EXCLUSIVE : जमीन विवाद में फौजी के परिवार को जिंदा जलाकर मारने का प्रयास, भाई ने कहा CM कार्यालय में करूंगा आत्मदाह

रात को पौने एक बजे पता चला कि घर पर घटना हो गई है, रात में 100 नम्बर डॉयल पर सूचना दी, पुलिस घर गई थी, मैं सुबह घर पहुँचा, देखा कार बुरी तरह जल गई थी और भी कुछ सामान जला था, पुलिस उनकी नहीं सुन रही, अगर नहीं सुनेगी तो वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के सामने जाकर आत्मदाह कर लेंगे...

Update: 2021-03-19 07:20 GMT

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार, कानपुर। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार आते ही व्हिसल बज चुका था कि गुण्डे माफिया स्टेट छोड़कर भाग गए हैं। कहां भाग गए ये अभी तक किसी ने नहीं बताया, खुद सीएम ने भी नहीं। ठीक है अब तक 151 कौरवों का आधुनिक एनकाउण्टर के तौर पर वध किया गया, जिनमें 51 मुसलमान थे। फिर ये जो बच गए वो कौन हैं, सवाल बड़ा है? और इसका जवाब विकराल। भाजपा सरकार में किसानो को धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा, तो अब सुरछित वो भी नहीं जिसकी वर्दी की आड़ में पीएम चुनाव जीतते और जितवाते हैं।

अगर उपर लिखी हमारी बातों में कोई सच्चाई नहीं तो कानपुर नगर के गांव कटरा घनश्याम में इतनी बड़ी दुस्साहसिक वारदात ना होती। थाना सचेण्डी से महज 1.5 किलोमीटर दूर गांव कटरा घनश्याम में रात लगभग सबा एक बजे उस वक्त भागम-भाग मच गई जब पड़ोस में रह रहे एक फौजी परिवार का घर आग की लपटों से भर गया. किसी तरह फौजी परिवार ने पड़ोसियों का मदद से समर्रसिबल चलाकर आग बुझाई। इस लगाई गई आग में परिवार की एक स्कार्पियो कार सहित कुछ कपड़े आदि जल गए हैं.

घर पहुँचने पर हमने देखा कि कार व अन्य सामान जलने से उसके उठे धुएं से घर की छत तक काली पड़ चुकी थी। रामस्वरूप सिंह पुत्र बाबू सिंह कानपुर नगर के थाना सचेण्डी के गांव कटरा घनश्याम के रहने वाले हैं। उनका एक पुत्र आईटीबीपी झांसी में तैनात है। रामस्वरूप सिंह की जमीन का विवाद बीते 6 महीनो से चल रहा है। 'बकौल रामस्वरूप वह इस बीच कई थाना पुलिस की शरण में जा चुके हैं पर ये लोग उनका ही पक्ष ले लेते हैं। रामस्वरीप बताते हैं कि कल रात साढ़े बारह बजे उन्हें पूरे परिवार सहित मारने की फुल प्लानिंग थी। अगर ये प्लानिंग नहीं थी तो क्या था।'     

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रामस्वरूप 'जनज्वार' से आगे कहते हैं कि यदि रात को मेरी नींद ना खुलती तो शायद ही हम लोग कल का सूरज देख पाते। गाड़ी में आग लगी थी। जब घर में चारों तरफ धुआं भर गया तो अचानक मेरी नींद खुली। सांस तक लेने में मुश्किल होने लगी। किसी तरह हिम्मत करके दरवाजा खोला। बाहर देखा तो स्कार्पियो जल रही थी। पड़ोसियों को आवाज लगाई। कई लोग भागकर आए। पानी डालकर आग बुझाई गई, अगर कहीं पेट्रोल की टंकी फट जाती तो कितनी बड़ी मुसीबत हो सकती थी। ये सब हमें बाल-बच्चों सहित खतम कर देने की प्लानिंग थी, और कुछ नहीं।

