योगीराज में भ्रष्टाचार बेलगाम, BJP पार्षद की सांठगांठ से तालाब की जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा, जनता में त्राहिमाम

मौजूदा वक्त में यहां दिलीप श्रीवास्तव निगम पार्षद हैं, जो भाजपा से ही हैं। स्थानीय निवासी आसिफ ने बताया कि पार्षद यहां के लोगों की कोई सुनवाई नहीं करते हैं। पार्षद यहां नहीं आते हैं।

Update: 2021-02-17 07:40 GMT

मनीष दुबे की रिपोर्ट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ जो अफसरशाही का केन्द्र होने के साथ ही साथ तमाम मंत्रियों, विधायकों का गढ़ है और तो और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी खुद यहां बैठकर कमान चलाते हैं। ये अलग बात है कि उनकी नाक के नीचे उनके अधिकारी और नेता भ्रष्टाचार की जड़ें गहराते चले जा रहे हैं। समूचे लखनऊ में ऊंची-ऊंची गुम्बदाकार अट्टालिकाओं वाली बिल्डिगों के बीच लाखों-लाख ऐसे भी लोग रह रहे हैं जो वर्षों से पानी भी दूसरों के घर से लेकर पी रहे हैं। कई मोहल्लों के लोग साल के कई महीने बजबजाती नालियों के बीच जीवन जीने को मजबूर हैं। भूमाफियाओं का बोलबाला इतना है कि उनके आगे सरकारी सूरमा तक पस्त हैं। बावजूद इस सबके प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचारियों पर लगातार नकेल कसने की बात करते नहीं थकते। यह सब किस्सा लखनऊ के इंदिरा नगर में गाजीपुर गांव, मैथिलीशरण वार्ड और भूतनाथ का है। इन तमाम इलाकों की जनता भ्रष्ट अफसरशाही और उससे भी भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से त्राहीमाम कर रही है।

यह हालात तब हैं जब दशकों से यह इलाका भाजपा के पार्षदों का गढ़ रहा है। राज्य से लेकर केन्द्र तक भाजपा सत्तानशीं है तब लोग प्यासे हैं, गंदगी के लगे अंबार में जी रहे हैं। मंगलवार 16 फरवरी की शाम 'जनज्वार' की टीम इन इलाकों में पहुंची तो जनता का सरकार और उनके नुमाइंदों के खिलाफ जो गुस्सा देखने को मिला वह सातवें आसमान को छू रहा था। इन लोगों ने 'जनज्वार' को बताया गया कि साल 1998 में इन्दिरा नगर वार्ड में काफ़ी बड़ा तालाब हुआ करता था, जो 1998 से ही पटना शुरू हो गया। साल 2000 आते-आते यह तालाब पूरी तरह पाट दिया गया। 2002 में भाजपा की महिला पार्षद रहीं गीता सिंह ने आवास विकास की इस ख़ाली पड़ी जमीन पर पार्क व शौचालय के निर्माण की योजना बनाई। इधर भाजपा पार्षद के मुँह से बात निकलनी हुई उधर भूमाफ़िया ने कब्जा करवाना शुरू कर दिया। तालाब की जमीन को फिर दोबारा भाजपा की महिला पार्षद गीता सिंह ने पलटकर नहीं देखा।


