बाबर के नाम से नहीं जानी जाएगी अयोध्या में बनने वाली नई मस्जिद - आईआईसीएफ

सीएम योगी ने हाल ही में यह स्पष्ट किया कि वह अयोध्या में नई मस्जिद से संबंधित किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, मगर ट्रस्ट के प्रवक्ता का कहना है कि वह न केवल योगी बल्कि पीएम मोदी को भी आमंत्रित करेंगे....

Update: 2020-08-11 01:30 GMT

नई दिल्ली। अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद का नाम मुगल सम्राट बाबर के नाम का नहीं होगा। दूसरे शब्दों में कहे तो नई मस्जिद को 'बाबरी मस्जिद' नहीं कहा जाएगा। इसका नाम किसी भी सम्राट या शासक के नाम पर नहीं होगा। यह बात नवगठित ट्रस्ट इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन ने एक साक्षात्कार में कही।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में यह स्पष्ट किया कि वह अयोध्या में नई मस्जिद से संबंधित किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। मगर ट्रस्ट के प्रवक्ता का कहना है कि वह न केवल योगी बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित करेंगे।

ट्रस्ट के प्रवक्ता से जब पूछा गया कि अभी ट्रस्ट की स्थिति क्या है? तो उन्होंने कहा, 'इस साल 24 फरवरी को जमीन उपलब्ध कराने के तुरंत बाद तुरंत ही कोविड-19 महामारी शुरू हो गई। चीजें उस समय उतनी बुरी नहीं थीं, जितनी आज हैं। इस बीच, इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की स्थापना सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा की गई और इसे मस्जिद और आसपास की सुविधाओं के निर्माण के लिए सौंपा गया।'

'हमने 19 जुलाई को अपनी पहली वर्चुअल बैठक आयोजित की, जहां हमने पदाधिकारियों और उनकी जिम्मेदारियों के बारे में निर्णय लिया। हमारे पास अभी भी ट्रस्ट में छह रिक्तियां हैं, जिन्हें भरा जाना है। इस बीच, हमें पहले ही लखनऊ में कार्यालय के लिए स्थान और हमारे पैन कार्ड मिल चुके हैं। अभी तक किसी भी सदस्य ने बैठक नहीं की है।'

मस्जिद निर्माण का काम कब से शुरू होगा इसपर अतहर हुसैन ने कहा, 'हमारी गतिविधि और हमारी गति की दूसरे ट्रस्ट के साथ तुलना करना बहुत अनुचित है। हमें दो अगस्त को ही भूमि के कागजात सौंपे गए हैं और पांच अगस्त को प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम में भाग लिया था। हम कागजात दिए जाने के बाद से वहां नहीं गए। एक-दो दिन में हम जाकर औपचारिक रूप से जमीन का कब्जा ले लेंगे। एक बार ऐसा हो जाने पर, हम मस्जिद और कुछ सार्वजनिक उपयोग में आने वाली सुविधाओं जैसे इंडो इस्लामिक कल्चरल सेंटर, अस्पताल आदि के लिए अन्य लोगों के बीच बैठकर योजना बनायेंगे।'

जब उनसे पूछा गया कि क्या अयोध्या में बनने वाली मस्जिद को बाबरी मस्जिद कहा जाएगा? तो जवाब में उन्होंने कहा कि जिस इस्लाम में हम विश्वास रखते हैं, उसमें मस्जिद के नाम का कोई महत्व नहीं है। 'सजदा' ही सब मायने रखता है। इमारत या संरचना का आकार और नाम मायने नहीं रखता।'

'इस तरह की बातों को लेकर चिल्लाना और मस्जिद के नाम पर रोना महज पहचान की राजनीति के लिए ही है। जहां तक धार्मिक पहलू का सवाल है, मस्जिद का नाम से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन हमने विचार किया है कि हम किसी भी सम्राट या किसी शासक के नाम पर मस्जिद का नाम नहीं रखेंगे, यह सुनिश्चित है।'

भूमि लेने के संबंध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे निकायों के द्वारा विरोध करने को लेकर वह कहते हैं, 'मैं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड या जो भी इसी तरह के तर्क दे रहा है, उनके तर्क से पूरी तरह असहमत हूं। यह मुद्दा निचली अदालतों से लेकर हाईकोर्ट और अंत में सुप्रीम कोर्ट तक पूरी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरा है।

'सभी हितधारकों ने एक स्वर में कहा कि वे अंतिम फैसले का पालन करेंगे। जब एक मध्यस्थता समिति का गठन किया गया था, तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि वे इस तरह के विचार-विमर्श का हिस्सा नहीं होंगे, क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए नियमों का पालन करेंगे। अब, यह एक विरोधाभास ही है।'

हाल ही में योगी आदित्यनाथ ने मस्जिद समारोह में आमंत्रित किए जाने पर भी इसमें शामिल नहीं होने की बात कही है, जिस पर विवाद भी हुआ। इसको लेकर उन्होंने कहा कि मस्जिद निर्माण में शिलान्यास के कार्यक्रम की इस्लाम में इजाजत नहीं है। लेकिन चूंकि हम सामुदायिक रसोई या अस्पतालों जैसी सार्वजनिक सुविधाओं को भी प्रदान कर रहे हैं, इसलिए किसी भी राज्य के किसी भी मुख्यमंत्री की प्राथमिकता समान है। मुझे उम्मीद है कि वह आएंगे और हमारे प्रयासों में भी योगदान देंगे।

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