मंदिर-मस्जिद के बाहर तनाव की स्थिति रही। हंगामे से पहले ही आसपास की सभी दुकानों पर ताले लग गए थे। घटना को कवर करने के लिए देश-विदेश की मीडिया का जमघट लगा रहा।


सर्वे की टीम के अंदर प्रवेश करने के बाद एहसितयात के तौर पर एक किमी के दायरे में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई। साथ ही वाहनों की आवाजाही रोक दी गई। मीडियाकर्मियों को छोड़कर किसी को भी मंदिर-मस्जिद परिसर से आसपास नहीं फटकने दिया जा रहा था। शाम ढलते ही दंगा नियंत्रण फोर्स आरएफ मौके तैनात कर दी गई। भारी संख्या में पुलिस फोर्स स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। बनारस कमिश्नरेट के पुलिस आयुक्त ए.सतीश गणेश ने जनज्वार से कहा, "कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस फोर्स की तैनाती की जा रही है। दंगा जैसी स्थिति से निपटने के लिए दंगा नियंत्रण उपकरणों के साथ स्कील्ड जवानों को मोर्चा पर लगा दिया गया है। साथ ही अफवाह फैलाने वालों पर नजर रखी जा रही है। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने वालों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। "


कैसे शुरू हुआ मुकदमा

दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने 18 अगस्त 2021 को संयुक्त रूप से सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में याचिका दायर कर मांग की थी कि काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाए। आदि विश्वेश्वर परिवार के विग्रहों की यथास्थिति रखी जाए। सुनवाई के क्रम में आठ अप्रैल 2022 को अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया।

कोर्ट कमिश्नर ने 19 अप्रैल को सर्वे करने की तिथि से अदालत को अवगत कराया। इससे एक दिन पहले 18 अप्रैल को जिला प्रशासन ने शासकीय अधिवक्ता के जरिए याचिका दाखिल कर वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी पर रोक लगाने की मांग की। उधर, 19 अप्रैल को विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने भी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रोकने की गुहार लगायी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा। 20 अप्रैल को निचली अदालत ने भी सुनवाई पूरी की। 26 अप्रैल को निचली अदालत ने ईद के बाद सर्वे की कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया।

आदेश के तहत कोर्ट कमिश्नर आज यानी छह मई को सर्वे करेंगे। प्रकरण में अगली सुनवाई 10 मई को होनी है। वादी ने इस मामले में विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, डीएम, पुलिस आयुक्त, अंजुमन इंतजमिया मसाजिद कमेटी और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाया है। इसके पहले गुरुवार को कोर्ट कमिश्नर ने अदालत में प्रार्थनापत्र देकर कमीशन के दौरान सुरक्षित स्थान और साक्ष्यों के रखने के लिए सुरक्षित जगह उपलब्ध कराने की गुहार लगाई थी। इस पर अदालत ने पुलिस कमिश्‍नर को निर्देश दिया है कि वह कोर्ट कमिश्नर की मांगों पर उचित कार्रवाई कर अवगत कराएं।

क्‍या है ज्ञानवापी विवाद

काशी विश्‍वनाथ मंदिर और उससे लगी ज्ञानवापी मस्जिद के बनने और दोबारा बनने को लेकर अलग-अलग तरह की धारणाएं और कहानियां चली आ रही हैं। हालांकि इन धारणाओं की कोई प्रमाणिक पुष्टि अभी तक नहीं हो सकी है। बड़ी संख्‍या में लोग इस धारणा पर भरोसा करते हैं कि काशी विश्‍वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। इसकी जगह पर उसने यहां एक मस्जिद बनवाई थी।

