Manish Gupta Hatyakand: मनीष गुप्ता हत्यकांड का आरोपी इंस्पेक्टर जेएन सिंह के दरिंदगी के किस्से हैं पुराने

Manish Gupta Hatyakand: कानपुर व्यवसाई मनीष गुप्ता की हत्या का आरोपी पुलिस इंस्पेक्टर जेएन सिंह के कारनामों के किस्से बहुत पुराने है। अवैध वसूली इसका जहां शगल बन गया था वहीं फर्जी एनकाउंटर के सहारे सिपाही से इंसपेक्टर तक का तगमा हासिल किए जेएन सिंह ने अपनी जरूरतों के लिए अपने साथियों तक को नहीं बख्सा।

Update: 2021-09-30 13:22 GMT

Manish Gupta Hatyakand: कानपुर व्यवसाई मनीष गुप्ता की हत्या का आरोपी पुलिस इंसपेक्टर जेएन सिंह के कारनामों के किस्से बहुत पुराने है। अवैध वसूली इसका जहां शगल बन गया था वहीं फर्जी एनकाउंटर के सहारे सिपाही से इंसपेक्टर तक का तगमा हासिल किए जेएन सिंह ने अपनी जरूरतों के लिए अपने साथियों तक को नहीं बख्सा। अब ये किस्से बता रहे हैं कि योगीराज में कानून को ताक पर रख कर पिछले साढे चार वर्षों में किए गए कई कारनामों ने ही ऐसे मनबढ पुलिस अफसरों का मनोबल बढाने का कार्य किया। जिसका नतीजा रहा कि ये सब घटना पर घटना अंजाम देते रहे। अब जब चुनाव करीब आने पर मनीष गुप्ता जैसे हत्याकांड के चलते व्यवसाई समेत एक बडे तबके के वोट बैंक खिसकने के डर ने इन्हें मांगों को पूरा करने के सवाल पर इतना उदार बना दिया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रामगढ़ताल इंस्पेक्टर जगत नारायन सिंह एनकाउंटर के शौकीन है। गोरखपुर जिले में कार्यकाल के दौरान यहां अब तक चार बदमाशों के पैर में गोली मारी है। सिकंदर को गोली मारने से पहले वे रामगढ़ताल में ही अमित हरिजन को गोली मारकर गिरफ्तार किया था, जबकि बांसगांव इंस्पेक्टर रहते हुए शातिर बदमाश राधे यादव और झंगहा इंस्पेक्टर रहते हुए हरिओम कश्यप को भी पैर में गोली मारी थी।

13 अगस्त को भी रामगढ़ताल पुलिस पर 20 वर्षीय गौतम सिंह की पुलिस कस्टडी में संदिग्ध मौत के आरोप लगे थे। हालांकि बाद में पुलिस ने केस दर्ज किया। पुलिस ने उसमें यह दर्शा दिया कि गायघाट बुजुर्ग में प्रमिका से मिलने गए युवक की लड़की के परिवार वालों ने पीटकर हत्या कर दी, जबकि परिजनों का आरोप था कि युवक की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है। इस दौरान जगत नारायन सिंह ही इंसपेक्टर था।

जेएन सिंह के बांसगांव इंस्पेक्टर रहने के दौरान 7 नवंबर, 2020 को भी गंभीर आरोप लगे थे। बांसगांव थाने में विशुनपुर निवासी मुन्ना प्रसाद के बेटे शुभम उर्फ सोनू कुमार के खिलाफ हत्या के प्रयास का केस दर्ज था। पुलिस ने उसे 11 अक्तूबर, 2020 को डिघवा तिराहे से गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया। 7 नवंबर को जेल में उसकी मौत हो गई। इस मामले में फिर पुलिस पर आरोप लगा कि शुभम की मौत पिटाई से हुई है। तत्कालीन चौकी इंचार्ज जेएन सिंह को सस्पेंड किया गया था।अब एक बार फिर कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या का तीसरा आरोप इंस्पेक्टर जेएन सिंह पर लगा है।

इंस्पेक्टर जगत नारायन सिंह इसी तरह के एनकाउंटर की बदौलत ही सिपाही से आउट आफ टर्न प्रमोशन पाकर इंस्पेक्टर की कुर्सी तक पहुंचा। एसटीएफ में रहने के दौरान भी करीब 9 बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया है। बताया जाता है कि अपने महकमे में वो बड़े अधिकारियों से अपनी काफी अच्छी सेटिंग रखता रहा है।तभी तो आज तक उस पर लगे लोगों की हत्या जैसे आरोप में कभी कुछ नहीं हुआ। लखनऊ बैठे महकमें का आला अफसर उसे हमेशा बचाते रहे है । लेकिन व्यापारी की हत्या वाला यह केस इंस्पेक्टर जेएन सिंह समेत सरकार के बेहद उल्टा पड़ गया है। जिसमें सीएम योगी खुद बैकफुट पर आ गए हैं।

इंस्पेक्टर जेएन सिंह पर गोरखपुर में कानपुर के मनीष गुप्ता को गोरखपुर स्थित रामगढताल के एक होटल में पीट-पीटकर मार डालने का आरोप है। जेएन सिंह पहले भी पिटाई से मौत और दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं। मनीष गुप्ता के मामले में हत्या का केस दर्ज होने के बाद पुरानी घटनाओं की भी जांच हो सकती है। पुलिस अफसरों का कहना है कि पुराने मामलों में कोई आवेदन आता है तो जांच कराई जाएगी। रामगढ़ताल थाने में रहते हुए जेएन सिंह पर एक परिवार ने पुलिस पिटाई से बेटे की मौत का आरोप लगाया था, जबकि बांसगांव के एक परिवार का भी यही आरोप था।

जगत नारायण सिंह 8 जुलाई 2017 को कानपुर में तबादला होकर आया था। तब वह दरोगा था। आने के चार दिन बाद यानी 12 जुलाई 2017 को उसको पनकी थाने का एसओ बना दिया गया था। यहां वह 27 अक्तूबर 2017 तक रहा था। इसके बाद उसका तबादला कानपुर देहात हो गया था। फिर वह अलग-अलग जिलों में तैनात रहा।

इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह काफी विवादित रहा है। कानपुर में उसके कार्यकाल के दौरान तैनात रहे एक पुलिसकर्मी ने बताया कि जगत नारायण आम लोगों से बहुत ही अड़ियल और अभद्रता से बातचीत करता था। कइयों से उसकी नोकझोंक हुई थी। यही नहीं तीन महीने के कार्यकाल में तमाम आरोप उस पर लगे थे। यही वजह है कि वह यहां टिक नहीं पाया था।

मनीष हत्याकांड का मुख्य आरोपी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह कानपुर में भी तैनात रहा है। वह पनकी एसओ के पद पर सवा तीन महीने तक रहा था। ऐसे में साजिश की आशंका और गहरा गई है। शक है कि कहीं किसी पुरानी रंजिश की खुन्नस में इंस्पेक्टर ने वारदात को अंजाम तो नहीं दे डाला। अब जब केस की जांच आगे बढ़ेगी तभी इस बारे में तथ्य सामने आएंगे। फिलहाल गोरखपुर पुलिस मामले की जांच कर रही है। अगर इस साजिश की आशंका के साक्ष्य मिलते हैं तो काफी कुछ साफ हो जाएगा।

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