हाथरस कांड : पीड़िता के परिजनों ने अस्थियां विसर्जित करने से किया इनकार, बोले क्या भरोसा किसको जला दिया

पीड़िता के परिवार का कहना है कि हम अस्थियों को विसर्जित करने नहीं जाएंगे, उनका कहना है कि पता नहीं किसकी अस्थियां हैं, हमें हमारी बिटिया की शक्ल तक नहीं दिखाई गई तो हम क्यों वो अस्थियां लेकर जाएं......

Update: 2020-10-03 14:43 GMT

हाथरस। यूपी में हाथरस के चंदपा गांव में दलित बिटिया के साथ हुए दुष्कर्म का मामला अब पूरी तरह से तूल पकड़ चुका है। पहले जो प्रशासन पीड़िता के घर से मीडिया को दूर रख रहा था, उसने आज मीडिया के लिए पीड़िता का गांव खोल दिया है। मीडिया से बातचीत में पीड़ित परिवार ने कई बातें कही हैं। इस दौरान उन्होंने एक चौंकाने वाला बयान भी दिया है। परिवार का कहना है कि वह अस्थियां नहीं लेगा।

पीड़िता के परिवार का कहना है कि हम अस्थियों को विसर्जित करने नहीं जाएंगे। उनका कहना है कि पता नहीं किसकी अस्थियां हैं। हमें हमारी बिटिया की शक्ल तक नहीं दिखाई गई तो हम क्यों वो अस्थियां लेकर जाएं। परिजनों ने बेटी की अस्थियां विसर्जित करने से मना करते हुए कहा, जब हमें यही नहीं मालूम कि वह हमारी बेटी है या किसी और को जलाया है।

परिजनों का कहना है 'प्रशासन ने बिना चेहरा दिखाए जला दिया तो क्यों हम श्मशान से उसकी अस्थियां लेकर आएं। हमें क्या पता हमारी बेटी का शव है, या किसी जानवर का या फिर किसी और का शव है। भाई का तो ये भी कहना है कि हमें तो यही पता है कि हमारी बहन अभी अस्पताल में भर्ती है। वो जल्दी ही ठीक होकर आएगी। हमें तो उसके पोस्टमार्टम के दौरान भी उसका चेहरा देखने नहीं दिया। हमें अब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी नहीं मिली है।'

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गौरतलब है कि हाथरस में पीड़िता की मौत के बाद परिजनों को शव नहीं सौंपा गया था। पुलिस वालों ने रात के अंधेरे में परिवार को बिना बताए शव का अंतिम संस्कार कर दिया। परिजन शव को रीति-रिवाज के साथ सुबह में अंतिम संस्कार करने की दुहाई देते रहे गिड़गिड़ाते रहे। लेकिन प्रशासन ने उनकी एक न सुनी। और आनन-फानन रात में ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया। प्रशासन ने पीड़िता के साथ गैंगरेप होने की बात से साफ इंकार कर दिया है।

14 सितंबर को हुए हाथरस गैंगरेप मामले पर किरकिरी होते देख सरकार ने एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर और कुछ अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इधर राजनीतिक दलों और समाज सेवी संगठनों की तरफ से पीड़िता के समर्थन में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। शुक्रवार और शनिवार को जंतर-मंतर पर नाइंसाफी के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया गया है।

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