अयोध्‍या विवाद से है समानता

अयोध्‍या में विवाद इस बात को लेकर था कि क्‍या हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद बनाया गया। लंबे आंदोलन और कानूनी लड़ाई के बाद 9 नवम्‍बर 2019 को मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए भूमि ट्रस्‍ट को सौंपने का आदेश दिया। इसके साथ ही सरकार को मस्जिद बनाने के लिए सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया। सु्प्रीम कोर्ट के इस आदेश पर अयोध्‍या में भव्‍य राममंदिर का निर्माण तेजी से हो रहा है। इस बीच अब काशी और मथुरा को लेकर भी मांग जोर पकड़ने लगी है।

90 के दशक में रामजन्‍मभूमि आंदोलन के दौरान काशी-मथुरा को लेकर भी नारे लगते थे। जाहिर है कि इस मुद्दे को लेकर हिंदूवादी संगठन अयोध्‍या के रामजन्‍मभूमि आंदोलन के साथ ही आवाज उठाते रहे हैं। उनका दावा है कि स्वयंभू शिवलिंग के ऊपर मस्जिद का निर्माण हुआ है। उनकी मांग मस्जिद हटाकर वो हिस्‍सा मंदिर को सौंपे जाने की है।

मस्जिद में सर्वे का विरोध क्यों !

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने एडवोकेट कमिश्नर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, 'ज्ञानवापी परिसर में पश्चिम तरफ स्थित चबूतरे की वीडियोग्राफी कराई गई। इसके बाद 5:45 बजे एडवोकेट कमिश्नर ने ज्ञानवापी मस्जिद के प्रवेश द्वार को खुलवाकर अंदर जाने का प्रयास किया तो हमने विरोध किया। उन्हें बताया कि अदालत का ऐसा कोई आदेश नहीं है कि आप बैरिकेडिंग के अंदर जाकर वीडियोग्राफी कराएं। लेकिन, एडवोकेट कमिश्नर ने कहा कि उन्हें ऐसा आदेश है। मस्जिद की दीवार को अंगुली से कुरेदा जा रहा था, जबकि ऐसा कोई आदेश अदालत ने नहीं दिया था। इसलिए हम एडवोकेट कमिश्नर से पूरी तरह असंतुष्ट हैं। कल अदालत से दूसरा एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग की जाएगी।'

इधर, हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि आज ज्ञानवापी परिसर के कुछ हिस्से की वीडियोग्राफी हुई है। परिसर के अंदर जाने का प्रयास किया गया तो प्रतिवादी पक्ष ने विरोध किया और कहा कि आप नहीं जा सकते हैं। 07 मई को अपराह्न तीन बजे फिर एडवोकेट कमिश्नर सर्वे की कार्रवाई शुरू करेंगे। एडवोकेट कमिश्नर ने जिला मजिस्ट्रेट से कहा है कि कल हम बैरिकेडिंग के अंदर जाएंगे और सर्वे का काम होगा।

मुस्लिम समुदाय के प्रबुद्ध नागरिक अतीक अंसारी कहते हैं, "हम चाहते हैं कि कोर्ट के निर्देशों के दायरे में स्थित की पड़ताल की जाए। कोई ऐसा कार्य न हो जिससे हिन्दू और मुस्लिम के बीच टकराव अथवा तनाव की स्थिति पैदा हो। फिलहाल जिस तरह से सर्वे के नाम पर मनमानी थोपी जा रही है वह अनुचित है। सर्वे करना है तो मंदिर परिसर का करें, मस्जिद को छोड़ दें। "

बीएचयू के पूर्व छात्र मो.नसीम ने सर्वे के मामले में जनज्वार से बातचीत में त्वरित टिप्पणी की और कहा, "मंदिर और मस्जिद में सर्वे के नाम पर पुलिसिया उत्पीड़न का हम विरोध करते हैं। कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं, लेकिन मनमानी का हमारा समाज विरोध करेगा। आज का कार्रवाई में सर्वे करने गई टीम मस्जिद की दीवारों को खुरच रही थी। कोर्ट ने यह आदेश नहीं दिया है। ऐसे हरकतों से यह जाहिर होता है कि कुछ लोग टारगेट करके समाज में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। इनका मकसद किसी भी विवाद को हल करना नहीं, बल्कि आगामी चुनाव के लिए नई जमीन तैयार करना है। सांप्रदायिकता के जरिये इस मुद्दे को पूरे देश में भुनाने की योजना नजर आती है। अब स्थिति बदल चुकी है। देश भर में महंगाई, बेरोजगारी, बेपटरी कानून व्यवस्था, महिलाओं से हिंसा समेत तमाम ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए नया बितंडा खड़ा किया जा रहा है। "

