कंगना को अबला नारी कहता गोदी मीडिया, हाथरस गैंगरेप की शिकार युवती के मामले में क्यों है चुप?

हाथरस गैंगरेप ने भारतीय मीडिया को एक बार फिर बेनकाब किया है। मीडिया, खासकर टीवी मीडिया की एजेंडा पत्रकारिता पर सबसे ज्यादा सवाल सरोकारी पत्रकार ही उठा रहे हैं...

Update: 2020-09-29 07:58 GMT

जनज्वार। हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मंगलवार सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत के बाद इस घटना को लेकर लोग सोशल मीडिया पर गुस्सा प्रकट कर रहे हैं। लोगों के निशाने पर गोदी मीडिया है, जिसकी नजरों से आमलोगों के साथ ऐसी नृशंस घटनाओं की खबरें ओझल रहती हैं और वे कंगना, सुशांत, रिया, दीपिका जैसी सेलिब्रिटी में लोगों को उलझाए रखता है। लोग फास्ट ट्रैक के जरिए आरोपियों को छह महीने के अंदर सजा देने की मांग कर रहे हैं। 14 सितंबर को घटी इस घटना को कल यानी 28 सितंबर को एयर एंबुलेंस से इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया था। पीड़िता के साथ चार दंबगों ने बलात्कार किया था और जीभ काट दी थी, साथ ही रीढ की हड्डी तोड़ दी।

हाथरस गैंगरेप की इस नृंशस घटना की सोशल मीडिया पर पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर राजनेता तक सभी निंदा कर रहे हैं। ट्राइबल आर्मी के संस्थापक हंसराज मीणा ने इस मामले को लेकर योगी सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग की। हंसराज ने लिखा: योगी सरकार कान खोलकर सुन लें हमारी बहन बेटी कोई गाजर-मूली नहीं जो उत्तरप्रदेश में इस निर्मम तरीके से रौंद दी जायेगी। इसलिए मेरी योगी जी से अपील है हाथरस की घटना पर तुरंत कड़ा रुख करिये। गुनहगार दरिंदो को सरकार जल्द फाँसी पर लटकाने के लिए कदम उठाये। घटना असहनीय।

सामाजिक कार्यकर्ता व लेखक भानवार मेघवंशी ने लिखा : हाथरस गैंग रेप पीड़िता की इलाज़ के दौरान मौत हो गई, उसके साथ बर्बर बलात्कार किया गया। गर्दन तोड़ दी गई, जीभ भी काट दी गई,... के साथ हुए इस अत्याचार पर मनु स्ट्रीम मीडिया ख़ामोश है। जोगी चुप हैं, राष्ट्रीय फ़क़ीर की जवान पर ताला है। क्या वो इस देश की बेटी नहीं है?

वरिष्ठ टीवी पत्रकार संगीता तिवारी ने इस घटना पर सवाल उठाते हुए लिखा: कहां सुरक्षित हैं लड़कियां? कहां क्या बदल गया है? हैवानियत की इंतहा वाली इस घटना में क्या पूरी मुस्तैदी दिखायी गई?

समाजवादी पार्टी की नेता जूही सिंह ने घटना की निंदा एक वीडियो संदेश जारी कर किया। उन्होंने लिखा: उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं के प्रति संवेदनहीन है, अपराध और अराजकता से बेटियाँ त्रस्त हैं सरकार मस्त है।

उत्त्ररप्रदेश के पूर्व राज्य मंत्री सैयद अब्बास अली जैदी ने इस मामले की निंदा करते हुए लिखा कि 'यह हार सरकार के उन दानों की हार है जिनके अनुसार, उत्तरप्रदेश अपराध मुक्त हो चुका है, जीव हैवानियत की हुई, जीत जातिवाद की हुई, समाज हारा है। सरकार का संरक्षण जीत गया। हाथरस की बहन अलविदा'।

हाथरस कांड को लेकर गोदी मीडिया भी सबके निशाने पर हैं। टीवी पत्रकार कमाल खान ने इस पर सवाल उठाया है। कमाल ने लिखा: जिस वक्त वे कंगना की दीवार पे आंसू बहा रहे थे, दीपिका, सारा, श्रद्धा की हर एंगल से तस्वीरें पेश कर रहे थे, दीवानों की तरह उनकी कारों का पीछा कर रहे थे, उसी वक़्त हाथरस में एक बच्ची से गैंगरेप के बाद उसकी जीभ काटी, रीढ़ की हड्डियां तोड़ी गई। आज उसने दम तोड़ दिया।

कांग्रेस नेता अर्चना डालमिया ने लिखा है : क्या बेटी की कीमत नहीं? जुबान काट ली, गर्दन और रीढ की हड्डी तोड दी, कैसे जीती? कहां हैं बेटी बचाओ का नारा देने वाले, क्या मीडिया एसएसआर के अलावा भी कुछ चला सकती है न्याय के लिए?

पत्रकार प्रशांत शुक्ल ने लिखा : जिन सरकारी लाउडस्पीकरों ने सिर्फ जगह का नाम हाथरस की जगह आगरा लिखने पर मुदकमे की धमकी दी। क्या वो अपने सरकारी प्रवक्ता और मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह पर केस दर्ज करेंगे जो हाथरस की घटना को हरदोई की घटना बता रहे हैं। 



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