कानपुर: डीएम के निशाने पर था जय बाजपेई, अफसर बदलते ही दब गई थी जांच

शिकायतकर्ता आरसी शुक्ला द्वारा दिया गया प्रार्थना पत्र जो 'जनज्वार' को मिला के मुताबिक आरोप है कि 2005-6 में जय बाजपेई एक प्रिंटिंग प्रेस में 4 हजार महीने की तनख्वाह पर स्क्रीन धोने की नौकरी करता था....

Update: 2020-07-19 09:39 GMT

मनीष दुबे की रिपोर्ट

कानपुर। एक साधारण सी प्रिंटिंग प्रेस में 4 हजार महीने की नौकरी करने वाला जय बाजपेई कुछ ही सालों में अरबपति बन गया। जून 2017 में शिकायतकर्ता आरसी शुक्ला ने एक प्रार्थनापत्र देकर तत्कालीन कमिश्नर पीके महान्ति के सामने यह बात उठाई थी तथा जांच की मांग की थी। जिसके बाद कमिश्नर ने तब के डीएम सुरेंद्र सिंह को जांच के आदेश दिए थे। डीएम सुरेंद्र सिंह ने 29 जून 2017 को एसीएम पीसी श्रीवास्तव व सीओ नजीराबाद को जांच करने को नियुक्त किया था।

दोनों अधिकारियों द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट में जय व उसके भाई रजय समेत परिवारजनों की प्रॉपर्टी के मूल्यांकन उसकी खरीद व आय के स्रोतों के संबंध में आयकर विभाग से गहन जांच की संतुस्ति की थी। लेकिन इस रिपोर्ट पर कितना अमल हुआ किसी को कुछ पता नहीं है। अफसर बदलते ही रिपोर्ट दबा दी गई। अब बिकरु कांड के बाद विकास दुबे से उसके संबंधों का खुलासा हुआ जिसके बाद उसके एक के बाद एक कारनामो से पर्दा उठ रहा है।

ये थी शिकायत

शिकायतकर्ता आरसी शुक्ला द्वारा दिया गया प्रार्थना पत्र जो 'जनज्वार' को मिला के मुताबिक आरोप है कि 2005-6 में जय बाजपेई एक प्रिंटिंग प्रेस में 4 हजार महीने की तनख्वाह पर स्क्रीन धोने की नौकरी करता था। उसका भाई रजयकांत घर के बाहर पान की दुकान चलाता था। इसके बाद इनके हाथ ऐसा कौन सा अलादीन का चिराग लग गया कि कुछ ही सालों में अरबपति हो गए। दोनों ने कम समय मे पत्नी स्वेता, भाभी पुष्पा व अन्य भाइयों रिश्तेदारों के नाम नामी-बेनामी संपत्तियां सोने चांदी के जेवरातों के अलावा लक्जरी वाहन भी बना लिए।


जय ने दुबई यात्रा सहित नोट गिनने की मशीन तक खरीद ली। बजरिया, नजीराबाद, सीसामऊ, चौबेपुर समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमे भी दर्ज हैं। सपा सरकार में एक सपा विधायक के करीबी रहे जय बाजपेई को एसपीओ भी बना दिया गया यहां तक कि उसके नाम शस्त्र लाइसेंस भी बना दिये गए। भाई रजयकान्त फर्जी गनर रखने के मामले में 22 जून 2017 को बजरिया थाने में पकड़ा गया था। इसमे रजय बच गया जबकि होमगार्ड महेंद्र सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा लिखा गया। इनने 2011 से 2017 के बीच अरबों की संपत्तियां खरीदीं। इन सभी मामलों की सीबीआई, ईडी सहित अन्य जांचें भी चली।

हवाई फायर जैसी अफसरों की रिपोर्टें

कई अफसरों की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि जय व रजय सपा विधायक के करीबी हैं और प्रॉपर्टी डीलिंग सहित ठेकेदारी का काम भी करते हैं। जय के खिलाफ कई मुकदमे भी दर्ज हैं। जिसमे थाना बजरिया के संतलाल कुरील ने हत्या का प्रयास, एससीएसटी के तहत जय, रजय व अन्य चार को नामदर्ज किया था। इस मामले में सबूत न मिलने पर एफआर लगा दी गई थी। 20 मई 2017 को केडीए के मुख्य अभियंता की तहरीर पर जय के खिलाफ मकान की सील तोड़कर अवैध निर्माण शुरू करने का आरोप था, इसकी चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल की गई थी।


ब्रह्मनगर निवासी एडवोकेट अजय प्रताप भदौरिया ने 2017-18 में तत्कालीन आईजी आलोक सिंह से जय व भाई रजय समेत अन्य पर आय से अधिक संपत्ति जुटाने, मुकदमे होने के बावजूद भी शास्त्र लायसेंस और पासपोर्ट रद्द न किये जाने की लिखित शिकायत की थी। जिसके बाद कन्नौज के तत्कालीन एएसपी केसी गोस्वामी को जांच दी गई थी। वर्तमान समय मे गोस्वामी आर्थिक अपराध शाखा में एएसपी हैं। जय पर लगे सभी आरोप उनकी जांच में सही पाए गए थे। जांच अधिकारी गोस्वामी ने 11 पुलिसकर्मियों पर सवाल भी खड़े किए थे।


एएसपी की जांच रिपोर्ट पर तत्कालीन आईजी आलोक सिंह ने 13 अप्रैल 2018 को कार्रवाई के लिए तत्कालीन एसएसपी अखिलेश कुमार मीणा को आदेशित किया था। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। मीणा के ट्रांसफर के बाद आए एसएसपी अनंतदेव तिवारी ने इस मामले पर 30 मई 2019 को निर्णय लिया। जिसमे पासपोर्ट के आवेदन पर रिपोर्ट लगाने वाले दरोगा संजीत कुमार मिश्रा को सिर्फ मिसकंडक्ट का दंड देकर फ़ाइल बन्द कर दी गई। अब एसएसपी दिनेश कुमार पी ने इसी रिपोर्ट के आधार पर पासपोर्ट और शस्त्र लायसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया का आदेश दिया है।

शिकायतकर्ता के आरोप

शिकायतकर्ता ने अपने दिए प्रार्थनापत्र में जय की अवैध रूप से खरीदी गई संपत्तियों का ब्यौरा दिया है। जिसमे निम्नलिखित भूखंडों का जिक्र है।

●111/478 ब्रह्मनगर, कीमत 4 करोङ

●111/481 ब्रह्मनगर, कीमत 5 करोङ

●107/299 ब्रह्मनगर, कीमत 2 करोङ

●107/300 ब्रह्मनगर, कीमत 2 करोङ

●107/292A ब्रह्मनगर, कीमत 4 करोङ

●107/298 ब्रह्मनगर, कीमत 3 करोङ

●आर्यनगर में कई फ्लैट, कीमत 5 करोङ

●261-3E ब्लॉक पनकी में डुप्लेक्स फ्लैट, कीमत 2 करोङ

जय बाजपेई फिलहाल आयकर विभाग के हवाले है, जहां उससे पूछताछ चल रही है। एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया जय को क्लीन चिट नहीं दी गई है। उसकी जांच जारी है। पुलिस ने उसे हिरासत में नहीं लिया है बल्कि विकास दुबे के साथ मिलकर उसके आर्थिक अपराधों के बारे में जानकारी हुई है। जिसके चलते उसे आयकर विभाग को सौंप दिया गया है। आयकर विभाग इस मामले में जांच करेगा। 

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