हाथरस काण्ड : पीड़िता का गांव बना छावनी घर वाले नजरबंद, सवालों से भाग रहे अधिकारी
बिटिया के परिजन घर में नजरबंद कर दिए गए हैं। पूरा परिवार सुरक्षा कर्मियों के साये में है, एसआईटी ने इनसे कई घंटे पूछताछ की। वहीं पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि उन पर सरकारी अधिकारी दबाव डाल रहे हैं....
हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती से कथित गैंगरेप और मौत पर घमासान लगतार बढ़ता ही जा रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस में रेप पीड़िता के गांव को पूरी तरह से छावनी में बदल दिया गया है। हाथरस में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। पीड़िता के गांव में पुलिसवालों का जबरदस्त पहरा है। गांव में किसी को भी पुलिस वाले नहीं जाने दे रहे हैं। मीडिया को भी गांव के अंदर जाने से रोका जा रहा है। यूपी पुलिस ने पीड़िता के गांव में नेताओं से लेकर मीडिया की एंट्री को बैन कर रखा है। हर जगह हज्जरों की संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद है।
पूरे गांव के चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात बनी हुई है। गांव जाने वाले रास्ते पर मौजूद लोगों को पुलिस ने कई बार खदेड़ा। जांच का हवाला देकर भीड़ को भी एकत्रित नहीं होने दिया गया। शासन के आदेश पर बिटिया की मौत के प्रकरण में एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है। एसआईटी ने बिटिया के गांव के कई चक्कर लगाए। पुलिस-प्रशासन ने वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। गांव से पहले ही काफी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई। आने वाले दिनों के मुकाबले आज सुरक्षा जादा हावी दिखी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिटिया के परिजन घर में नजरबंद कर दिए गए हैं। पूरा परिवार सुरक्षा कर्मियों के साये में है। एसआईटी ने इनसे कई घंटे पूछताछ की। वहीं पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि उन पर सरकारी अधिकारी दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। परिवार ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन अपने बयान बार-बार बदलने बदलने को लेकर दबाव डाल रहा है। वहीं पुलिस से छुपकर बाहर आया लड़की के भाई ने बताया कि पुलिस ने घरवालों से मारपीट भी की है।
गौरतलब है कि चंदपा में हैवानियत की शिकार 20 वर्षीय दलित युवती की अस्पताल में मौत के बाद देशभर में इस घटना को लेकर आक्रोश है और प्रदर्शन हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि मतृक पीड़िता ने घटना के एक हफ्ते बाद पहली बार रेप की बात कही थी। यह बात ऐसे समय सामने आई है जब मृतका की फॉरेंसिक रिपोर्ट में रेप या गैंगरेप नहीं होने की बात कही जा रही है।
बता दें कि 14 सितंबर को गांव के ही तथाकथित उच्च जाति के चार युवकों ने युवती के साथ कथित तौर पर गैंगरेप किया था। युवती खेतों में निर्वस्त्र अवस्था में मिली थी। उसके शरीर से खून बह रहा था। उसके शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे और हड्डियां टूटी हुई थीं। उसकी जीभ भी काट दी गई थी। गैंगरेप पीडि़त की मंगलवार को दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई थी और पुलिस ने रात में ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया। परिवार भी अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका।
धरने पर बैठे टीएमसी सांसद
हाथरस में दलित युवती के साथ गैंगरेप और फिर मौत की वारदात से पूरे देश में गुस्सा है। अब हर तरफ दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग हो रही है, लेकिन इस बीच स्थानीय प्रशासन की ओर से कई तरह की सख्ती बरती जा रही है। गांव में मीडिया की एंट्री पर रोक लगा दी गई है। किसी नेता को जाने नहीं दिया जा रहा है, लेकिन खुद डीएम जाकर परिवार से धमकी भरे अंदाज में बात कर रहे हैं। इससे पहले गुरुवार को राहुल गांधी, प्रियंका गांधी को हाथरस जाने से रोका गया। अब शुक्रवार को टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को रोका गया और उनके साथ बदसलूकी की गई। इसके बाद तृणमूल सांसद दो महिला सांसदों के साथ धरने पर बैठ गए हैं।