रामस्वरूप के भतीजे शंकर सिंह तोमर कहते हैं कि उनका किसाननगर में पेट्रोल पंप के बगल में ढ़ाबा है। रात को पौने एक बजे पता चला कि घर पर घटना हो गई है। रात में 100 नम्बर डॉयल पर सूचना दी, पुलिस घर गई थी। कुत्ते-वुत्ते वगैरा भी ले गई थी सुना है। मैं सुबह घर पहुँचा, देखा कार बुरी तरह जल गई थी और भी कुछ सामान जला था। शंकर ने बताया असल में हमारे ढ़ाबे के बगल में एक जमीन है, जो हमारी है। उसे कानपुर देहात के सिराथु गांव के पंकज सिंह पुत्र कमलेश सिंह कब्जा करने की नियत से पिछले 6 महीनो से धमका रहे हैं।

शंकर ने बताया कि पंकज सिंह इससे पहले भी धमकी और हमला कर चुके हैं। उनका परिवार देश की सेवा कर रहे जवान का परिवार है। हम लोग पिछले 6 महीनो से पुलिस व अफसरों के चक्कर काट रहे हैं। हमारी ना सुनकर ये लोग उसके हक की बात, उसकी पैरवी करते हैं। और कल हमने फिर शिकायत की है, हमारा इतना बड़ा नुकसान हुआ है लेकिन हमें नहीं लगता कि पुलिस हमारा न्याय करेगी हमारी सुनेगी। नहीं सुनने के सवाल पर शंकर सिंह कहते कि अगर पुलिस उनकी नहीं सुनेगी तो वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के सामने जाकर आत्मदाह कर लेंगे। शंकर कहते हैं और इसके अलावा उनके पास कोई चारा भी नहीं बचा है।

घर से निकलते ही परिवार की एक बुजुर्ग महिला गीता सिंह हमारे पास आकर बताती है, 'भईया बहुत भय लागत है। बताते-बताते महिला रोने लगती है। कहती है बताओ जान से मारने की कोशिश कर दी, भगवान ने बचा लिया हमको। हमारी क्या किससे दुश्मनी है। रामस्वरूप की बहू कहती है डैडी हमारे उपर सो रहे थे, रात को अचानक वो चिल्लाए तो हम सबकी आँख खुली। देखा तो बाहर आग की लपटें उठ रही थीं। बगल से लोगों ने आकर मोटर चालू करके आग बुझाई थी।

पड़ोस में रहने वाले भानु प्रताप, रिषी सिंह भी रात को पड़ोसी रामस्वरूप के घर की आग बुझाने उनके घर गए थे। दोनो हमें बताते हैं कि 'आग विकराल थी। पूरी तरीके से जान से मार देने का प्लान था। हम सभी भाग कर आए मोटर चालू की पानी डाला। कई देर मशक्कत की तब कहीं जाकर आग बुझी। रात को पुलिस भी आई थी, नोट कर ले गई है सब, देखो क्या करती है। भानू हमें घर की वो दीवार दिखाते हुए कहते हैं जहां से लोग आए कि 'देखो भईया एक बात तो साफ है कि बगैर गांव के किसी गुप्तचर के बगैर कोई कहीं घुसने से रहा। एक तो गांव दूसरा फौजी का घर जो घुसा होगा किसी ना किसी शय के ही घुसा होगा।'

फिलहाल थाना सचेण्डी में घर में घुसकर आगजनी को लेकर एफआईआर नम्बर 104/2021 में पुलिस ने धारा 457/436/व506 में मुकदमा दर्ज कर लिया है। परिवार को पुलिस की कार्रवाई पर भरोसा ही नहीं है ऐसे में पुलिस पीड़ित फौजी परिवार को आरोपियों पर फिर कार्रवाई करने का भरोसा दिला रही है। कार्रवाई दर कार्वाई कर रही पुलिस इस बार कितनी खरी उतरती है देखने वाली बात रहेगी।

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