इस भ्रष्टाचार में प्रशासन के कुछ अधिकारी भी शामिल बताए जाते हैं। वहीं वार्ड में कई मूलभूत समस्याओं का पहाड़ खड़ा है। बिजली, पानी, सीवर, बजबजाती नालियां स्थानीय निवासियों का जीना दूभर हो गया है। 'जनज्वार' को मिली जानकारी के मुताबिक इन मोहल्लों में साल 2007 से घरों के अंदर तक सीवर का पानी भरता आ रहा है। सी ब्लाक गाजीपुर इंदिरा नगर निवासी वीरेंद्र कुमार गुप्ता कहते हैं कि तालाब में कब्जे के बाद इस मोहल्ले में इस कदर समस्याओं का पहाड़ खड़ा है जो सरकार से भी ऊपर हो चुका लगता है। यहां बच्चों के खेलने के लिए पार्क नहीं बचे हैं, जिसके बाद बच्चे बिगड़ रहे हैं। बरसात के समय वह लोग चार से पांच महीने सीवर के पानी के साथ घरों के अन्दर रहते हैं। कभी शिकायत करने जाते भी हैं तो टाल-मटोल कर दिया जाता है, यहां तक की वार्ड में पीने का पानी नहीं है।

मौजूदा वक्त में यहां दिलीप श्रीवास्तव निगम पार्षद हैं, जो भाजपा से ही हैं। स्थानीय निवासी आसिफ ने बताया कि पार्षद यहां के लोगों की कोई सुनवाई नहीं करते हैं। कारण पूछने पर आसिफ को भी नहीं पता कि आखिर उन सबसे वोट लेकर जीतने वाले पार्षद उनकी ही सुनते क्यों नहीं? हमारे जोर देने पर आसिफ बस इतना बताते हैं कि पार्षद यहां आने से मना करते हैं, कहते हैं वहां वो है, फलां है, ढ़िमाका है, नहीं आते हैं।

मोहम्मद शमीम कहते हैं कि पार्षद वोट लेकर अपनी तिजोरी भर रहे हैं। माल कमा रहे हैं, हम लोग तो कीड़े-मकोड़े हैं। समस्याओं की शिकायत के बारे में पूछने पर शमीम कहते हैं कि शिकायत करने का फायदा क्या, जब सुनवाई नहीं होती तालाब के विषय में जानकारी लेने पर शमीम कहते हैं कि उनकी उम्र 60 साल की हो गई और तालाब तो उनके सामने पटा, कब्जा हुआ पर उन्होने कभी इसकी शिकायत नहीं की। शमीम के मुताबिक, 'हम आम लोग हैं, हमारी शिकायतों का कोई फायदा नहीं होता।'

हमारी टीम आगे चली तो एक अधेड़ उम्र की महिला ने हमें आवाज देकर पहले माले के छज्जे से रोका, तुरंत नीचे उतरकर आई। बात करते हुए उनने अपना नाम सुमन बताया। 1387/2 मकान नंबर बताते हुए सुमन कहती हैं कि यह गाजीपुर गांव है। घर के अन्दर तक सीवर का पानी भर आता है और कभी कोई न सुनवाई है न ही कोई देखने ही आता है। सुमन कहती हैं कि वह लोग बहुत आजिज आ चुके हैं। हफ्ते में दो बार सीवर का पानी भर जाता है। पीने के लिए साफ पानी नहीं है। वह लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं, इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है। यहीं की बुजुर्ग महिला मेहरून्निसा कहती हैं, भईया बहुत दिक्कतें हैं। पार्षद के बारे में पूछने पर वह कहती हैं कि पार्षद वार्षद सुनते ही नहीं। हम लोग देखो, (बगल की भरी नाली दिखाते हुए) ये हालत है यहां की और हम लोग इसके बीच रहते हैं। उम्र हो गई यह सब देखते हुए, पर इससे आजतक निजात नहीं मिली।

वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने 'जनज्वार' संवाददाता को बताया कि इस गाजीपुर में 6 गलियां ऐसी हैं जिनमें शौचालय ही नहीं है। इसके लिए उन्होने प्रधानमंत्री मोदी तक को चिट्ठी भेजी लेकिन यहां के पार्षद दिलीप श्रीवास्तव हैं, उन्होने नगर आयुक्त को न पता किस तरह घुमाया कि अभी भी तीन गलियों के लोगों के पास शौचालय नहीं पहुंचा है। वीरेंद्र इस बीच एक बड़ा ही रोचक वाकिया बताते हैं कि भूमाफियाओं के खिलाफ उन लोगों ने कई बार अफसरों से शिकायत की। शिकायत की बात करने पर वह भूमाफियाओं को नोटिस भेजने की बात करते हैं लेकिन वहीं घर पहुंचने पर भूमाफियाओं को शिकायत का पता चल जाता है और वह लोग भद्दी-भद्दी गालियां बकते हैं। भाजपा पार्षद से गुहार लगाने पर पार्षद का जवाब होता है कि यह सारी ज़मीन उन्हीं लोगों की है, हम कुछ नहीं कर सकते। स्थानीय पार्षद से शिकायत की बात भी भूमाफियाओं तक चली जाती है तो फिर अनवरत गालियों का दौर शुरू हो जाता है। वीरेंद्र बताते हैं कि वह लोग भूमाफियाओं के खिलाफ जमाने से संघर्ष करते चले आ रहे हैं, लेकिन समस्या कम होने की बजाय बढ़ती चलीं गईं।

[ वीरेंद्र कुमार, स्थानीय निवासी ]

आगे बढ़ने पर एक संकरी गली में कुछ बच्चे, बुजुर्ग व महिलाएं खड़ी थी। उनसे भी हमने बात की तो पता चला कि उनकी गली में एक सरकारी हैंडपम्प लगाया गया था, लेकिन यह हैंडपम्प लगने के बाद कभी चला ही नहीं। छूट्टन कहते हैं कि क्या पता भाई, हो सकता है सरकार को डर हो कि कहीं इससे पानी की जगह पेट्रोल निकल आया तो गांव रईश न हो जाए, इसलिए न चलाया गया हो। यहीं की सूबी बताती हैं कि ये नल चले ही नहीं। उनके घर में बत्ती तक नहीं है, गरीबों की कहीं कोई सुनवाई नहीं है। पार्षद से कहो तो कहता है- हो जाएगा, हो जाएगा। न कहा हो तो बुला लाओ, हम उनके मुँह पर कह देते हैं। सूबी आगे कहती हैं- योगी-मोदी, योगी-मोदी बस योगी-मोदी जपै रहो, वोट डाल दो बाकी भाड़ में जाओ। योगी हमारे सामने चले आएं हम उनके मुँह पर कह देंगे। हमारे बच्चे परेशानी में जी रहे हैं, क्या करना है ऐसे योगी-मोदी का। यहीं की रहने वाली एक महिला ने हमें बताया कि वह पाँच साल से यहां रह रही हैं और जब से रह रहीं हैं पास की मस्जिद से पीने का पानी भरकर ला रही हैं।

एक पार्क की टंकी दिखाते हुए युवक अतुल यादव कहते हैं कि इसका मेटर ही अधिकारी खोल ले गए। शिकायत करो तो एक दो दिन के लिए लगा जाते हैं, फिर खोल ले जाते हैं। उनसे कहो कि क्या दिखाने के लिए लगाते हैं तो कहते हैं तुम अभी बच्चे हो। परेशानी भरे चेहरे से वीरेंद्र कुमार कहते हैं कि ईमानदार जनता सरकारी बिल भरे और बेईमान चोरी करे, कोरोड़ो की बिजली चोरी हो रही है, पानी से लेकर सीवर की चोरी होती है। ऐसे बेईमानों के लिये यहां के प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक साथ देते हैं और जो आम जनता है उसका खून चूस लेते हैं। उन्होंने प्रशासन से ज़मीन की हक़ीकत जानने के लिए आरटीआई भी लगाई लेकिन कोई भी सही जवाब नहीं मिल पाया। वीरेंद्र बताते हैं कि अबके कई बड़े-बड़े भाजपा जनप्रतिनिधियों से भी उन लोगों ने गुहार लगा रखी है, पर यह सभी एप्लीकेशंस हमारे पास महज फाइल ही बनकर रह गई हैं।

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