2016 में मर चुके व्यक्ति पर 2019 में हुआ मुकदमा, विवेचना में SI ने खुद ही बना दिए मृतक के साइन, अदालत ने लपेटा
अदालत में पैरोकार ने बेटी के बयान और कृष्णकुमार का मृत्यु प्रमाण पत्र सहित रिपोर्ट पेश की। जिसके बाद कोर्ट ने मरे हुए व्यक्ति के नाम एफआईआर, चार्जशीट और मृतक के हस्ताक्षर वाली नोटिस तामीली को गंभीर अपराध मानते हुए विवेचक को तलब कर स्पष्टीकरण मांगा है...
जनज्वार, कानपुर। शासन और मंत्रालय ने भले ही अमिताभ ठाकुर सहित यूपी के तीन आईपीएस अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी हो लेकिन पुलिस के अन्दरखाने हालात सच ही खराब हैं। पुलिस ने नया कारनामा दिखाते हुए एक मरे हुए व्यक्ति पर बिजली चोरी की एफआईआर दर्ज कर डाली। विवेचना के बाद कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल कर दिया। विवेचक साहब मृतक के हस्ताक्षर से मुकदमे का नोटिस भी तामील करवा आए।
जब आरोपी कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ तो गैर जमानती वारंट जारी हुआ। वारंट के बाद पुलिस उसे अरेस्ट करने घर पहुँची। घर पहुँचकर इस बात का खुलासा हुआ कि मुकदमा होने के तीन साल पहले ही आरोपी की मौत हो चुकी है।
दरअसल 23 जनवरी 2019 को केस्को जेई संजय त्रिवेदी ने आदर्श नगर तिवारीपुर के निवासी कृष्ण कुमार त्रिवेदी के खिलाफ थाना चकेरी में बिजली चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। एसआई मानसिंह को विवेचना मिली तो उन्होने 4 जून 2019 को कृष्णकुमार के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भेज दी। इसके बाद सीआरपीसी की नोटिस भी तामील करा दी। नोटिस पर बाकायदा कृष्णकुमार के हस्ताक्षर भी करवाए गए। वारंट जारी होने के बाद पुलिस जब घर पहुँची तो मृतक की बेटी ने बताया कि पिता की 5 अगस्त 2016 को ही मौत हो गई थी।
अदालत में पैरोकार ने बेटी के बयान और कृष्णकुमार का मृत्यु प्रमाण पत्र सहित रिपोर्ट पेश की। जिसके बाद कोर्ट ने मरे हुए व्यक्ति के नाम एफआईआर, चार्जशीट और मृतक के हस्ताक्षर वाली नोटिस तामीली को गंभीर अपराध मानते हुए विवेचक को तलब कर स्पष्टीकरण मांगा है, साथ ही मामले को मॉनिटरिंग सेल की मीटिंग में रखा है। पुलिस की इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए विशेष न्यायाधीश मोहम्मद शरीफ ने विवेचक को तलब कर एसएसपी सहित जिला जज को पत्र लिखा है।
इस मामले में एडीजीसी कैलाश शुक्ला का कहना है कि यह साफ है कि विवेचक ने बिना विवेचना चार्जशीट कोर्ट में भेज दी। चार्जशीट भेजने पर कानूनन सीआरपीसी की धारा 41-क के तहत नोटिस देकर आरोपी को भी इसकी सूचना दी जाती है। इस नोटिस पर भी विवेचक ने कृष्णकुमार के हस्ताक्षर खुद ही बना दिए। इससे विवेचक की घोर लापरवाही उजागर हुई है।