हिन्दुओं को बनाना चाहते हैं कठपुतली

काशी विश्वनाथ मंदिर में दैनिक पूजा-अर्चना करने वाले वैभव कुमार त्रिपाठी कहते हैं, "देश में हिटलरशाही चल रही है। बनारस में स्थिति तो बहुत ज्यादा भयावह है। इन्हें न तो मंदिर से मतलब है और न मस्जिद से। वह बवाल और बितंडा खड़ा करना चाहते हैं ताकि सरकार नाकामी छिप जाए। साथ ही उनका वोट बैंक भी पक्का हो जाए। भाजपा हिन्दुओं को कठपुतली की तौर पर यूज कर रहा है। यह पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि अयोध्या से खाली होने के बाद काशी विश्वनाध मंदिर और ज्ञानवापी विवाद को हवा दी जाएगी। अनुमान के अनुरूप धीरे-धीरे सारे घटनाक्रम सामने आते जा रहे हैं। इस मसले का कानूनी पहली क्या है और उसका हल क्या निकलेगा, यह दीगर बात है, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो सांप्रदायिक सद्भाव जरूर खतरे में पड़ जाएगा। यह स्थिति समाज और देश किसी के हित में नहीं है। "

विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत राजेंद्र तिवारी कहते हैं कि मंदिर-मस्जिद के मुद्दे पर नौजवानों को गुमराह किया जा रहा है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का नैरेटिव तैयार किया जा रहा है। वो नहीं चाहते हैं कि कोई महंगाई पर बात करे और बेरोजगारी पर। समाज में जहर फैलाया जा रहा है। सर्वे के समय तमाम झूठी अफवाहें फैलाई गर्ईं, लेकिन बनारस के अमनपंसद लोगों ने इनके तय एजेंडे को खारिज कर दिया।

केस में कब-कब क्‍या हुआ?

  • - श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा के लिए 17 अगस्त 2021 को वाद दाखिल किया गया। इस वाद को 18 अगस्त को किया गया।
  • -कोर्ट ने मुख्य सचिव यूपी, वाराणसी जिला प्रशासन, वाराणसी पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को नोटिस भेजा।
  • -इसके साथ कोर्ट ने श्रृंगार गौरी मंदिर की मौजूदा स्थिति को जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्‍ता कमिश्‍नर नियुक्‍त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया।
  • - आठ अप्रैल 2022 सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट ने वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्‍नर बनाकर कमीशन और वीडियोग्राफी का आदेश दिया। यह कार्यवाही 19 अप्रैल को होनी थी
  • -कार्रवाई से ठीक एक दिन पहले वाराणसी जिला प्रशासन और कमिश्‍नरेट पुलिस ने सुरक्षा कारणों और मस्जिद में सिर्फ सुरक्षाकर्मी और मुस्लिमों के ही जाने की अनुमति देने की बात बताकर कार्रवाई को रोकने की मांग की।
  • -19 अप्रैल 2022 को प्रतिवादी वाराणसी पुलिस-प्रशासन, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और वादी श्रृंगार गौरी के बीच बहस हुई इसके बाद अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए 26 अप्रैल 2022 को अगली तारीख तय कर दी। इसी आदेश के तहत मस्जिद परिसर का सर्वे और वीडियोग्राफी कराई जा रही है।  
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