जनज्वार इंपैक्ट: जनज्वार की खबर का असर, मुरादाबाद नमाज़ विवाद में दर्ज FIR रद्द, योगी की पुलिस की मंशा सवालों के घेरे में

Janjwar Impact: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुरादाबाद (Moradabad) में सामूहिक नमाज (Group Namaz) का मामला सामने आया था। बाद में यह मामला फर्जी निकला था, साथ ही पुलिस की भूमिका पर भी संदेह जाहिर किया गया है।

Update: 2022-08-31 06:31 GMT

जनज्वार इंपैक्ट: जनज्वार की खबर का असर, मुरादाबाद नमाज़ विवाद में दर्ज FIR रद्द, योगी की पुलिस की मंशा सवालों के घेरे में

Janjwar Impact: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुरादाबाद (Moradabad) में सामूहिक नमाज (Group Namaz) का मामला सामने आया था। बाद में यह मामला फर्जी निकला था, साथ ही पुलिस की भूमिका पर भी संदेह जाहिर किया गया है। इस मामले में पुलिस ने कुल 26 जिनमें 16 नामजद तो 10 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा कायम किया था। खबर संज्ञान में आते ही जनज्वार ने इस खबर पर बेहद बारीकी से नजर रखी। हमने सूबे के कई आलाधिकारियों तक इस मुद्दे को रखा। जिसके बाद मंगलवार 30 अगस्त डीजीपी यूपी के हस्तक्षेप से मामले में दर्ज एफआईआर रद्द की जा चुकी है।

यहां के दूल्लेपुर गांव में बीती 24 अगस्त को अनवार और मुस्कीम के घर में दूसरे संप्रदाय के लोगों ने समझौते को तोड़कर एकत्र होकर सामूहिक रूप से नमाज पढ़ी। जबकी दोनों पक्षों की सहमति पर सामूहिक नमाज नहीं पढ़ने का निर्णय लिया गया था। इस बात को लेकर दूसरे पक्ष के लोगों ने कड़ा विरोध करते हुए पुलिस को सूचना दी। सामूहिक नमाज के विवाद को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने मध्यस्थता कराकर मामले को शांत करा दिया था।

इसके बाद सूचना मिलने पर छजलैट थाना प्रभारी दीपक मलिक गांव में पहुंचकर मामले की पुष्टि करते हैं। जांच के बाद उन्होंने एक व्यक्ति चंद्रपाल की तहरीर पर अभियोग पंजीकृत करने की कार्रवाई कर दी। जैसा हमारे सूत्रों ने बताया। बता दें कि इस मामले में छजलैट थाना क्षेत्र के दूल्हेपुर गांव निवासी कुल 26 लोगों पर जिनमें वाहिद, मुस्तकीम, शहीद जाकिर अली, शेर रमजानी, मुहम्मद अली, मुहम्मद अली, हनीफ, शौकीन, सलीम, नूरा, असलम शामिल हैं। इनके समेत अन्य अज्ञात के खिलाफ अभियोग पंजीकृत किया गया था। लेकिन बाद जांच इस मामले में पुलिस को ग्रुप नमाज के सबूत नहीं मिले। सबूत न मिलने के बाद जिला पुलिस ने इस मामले में दर्ज मुकदमे को रद्द कर दिया है।

ओवैसी का बयान

मामले ने तूल पकड़ा तो, एआइएमआइएम अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। साथ ही उन्होंने बयान जारी कर पुलिस कार्रवाई को मुसलमानों के खिलाफ अन्याय करार दिया था। ओवैसी का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कहीं पर भी नमाज पढ़ने का अधिकार दिया है। पुलिस के द्वारा की गई कार्रवाई अन्याय हैं। यूपी के डीजीपी ने इस मामले में अपनाया था सख्त रुख इस मामले में यूपी डीजीपी कार्यालय ने स्थानीय पुलिस अफसरों से रिपोर्ट से मांगी थी। इसके साथ ही एक माह देरी से अभियोग पंजीकृत करने पर भी सवाल पूछा था।

संदिग्ध है पुलिस की भूमिका

सामूहिक नमाज मामले में यूपी पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध है। मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस दावा कर रही थी कि कुछ लोगों ने समाज में शत्रुता, घृणा, वैमनष्यता की भावना उत्पन्न करने के उद्देश्य से सामूहिक रूप से जगह जगह बदल बदलकर नमाज अदा की, आज वही पुलिस इस पूरे मामले को गलत बता रही है। गलत ही नहीं बता रही, बल्कि पूरे मुकदमे को ही खारिज कर दिया है। संप्रदाय विशेष के उन 26 लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस ले लिया है, जिन्हें माहौल खराब करने वाला ठहराया जा रहा था।

क्या बोले एसएसपी

मुरादाबाद ( Moradabad News ) के एसएसपी हेमंत कुटियाल ने बताया कि जांच के दौरान इस मामले में कोई साक्ष्य नहीं मिले। अब पुलिस ने इस मामले में मय जुर्म खारिजा रिपोर्ट समाप्त करने का फैसला लिया है। बता दें कि ग्रूप नमाज को फोटो वायलर होने पर क्षेत्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो हुई थी, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस की सतर्कता की वजह से हिंसक घटना में तब्दील नहीं हुई। ग्रुप नमाज को लेकर खबर प्रकाशित होने के बाद इस मामले में जिला पुलिस ने गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की थी। इस मामले में दूल्लेपुर गांव निवासी चन्द्रपाल ने सामूहिक नमाज पढ़ने को लेकर छजलैट थाने में 26 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

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